दूरसंचार विभाग (डॉट) से टेलिकॉम कंपनी वोडाफोन और आइडिया सेलुलर को हिदायत दी है कि अपने मोबाइल पर इंटरनेट का उपयोग करनेवाले कुछ ग्राहकों की जानकारी खुफिया ब्यूरो (आईबी) को उपलब्ध करवाएं। साथ ही ग्राहकों का पूरा पता-ठिकाना भी आईबी को बताएं। डॉट के अधिकारियों ने आइडिया और वोडाफोन से आईबी को जरूरी सूचना यथाशीघ्र उपलब्ध कराने को कहा है। सुरक्षा एजेंसियों ने संबंधित इंटरनेट प्रोटोकॉल (आईपी) एड्रेस देकर वोडाफोन से कुछ मोबाइल नंबरों के बारे मेंऔरऔर भी

पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी के एक अधिकारी को खूस देकर फर्जी चिट्ठी बनवाने से लेकर मनी लॉन्डरिंग व शेयर बाजार में धांधली करने जैसे अपराधों का दोषी स्टॉक ब्रोकर निर्मल कोटेचा फरार हो गया है। वह भी तब, जब सेबी और रिजर्व बैंक जैसे नियामक ही नहीं आयकर विभाग, प्रवर्तन निदेशालय, आईबी और सीबीआई जैसी एजेंसियां उस पर गिद्ध निगाह रखे हुए थीं। कोटेचा ने तीन साल पहले पिरामिड साइमीरा के शेयरों को जबरन चढाने केऔरऔर भी

केंद्र सरकार अपने आर्थिक खुफिया तंत्र को और भी चौकस बनाने में जुट गई है। इस सिलसिले में सेंट्रल इकनॉमिक इंटेलिजेंस ब्यूरो (सीईआईबी) की भूमिका, कामकाज व सांगठनिक ढांचे की समीक्षा के लिए बनाई गई समिति ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी को सौंप दी। इस समिति का गठन मार्च 2011 में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के पूर्व सदस्य एस एस खान की अध्यक्षता में किया गया था। समिति ने करीब तीन महीनेऔरऔर भी

वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने भले ही पिछले साल सितंबर में नॉर्थ ब्लॉक स्थित अपने कार्यालय की सुरक्षा को लेकर प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था। लेकिन जांच के बाद सुरक्षा में सेंध जैसा कोई मामला नहीं पाया गया है। इंडियन एक्सप्रेस में उस पत्र की खबर छपने के बाद वित्त मंत्री ने मंगलवार को कहा कि जांच एजेंसियों को नॉर्थ ब्लाक में उनके कार्यालय की सुरक्षा व्यवस्था में कथित सेंध की जांच में कुछ नहीं दिखा है।औरऔर भी

विदेशी बैंकों में जमा काले धन का पता लगाने और उसे देश में वापस लाने के लिए कदम उठाने की खातिर एक विशेष जांच दल गठित करने के अनुरोध पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। न्यायमूर्ति बी सुदर्शन रेड्डी और न्यायमूर्ति एस एस निज्जर ने उस याचिका पर भी फैसला सुरक्षित रख लिया जिसमें सरकार को जर्मनी के लीश्टेंस्टाइन बैंक में काला धन रखने वाले लोगों के नाम सार्वजनिक करने के लिएऔरऔर भी

बैंकिंग और ऑटो सेक्टर के स्टॉक्स में करेक्शन का आना अपरिहार्य था। हम इसकी आशंका बराबर काफी समय से जताते रहे थे। यह झटका लगा और तब लगा जब वित्त मंत्रालय ने कह दिया कि वे आर्थिक प्रोत्साहन वापस लेंगे। लेकिन यह बाजार का अंत नहीं है। अब सारा ध्यान ऑयल, टेलिकॉम, गैस, कंज्यूमर ड्यूरेबल और इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र के स्टॉक्स पर आ जाएगा। 80 नए स्टॉक्स में घोटाले की अफवाह सिटी बैंक की धोखाधड़ी से जोड़कर निकालीऔरऔर भी

वक्त की जरूरत है कि देश में वित्तीय सुधार लागू किए जाएं और निवेशकों के हितों की हिफाजत की जाए। इस समय हमारे शेयर बाजार में करीब 1600 कंपनियां सस्पेंड पड़ी हैं। लेकिन उनके खिलाफ सेबी या कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इससे बेहद गलत संकेत जा रहा है। सच कहें तो यह काफी बड़ा घोटाला है। इन सस्पेंड कंपनियों में रिटेल निवेशकों के करीब 58,000 करोड़ रुपए फंसे हैं।औरऔर भी