विदेशी बैंकों में जमा काले धन का पता लगाने और उसे देश में वापस लाने के लिए कदम उठाने की खातिर एक विशेष जांच दल गठित करने के अनुरोध पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
न्यायमूर्ति बी सुदर्शन रेड्डी और न्यायमूर्ति एस एस निज्जर ने उस याचिका पर भी फैसला सुरक्षित रख लिया जिसमें सरकार को जर्मनी के लीश्टेंस्टाइन बैंक में काला धन रखने वाले लोगों के नाम सार्वजनिक करने के लिए आदेश देने की मांग की गई थी। केंद्र सरकार ने इस अनुरोध का विरोध करते हुए पीठ के समक्ष तर्क दिया था कि काला धन संबंधी मामलों के लिए सीबीआई, आईबी, प्रवर्तन निदेशालय और अन्य विभागों के शीर्ष अधिकारियों की एक समिति पहले ही गठित की जा चुकी है।
सॉलिसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम ने अदालत को बताया कि इस दस सदस्यीय समिति में राजस्व सचिव, भारतीय रिजर्व बैंक के उप निदेशक, सीबीआई के निदेशक, खुफिया ब्यूरो (आईबी), प्रवर्तन निदेशालय, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी), राजस्व खुफिया महानिदेशक, मादक द्रव्य नियंत्रण विभाग के प्रमुख, विदेशी खुफिया कार्यालय के निदेशक (एफआईओ) और विदेश व्यापार विभाग के संयुक्त सचिव शामिल हैं।
पीठ ने सरकार से पूछा कि यदि समिति के कामकाज की निगरानी के लिए सुप्रीम कोर्ट के किसी अवकाशप्राप्त न्यायाधीश की नियुक्ति की जाए तो क्या उसे कोई समस्या होगी। सरकार ने इस विचार का पुरजोर विरोध करते हुए कहा कि इससे मामले की जांच बाधित होगी।