वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि सरकार ने पिछले साल अगस्‍त में भारतीय उद्योपतियों के साथ बैठक में मांगे गए सुझावों को आगे बढ़ाने की कोशिश की। लेकिन अगर, कुछ मोर्चों, खासतौर से मल्‍टी ब्रांड में एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) जैसे मामलों में आर्थिक सुधारों और कुछ विधायी संशोधनों को पारित नहीं कराया जा सका तो इसके लिए सरकार को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। वित्त मंत्री ने बुधवार को प्रमुख उद्योग संगठन फिक्की की 84वींऔरऔर भी

विश्व अर्थव्यवस्था इस समय ‘खतरनाक दौर’ में जा पहुंची है। यूरोप मंदी की चपेट में आ चुका है। यह किसी ऐरे-गैरे का नहीं, बल्कि विश्व बैंक का कहना है। साथ ही उसका यह भी कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर चालू वित्त वर्ष 2011-12 में 6.8 फीसदी रहेगी, जबकि वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी का नया अनुमान 7 से 7.5 फीसदी का है। पिछले वित्त वर्ष 2010-11 में भारत का जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) 8.5 फीसदीऔरऔर भी

यूं तो सरकार से लेकर बाजार और विशेषज्ञों तक को अंदाजा था कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर अच्छी नहीं रहनेवाली, लेकिन असल आंकड़ों के सामने आ जाने के बाद हर तरफ निराशा का आलम है। वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु ने तो यहां तक कह दिया है कि दिसंबर तिमाही इससे भी खराब रहनेवाली है। बसु का कहना है कि उन्हें जुलाई-सितंबर तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी)औरऔर भी

बढ़ती मुद्रास्फीति को काबू में लाना रिजर्व बैंक की प्राथमिकता है। इसके लिए कड़ी मौद्रिक नीति को अपनाना जरूरी है, भले ही आर्थिक विकास को धक्का पहुंच जाए। रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति की पहली त्रैमासिक समीक्षा से ठीक पहले आर्थिक हालात की स्थिति बयां करते हुए यह बात कही है। इसलिए माना जा रहा है कि इस बार भी वह नीतिगत दरों (रेपो व रिवर्स) में 0.25 फीसदी वृद्धि कर सकता है। अभी रेपो दर 7.50औरऔर भी

भारतीय अर्थव्यवस्था साल 2030 तक 30 लाख करोड़ डॉलर की हो जाएगी। यह कहना है देश के सबसे ब़ड़े उद्योगपति और रिलायंस समूह के मुखिया मुकेश अंबानी का। भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार अभी 1.4 लाख करोड़ डॉलर का है। ध्यान दें, यहां डॉलर में बात हो रही है। इसलिए रुपए की मुद्रास्फीति का असर इसमें शामिल नहीं है। शुक्रवार को रिलायंस इंडस्ट्रीज की सालाना आमसभा को संबोधित करते मुकेश अंबानी ने कहा, “साल 2020 तक भारतीय अर्थव्यवस्थाऔरऔर भी

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (पीएमईएसी) के चेयरमैन सी रंगराजन ने कहा है कि चालू वित्त वर्ष 2011-12 में देश की आर्थिक वृद्धि दर 8.5 फीसदी रहने की उम्मीद है। उनका मानना है कि सेवा क्षेत्र और उद्योगों के विस्तार से यह आर्थिक वृद्धि दर हासिल हो सकती है, हालांकि कृषि क्षेत्र का योगदान घट सकता है। बता दें कि इस साल के बजट में वित्त मंत्री ने 9 फीसदी विकास दर का अनुमान लगाया। लेकिन रिजर्वऔरऔर भी

अगले हफ्ते सोमवार को पेश होनेवाले आम बजट में बीमा से लेकर रक्षा और मल्टी ब्रांड रिटेल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को लेकर कुछ सकारात्मक घोषणाएं हो सकती हैं। इस बात का स्पष्ट संकेत सोमवार को राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने बजट सत्र के पहले दिन संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए दिया। उन्होंने कहा, ‘‘हमें निवेश के लिए वातावरण को अनुकूल बनाने की जरूरत है। सार्वजनिक व निजी निवेश के साथऔरऔर भी

चालू वित्त वर्ष के दौरान देश की आर्थिक वृद्धि 8.6 फीसदी रहने के अनुमान से उत्साहित मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु ने कहा है कि अगले वित्त वर्ष में नौ फीसदी आर्थिक वृद्धि का लक्ष्य संभव लगता है। बसु ने सोमवार को दिल्ली में संवाददाताओं से कहा, ‘‘हालांकि पूरी दुनिया का आर्थिक परिदृश्य ठीक-ठाक लग रहा है, लेकिन अब भी अनिश्चितता के बादल दिखते हैं। इसलिए अगले वित्त वर्ष के दौरान देश की आर्थिक वृद्धि की उम्मीदऔरऔर भी

कौशल या स्किल डेवलपमेंट के साथ-साथ इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था के 8.7 फीसदी सालाना की दर से बढ़ने की संभावना है और वर्ष 2020 तक यहां 3.75 करोड़ रोजगार के अवसरों का भी सृजन होगा। कंसल्टेंसी फर्म एक्सेंचर ने दावोस में चल रहे वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम के समारोह में जारी अपनी रिपोर्ट में कहा कि भारत, जर्मनी, अमेरिका और ब्रिटेन जैसी चार प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं का योगदान विश्व अर्थव्यवस्था में करीब 40 फीसदी के बराबरऔरऔर भी

विदा लेते साल 2010 के दौरान देश में भ्रष्टाचार और घोटालों के कई मामले सामने आए। इसके बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था नौ फीसदी की तेज रफ्तार के साथ आगे बढती दिखाई दी। पहले राष्ट्रमंडल खेल आयोजन में भ्रष्टाचार, फिर कॉरपोरेट जगत के लिये जनसंपर्क का काम करनेवाली नीरा राडिया के नेताओं, अधिकारियों और पत्रकारों के साथ बातचीत के टेप के सार्वजनिक होने और 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले से उठा तूफान। इन सब विवादों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था नौ फीसदीऔरऔर भी