अब तो सब चले रीयल्टी की राह

हां, दुनिया के बाजारों ने भारतीय बाजार को एक और आवेग दिया जिससे निफ्टी फिर से 6215 तक चला गया। हालांकि वह एक बार 6248 के खतरे के निशान को भी छू गया था। लेकिन मैं अब भी निफ्टी के बारे में तेजी की धारणा पालने को तैयार नहीं हूं। मैं यही चाहूंगा कि मेरे साथ चलनेवाले भी इस मामले में पर्याप्त सावधानी बरतें। मैंने निफ्टी, ऑटो और बैंकिंग में बेचने की सलाह दी थी, लेकिन उसे खरीद के साथ बराबर करते या हेजिंग करते हुए। इसे हमेशा ध्यान में रखना चाहिए और बिक्री की बराबरी रीयल्टी सेक्टर में खरीद से की जानी चाहिए।

सेंचुरी पिछले दो दिनों में 30 रुपए बढ़ चुका है जो तकरीबन 6 फीसदी होता है। इस दरम्यान शिपिंग कॉरपोरेशन में 20 फीसदी का उछाल आ चुका है, जबकि निफ्टी, ऑटो और बैंकों के शेयर अब भी जूझे चले जा रहे हैं। अब ब्याज दरें बढ़ाने की तारीख करीब आती जा रही है। मौद्रिक नीति की दूसरी त्रैमासिक समीक्षा 2 नवंबर को पेश की जानी है। बहुत साफ दिख रहा है कि ब्याज दरें बढ़ने से बैंकिंग व ऑटो सेक्टर पर नकारात्मक असर पड़ेगा।

रीयल्टी के मूल्य 2008 के स्तर से बहुत ज्यादा बढ़ चुके हैं। असल में ये पिछले अधिकतम स्तर से 50 फीसदी ज्यादा चल रहे हैं। कंपनियों के पास रखी जमीन चुकती जा रही है। रीयल्टी क्षेत्र की कंपनियां कर्ज के बोझ के चलते खुद को काफी साध चुकी हैं। उनकी कार्यशील पूंजी की जरूरतें बहुत घट चुकी हैं। वे अब फिर से जमीन का जखीरा बनाने लगी हैं। प्रमुख ब्रोकिंग हाउस और निवेशक रीयल्टी स्टॉक्स में होल्डिंग बनाने लगे हैं। एक प्रमुख ब्रोकर ने डीएस कुलकर्णी डेवलपर्स में 2 फीसदी इक्विटी हिस्सेदारी खरीद ली है, जबकि एक बिल्डर ने इस आधार पर बॉम्बे डाईंग में लगभग 5 फीसदी शेयर खरीदे हैं कि प्रॉपटी के धंधे से कहीं ज्यादा आसानी से पैसे रीयल्टी स्टॉक्स में बनाए जा सकते हैं। उसका आकलन है कि बॉम्बे डाईंग के शेयर की असल कीमत 2500 रुपए और सेंचुरी की 2000 रुपए है। अब तो लगभग सभी ब्रोकिंग हाउस रीयल्टी में खरीद की सलाह दे रहे हैं, हालांकि हमने सबसे पहले ऐसा किया था। मेरा मानना है कि दिसंबर के अंत तक रीयल्टी सेक्टर के शेयर 25 फीसदी बढ़ जाएंगे।

वीआईपी में 870 रुपए तक जाने के बाद 16 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। ऐसा शेयर के कई हाथों में बंटने से हो सकता है जिसे हमारे बहुत सारे निवेशक भाई नहीं समझते। जब तक वीआईपी में 1200 रुपए का लॉलीपॉप नहीं दिखाया जाएगा, तब तक इसका ऑपरेटर हाथ साफ करता ही रहेगा। ऐसा ही कुछ हिंद ऑयल में 450 रुपए के भाव पर हुआ था और यह गिरते-गिरते 190 रुपए तक आ गया था। लेकिन एक बात गांठ बांध लीजिए कि सभी एफआईआई और एचएनआई (हाई नेटवर्थ इंडीविजुअल या अमीर निवेशक) बिग बुल (आरजे या राकेश झुनझुनवाला) और उसके बड़े अंदाज को पसंद करते हैं और इसलिए उन्हें इसके लिए उसे दोषी नहीं ठहराना चाहिए।

वह यहां अपनी कमाई करने आया है, न कि आपकी। उसने कभी भी आपसे खरीदने को नहीं कहा और न ही कभी आपको बेचने से रोका। आप वोल्यूम के पीछे भागते रहे। इसलिए आपको शेयर बाजार में निवेश के अपने हर फैसले के लिए खुद को ही जिम्मेदार मानना होगा। यह सच है कि अगर आगे निफ्टी में गिरावट आती है, तब भी रीयल्टी क्षेत्र के शेयर धारा के खिलाफ जाकर बढ़ेंगे क्योंकि वे सेंसेक्स का हिस्सा ही नहीं हैं। जब दूसरे गिर रहे होंगे, तब सेंसेक्स को बचाने के लिए अकेला रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) ही काफी है।

आपका अपना तरीका है। मेरा अपना तरीका है। और, जहां तक सही और एकमात्र तरीके की बात है तो ऐसा कोई तरीका है ही नहीं।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ हैलेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)

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