क्या सितंबर में बाजार के धराशाई होने का हिन्डेनबर्ग अपशगुन सही साबित होगा या यह लेखक जो कह रहा है कि हमारा बाजार इस दौरान नई ऊंचाई पर पहुंच जाएगा? इसका फैसला तो सितंबर 2010 के अंत ही हो पाएगा। आज वो मौका नहीं है कि मैं बताऊं कि आपको क्या करना चाहिए। बस, थोड़ा इंतजार कीजिए। हकीकत आपके सामने होगी। अभी तो आप वाकई अवांछित बातों और विचारों को सुन-सुनकर डरे हुए होंगे। ऐसे में मेराऔरऔर भी

रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति से ज्यादा उम्मीद करने जैसा कुछ था ही नहीं। रेपो दर में चौथाई फीसदी की वृद्धि बाजार की लय को नहीं तोड़ सकती थी। बाजार अब तेजी के दौर में जा पहुंचा है। मजाक बहुत हो चुका है। अभी तक ऑपरेटरों ने रिटेल निवेशकों पर सवारी गांठी है और शेयर भावों को अपने हिसाब से तोड़ा-मरोड़ा है। पहले भारती एयरटेल को डाउनग्रेड किया गया और फिर अपग्रेड। अब मारुति को डाउनग्रेड कियाऔरऔर भी

कल माइक्रोसॉफ्ट के अच्छे नतीजों ने अमेरिकी बाजार को टॉप गियर में पहुंचा दिया। लेकिन आज सुबह से ही ईमेल आने शुरू हो गए कि स्पेन के 18 बैंक स्ट्रेस टेस्ट (प्रतिकूल हालात से निपटने की क्षमता की परीक्षा) में फेल हो गए हैं। चेतावनी दी गई कि मेटल सेक्टर गिरनेवाला है। ऐसी तमाम सारी हाय-हाय मचाई गई। आप अच्छी तरह समझ लें कि ये सब मंदड़ियों की कुंठा व हताशा है जो इस तरह की खबरोंऔरऔर भी

बाजार ने शुरू में थोड़ी घबराहट दिखाई। लेकिन आखिर में बंद हुआ 18,000 के थोड़ा और करीब पहुंचकर। और, यह कोई असामान्य बात नहीं है। मेरे मुताबिक इसमें कोई दो राय नहीं है कि बाजार अब ज्यादा चुनौतीपूर्ण और जटिल हो चुका है। बाजार (बीएसई सेंसेक्स) 8000 अंक से 18,000 अंकों तक का लंबा फासला तय कर चुका है। इसलिए अगर आप सोचते हैं कि आप बाजार के धुरंधर हो गए हैं और अच्छा मुनाफा कमा सकतेऔरऔर भी