मुद्रास्फीति का सच रिजर्व बैंक पर भारी

बढ़ती मुद्रास्फीति की हकीहत और चिंता रिजर्व बैंक पर भारी पड़ी है। इतनी कि मार्च की मुद्रास्फीति के लिए इसी जनवरी में 5.5 फीसदी से बढ़ाकर 7 फीसदी किया गया अनुमान उसने फिर बढ़ाकर 8 फीसदी कर दिया है। जाहिर है तब आर्थिक विकास के बजाय उसकी प्राथमिकता मुद्रास्फीति पर काबू पाना बन गया और इसके लिए उसने ब्याज दरों में 0.25 फीसदी वृद्धि कर दी है।

असल में रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति का अनुमान बढ़ाकर एक तरह से अपनी चमड़ी बचाई है क्योंकि कुछ दिन पहले ही आए आंकड़ों के मुताबिक फरवरी में मुद्रास्फीति की दर 8.31 फीसदी रही है। चालू माह के अंत तक इसके किसी भी सूरत में 7 फीसदी पर आने की गुंजाइश नहीं है। इसलिए अपना अनुमान बढ़ाकर कम से कम 8 फीसदी करना रिजर्व बैंक की मजबूरी थी।

गुरुवार को मौद्रिक नीति की मध्य-तिमाही समीक्षा में रिजर्व बैंक ने रेपो दर को 6.5 फीसदी के अब तक के स्तर से बढ़ाकर 6.75 फीसदी और रिवर्स रेपो दर को 5.5 फीसदी से बढ़ाकर 5.75 फीसदी कर दिया है। रेपो दर पर रिजर्व बैंक अपनी चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएनएफ) के तहत बैंकों को चंद दिनों के लिए उधार देता है, जबकि रिवर्स रेपो दर पर वह बैंकों का अतिरिक्त धन अपने पास रखता है। नई दरें तत्काल प्रभाव से लागू हो गई हैं। इन दरों को ब्याज दरें बढ़ने या गिरने का संकेत माना जाता है क्योंकि जब खुद बैंक ज्यादा ब्याज देंगे तो जाहिर है कि वे कर्ज पर ग्राहकों से ज्यादा ब्याज लेंगे।

मुद्रास्फीति के बारे में मौद्रिक नीति की मध्य-तिमाही समीक्षा वक्तव्य में कहा गया है कि जनवरी 2011 में मामूली कमी के बाद थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति की दर फरवरी फिर बढ़ गई। इसमें गैर-खाद्य मैन्यूफैक्चर्ड उत्पादों में तेज मूल्य वृद्धि हुई है। हालांकि अपेक्षा के अनुरूप जनवरी के बाद से खाद्य वस्तुओं की कीमतों में काफी गिरावट आई है। फिर भी दूध व मांस-मछली जैसे प्रोटीन-युक्त खाद्य वस्तुओं की कीमतें ज्यादा बनी हुई हैं जो मांग व सप्लाई के बड़े संरचनात्मक असंतुलन को दिखाता है। बजट 2011-12 में कृषि संबंधी वस्तुओं की सप्लाई को सुधारने के उपाय इस असंतुलन को ठीक करने में मदद करेंगे।

रिजर्व बैंक का कहना है कि वैश्विक रुझान को दर्शाते हुए ईंधन की कीमतें ज्यादा बनी हुई हैं। गैर-खाद्य मैन्यूफैक्चर्ड उत्पादों की मुद्रास्फीति जनवरी में 4.8 फीसदी थी, लेकिन फरवरी में तेजी से बढ़कर 6.1 फीसदी हो गई और यह अब भी मध्यम-अवधि के रुझान से काफी ज्यादा है। यह बात मांग की तरफ से बढ़ते दवाब की परिचायक है। यह रुझान तमाम मैन्यूफैक्चरिंग गतिविधियों में है जो जाहिर करता है कि उत्पादक बढ़ी हुई लागत उपभोक्ता पर डाल दे पा रहे हैं।

रिजर्व बैंक ने कहा है कि उसने मौद्रिक नीति की तीसरी त्रैमासिक समीक्षा में चालू वित्त वर्ष के अंत मार्च 2011 के लिए थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति का अनुमान बढ़ाकर 7 फीसदी कर दिया था। लेकिन कच्चे तेल के अंतरराष्ट्रीय दाम, नियंत्रण से बाहर लाए गए पेट्रोलियम पदार्थों की कीमत पर उसके असर, कोयले के प्रशासनिक या सरकारी मूल्यों में वृद्धि और गैर-खाद्य मैन्यूफैक्चर्ड उत्पादों की महंगाई ने मुद्रास्फीति पर दबाव बढ़ा दिया है। इसलिए अब रिजर्व बैंक मार्च के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान बढ़ाकर 8 फीसदी के आसपास कर रहा है। बता दें कि फरवरी में मुद्रास्फीति की दर 8.31 फीसदी और जनवरी में 8.23 फीसदी रही है।

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