सारा बाजार, तमाम अर्थशास्त्री और बैंकर यही मान रहे हैं कि रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति की पहली त्रैमासिक समीक्षा में नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) को जस का तस 6 फीसदी पर रखेगा और रेपो व रिवर्स रेपो दर में 0.25 फीसदी की वृद्धि कर सकता है। लेकिन सूत्रों के मुताबिक रिजर्व बैंक फिलहाल चौंकाने के मूड में है और वह सीआरआर को तो नहीं छेड़ेगा, पर रेपो और रिवर्स रेपो में 0.25 फीसदी की जगह 0.50 फीसदीऔरऔर भी

बढ़ती मुद्रास्फीति ने आखिरकार रिजर्व बैंक को बेचैन कर ही दिया और उसने आज, शुक्रवार को ब्याज दरें बढ़ाकर मांग को घटाने का उपाय कर डाला। रिजर्व बैंक ने तत्काल प्रभाव से रेपो दर (रिजर्व बैंक से सरकारी प्रतिभूतियों के एवज में रकम उधार लेने की ब्याज दर) 5.25 फीसदी से बढ़ाकर 5.50 फीसदी और रिवर्स रेपो दर (रिजर्व बैंक के पास धन जमा कराने पर बैंकों को मिलनेवाली ब्याज दर) 3.75 फीसदी से बढ़ाकर 4 फीसदीऔरऔर भी

रिजर्व बैंक ने सोमवार को अर्थव्यवस्था और मौद्रिक हालात की समीक्षा पर जारी दस्तावेज में साफ कर दिया है कि चालू वित्त वर्ष 2010-11 में उसकी मुख्य चुनौती मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखने की होगी। इसलिए पूरी उम्मीद है कि मंगलवार को जारी की जानेवाली सालाना मौद्रिक नीति में कर्ज को महंगा कर दिया जाए। बैकिंग क्षेत्र के जानकार बताते हैं कि रिजर्व बैंक इसके लिए रेपो और रिवर्स रेपो दर में 25 आधार अंक (0.25 फीसदीऔरऔर भी

देश के अनुसूचित वाणिज्यक बैंकों ने बीते वित्त वर्ष 2009-10 के आखिरी पखवाड़े में 1,15,549 करोड़ रुपए का ज्यादा कर्ज दिया है। यह पूरे वित्त वर्ष में बैंक कर्ज में हुई कुल 4,64,850 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी का 24.85 फीसदी है। रिजर्व बैंक की तरफ से बुधवार को जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक 26 मार्च 2010 को बैंकों द्वारा दिए गए कुल कर्ज की मात्रा 32,40,399 करोड़ रुपए है, जबकि 12 मार्च 2010 को खत्म हुए पखवाड़ेऔरऔर भी