हिंदी समाज को वित्तीय रूप से साक्षर बनाने की मुहिम के साथ शुरू हुई आपकी इस वेबसाइट ने छह महीने बीतते-बीतते ही अपनी जगह बनानी शुरू कर दी है है। अर्थकाम को देश में नए बिजनेस के सर्वोत्तम 74 ‘पावर ऑफ आइडियाज’ में चुन लिया गया है। ‘पावर ऑफ आइडियाज’ प्रतियोगिता का आयोजन इकनॉमिक टाइम्स, आईआईएम अहमदाबाद और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय की तरफ से किया जाता है। इसमें अंतिम रूप से जीतनेवाले आइडिया को आगे बढ़ाने के लिए निवेशकों से लेकर धन तक का इंतजाम किया जाता है। इस साल देश भर से आए कुल 16,242 बिजनेस आइडिया में से केवल 74 को अंतिम सूची में जगह मिली है। इसमें अर्थकाम इकलौता ऐसा बिजनेस विचार है जो हिंदी समाज का प्रतिनिधित्व करता है।
हमारा मानना है कि हिंदी समाज से निकली और हिंदी समाज पर केंद्रित किसी धारणा को बिजनेस वेंचर मान लिया जाना काफी उत्साह बढ़ानेवाली घटना है। ये बात यह भी साबित करती है कि उद्यमशीलता अंग्रेजी की बपौती नहीं है। नवोन्वेष किसी भाषा का मोहताज नहीं है। अगर हम व्यापक समुदाय की जरूरतों को पूरा करने का बीड़ा उठा लें तो अपनी धारणा को उद्यम का स्वरूप दिया जा सकता है।
बता दें कि अर्थकाम के संस्थापक व संपापक अनिल सिंह ठीक इससे पहले फरवरी 2010 तक दैनिक भास्कर समूह के आर्थिक अखबार बिजनेस भास्कर के मुंबई ब्यूरो चीफ रहे हैं। 1990 में संडे ऑब्जर्वर के बिजनेस डेस्क से अपने करियर की शुरुआत करने के बाद वे अमर उजाला, दैनिक जागरण, राष्ट्रीय सहारा, जर्मन रेडियो डॉयचे वेले, एनडीटीवी इंडिया, सीएनबीसी आवाज और स्टार न्यूज में काम कर चुके हैं।
उनका कहना है कि तमाम मीडिया संस्थानों में एक तरह की सीमाएं हैं। टेलिविजन और अखबार को चलाने के खर्च इतने हैं कि संपादकीय नीति में समझौता करना अपरिहार्य हो जाता है। सामान्य-सा अखबार भी अपना सर्कुलेशन 50000 भी बढ़ाना चाहे तो प्रति कॉपी 3 रुपए नुकसान के चलते उसे हर दिन 1.5 लाख का घाटा उठाना पड़ेगा। इतना विज्ञापन नहीं मिला तो वह सर्कुलेशन नहीं बढ़ा सकता। टेलिविजन न्यूज में टीआरपी न आए तो विज्ञापन से कमाई नहीं होती, इसलिए वहां का नेतृत्व संभालते ही पत्रकारिता के तमाम शेर खूंटे से बंधे मेमने बन जाते हैं। लेकिन इंटरनेट तेजी से उभरता ऐसा माध्यम है जहां निर्बाध और निरपेक्ष पत्रकारिता की जा सकती है।
आपको ध्यान होगा कि अर्थकाम की शुरुआत 1 अप्रैल 2010 से की गई है। 6 अप्रैल को उसने बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कंपनी सीएनआई रिसर्च के साथ शेयर बाजार की सूचनाओं के आदान-प्रदान का सहयोग समझौता किया। और, छह महीने पूरा होते ही उसे श्रेष्ठ ‘पावर ऑफ आइडियाज’ में शामिल कर लिया गया है। अब 9 से 16 अक्टूबर तक अर्थकाम की टीम के दो सदस्य बाकी चुने हुए उद्यमियों के साथ आईआईएम अहमदाबाद में आयोजित एक वर्कशॉप में हिस्सा लेंगे। इसके अंत में सभी उद्यमियों को सीड फंडिग उपलब्ध कराई जाएगी। अगले दौर में उन्हें सीधे ऐसे राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय निवेशकों से मिलाया जाएगा जो उनके उद्यम को निखारने के लिए पूंजी निवेश करेंगे।
हार्दिक शुभकामनाएं स्वीकारिये। आपका कार्य मौलिक है साथ ही अन्य लोगों के लिये प्रेरणास्पद भी…….
पुनः शुभेच्छाएं
CONGRATULATION, FOR THIS GREAT ACHIEVEMENT FOR ALL CREDITS GOING TO MR. ANIL SINGH ( THE MASTER OF VALUABLE IDEAS THROUGH RESEARCH REPORTS OF COMPANIES)
THANKING YOU
PARSHURAM
Sir, Congrats. Hindi belt People are hunger for economy and share bazaar based informations and guidance.they want make profit from India growth story but their is no standard and reliable resources are available in the market. So you can fill this gap. Hindi belt people are waiting…..
Thanks
Rajanish Kant
Congratulations.. you deserve it.
Hardik subhkamnaye puri team ke liye. JAI HINDI JAI BHARAT.
आपकी लगन और मेहनत ने हमेशा रंग दिखाया है। जब जो चाहा पाया. नई चुनौती को संभाला और वह कर दिखाया, जिसकी अपेक्षा थी। आपका अर्थकाम सच में भाषा को लेकर उपजने वाले संकोच को तोड़ा है। खासतौर पर निवेशकों को जानकारी के नाम सिर्फ ठगा जाता रहा है। आईपीओ आने से पहले अखबार व चैनलों पर विज्ञापन की लालच में कंपनियां जो चाहती थीं वहीं परोसा जाता रहा है। लेकिन अर्थकाम ने उन खुदरा व छोटे निवेशकों के ज्ञान को मजबूत किया है। आपकी उद्ममशीलता व ज्ञान को सलाम।।।। ज्ञान किसी की बपौती नहीं होती है। खासतौर से अंग्रेजी दां लोगों की हेकड़ी को चुनौती तो अनिल ही दे सकते थे और दिया भी। ढेर सारी बधाइयां।।।।।।।
शब्द नहीं है कि आपकी उपलब्धियों का बखान कर सकूं। सिर्फ बधाई और बधाई।
एसपी सिंह