माना जाता है कि शेयर बाज़ार स्टॉक्स की प्राइस डिस्कवरी या मूल्य की खोज का आदर्श माध्यम है। लेकिन इस बाज़ार में ‘खेला’ होता रहता है। अपने यहां ठीक आम चुनावों के बाद दो दिन में जो ‘खेला’ हुआ, उसका भेद शायद कभी न खुले। लेकिन मामला इतना आसान भी नहीं, जैसा केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल बताते हैं कि एक्जिट पोल आने के बाद विदेशी निवेशकों ने ऊंचे भाव पर शेयर खरीदे, जबकि भारतीय निवेशकों ने ज्यादा भाव पर शेयर बेचकर मुनाफा कमाया। शनिवार को एक्जिट पोल आने के बाद सोमवार की ट्रेडिंग में निफ्टी 3.25% बढ़ा था, जबकि मंगलवार को चुनाव नतीजे आने पर 5.93% टूट गया। बाज़ार पूंजीकरण महज एक दिन में ₹30.90 लाख करोड़ उड़ गया। इसमें से बड़ा नुकसान कैश में नहीं, बल्कि फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस सेगमेंट में उन रिटेल निवेशकों को हुआ है जिन्होंने एक्जिट पोल पर भरोसा करके बाज़ार बढ़ने के उन्माद में आकर 3 जून को जमकर कॉल ऑप्शंस खरीदे, मगर 4 जून बाज़ार घराशाई हुआ तो उनका सारा धन डूब गया। असल में अपने यहां शेयर बाजार का 99% से ज्यादा वोल्यूम एफ एंड ओ सेगमेंट में होता है, जबकि कैश सेगमेंट का वोल्यूम 1% से भी कम रहता है। अब तथास्तु में आज की कंपनी…
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