निवेश की दुनिया में भारत ही नहीं, समूचे विश्व में सरकारी बांडों को सबसे सुरक्षित व रिस्क-फ्री माना जाता है। आम भारतीयों के बीच सरकारी बैंकों को भी कमोबेश यही दर्जा हासिल है। लोग सरकारी बैंकों में पैसा रखकर निश्चिंत हो जाते हैं। यही वजह है कि आज भी बैंकों की कुल जमाराशि का 70 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा सरकारी बैंकों का है। लेकिन देश के तीसरे और सरकारी क्षेत्र के दूसरे सबसे बड़े बैंक, पंजाब नेशनलऔरऔर भी

रिजर्व बैंक वित्तीय साक्षरता के बारे में बैंकों की तरफ से की जा रही पहल की धीमी रफ्तार से नाखुश है। उसने सभी बैंकों के शीर्ष अधिकारियों को बाकायदा एक अधिसूचना भेजकर याद दिलाया है कि दो साल पहले 4 फरवरी 2009 को बैंकों वित्तीय साक्षरता व क्रेडिट सलाह केंद्र (एफएलसीसी) बनाने की मॉडल स्कीम के बारे में सर्कुलर भेजा गया था। इस मॉडल स्कीम में प्रावधान था कि वित्तीय साक्षरता के अधिकतम विस्तार के लिए ब्लॉक,औरऔर भी

इस समय देश के 13 बैंक मोबाइल से पैसों के लेनदेन की सुविधा (इंटरबैंक मोबाइल पेमेंट सर्विस या आईएमपीएस) दे रहे हैं। लेकिन नए वित्त वर्ष की शुरुआत यानी 1 अप्रैल 2011 से 12 अन्य बैंक भी यह सेवा शुरू कर देंगे। यह दावा है मोबाइल पेमेंट फोरम ऑफ इंडिया (एमपीएफआई) का। फोरम ने गुरुवार को हैदराबाद में बयान दिया कि मोबाइल बैंकिंग भुगतान सेवा फ़िलहाल 13 बैंक दे रहे हैं और 31 मार्च 2011 तक 12औरऔर भी

बढ़ती मुद्रास्फीति की हकीहत और चिंता रिजर्व बैंक पर भारी पड़ी है। इतनी कि मार्च की मुद्रास्फीति के लिए इसी जनवरी में 5.5 फीसदी से बढ़ाकर 7 फीसदी किया गया अनुमान उसने फिर बढ़ाकर 8 फीसदी कर दिया है। जाहिर है तब आर्थिक विकास के बजाय उसकी प्राथमिकता मुद्रास्फीति पर काबू पाना बन गया और इसके लिए उसने ब्याज दरों में 0.25 फीसदी वृद्धि कर दी है। असल में रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति का अनुमान बढ़ाकर एकऔरऔर भी

मरने की कगार पहुंच गए इंटरेस्ट रेट फ्यूचर्स (आईआरएफ) या ब्याज दर वायदा कारोबार में सरकार ने एक बार फिर जान डालने की कोशिश की है। रिजर्व बैंक और सेबी से सर्कुलर जारी कर 91 दिनों के ट्रेजरी बिलों में आईआरएफ सौदों की इजाजत दे दी है। हालांकि इसका सैद्धांतिक फैसला रिजर्व बैंक ने 21 अप्रैल को पेश चालू वित्त वर्ष 2010-11 की मौद्रिक नीति में ही कर लिया था। सोमवार को देर शाम जारी सर्कुलर मेंऔरऔर भी

रिजर्व बैंक ने पिछले हफ्ते चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के तहत बैंकों को शाम को धन उपलब्ध कराने की खिड़की बंद कर दी थी। लेकिन इस हफ्ते के पहले दो दिनों में बैंकों ने जिस तरह एलएएफ के तहत भारी रकम उठाई, उसे देखते हुए रिजर्व बैंक ने यह विशेष सुविधा दोबारा शुरू करने का फैसला किया है। अब 16 दिसंबर तक बैंक हर कामकाजी दिन में शाम 4.15 बजे रिजर्व बैंक से रेपो दर पर सरकारीऔरऔर भी

देश के सबसे बड़े बैक एसबीआई (भारतीय स्टेट बैंक) का शुद्ध लाभ चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में मात्र 0.45 फीसदी बढ़ा है, जबकि ब्रोकर समुदाय 21.64 फीसदी वृद्धि की उम्मीद लगाए बैठा था। नतीजे बाजार बंद होने के बाद घोषित किए गए। इसलिए शेयर के भाव पर इसका असर नहीं देखा गया। एसबीआई का शेयर सोमवार को 3515 रुपए तक पहुंच गया, जो उसका 52 हफ्ते का उच्चतम स्तर है। हालांकि बंद हुआ मुहूर्त केऔरऔर भी

रिजर्व बैंक ने बैंकों के होमलोन धंधे और बढ़ती प्रॉपर्टी कीमतों पर लगाम लगाने के नए कदम उठाए हैं। मंगलवार को पेश मौद्रिक नीति की दूसरी त्रैमासिक समीक्षा में उसने बैंकों को टीजर होमलोन देने से हतोत्साहित करने की भी कोशिश की है। इन कदमों का मसकद यही है कि कहीं बैंकों का उतावलापन भविष्य में उनकी परेशानी का सबब न बन जाए। सबसे पहले तो उसने तय कर दिया है कि कोई भी बैंक मकान कीऔरऔर भी

वित्त मंत्री ने इस साल 26 फरवरी को अपने बजट भाषण में नए बैंकों को लाइसेंस देने की बात कही थी, तभी से बाजार में कयास लगाए जाने लगे थे कि किस-किस कंपनी को बैंकिंग लाइसेंस मिल सकता है। इसके बाद रिजर्व बैंक ने 20 अप्रैल को सालाना मौद्रिक नीति में कहा कि वह जुलाई के अंत तक इस बारे में दिशानिर्देश जारी कर देगा। लेकिन जुलाई के बीत जाने के दस दिन बाद रिजर्व बैंक नेऔरऔर भी

सिस्टम में तरलता की कमी का जरा-सा संकेत मिलते ही रिजर्व बैंक मैदान में उतर आया है। उसने तय किया है कि बैंक चल निधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के तहत कभी भी रिजर्व बैंक से अपनी कुल जमा का 0.5 फीसदी हिस्सा उधार ले सकते हैं। साथ ही एलएएफ सुविधा बैंकों को अब दिन में एक के बजाय दो बार दी जाएगी। रिजर्व बैंक का ताजा फैसला शुक्रवार 28 मई, 2010 से लागू हो जाएगा। लेकिन उसनेऔरऔर भी