झूठ या सच!

सच-झूठ के बीच कभी रहा होगा काले-सफेद या अंधेरे उजाले जैसा फासला। लेकिन अब यह फासला इतना कम हो गया है कि कच्ची निगाहें इसे पकड़ नहीं सकतीं। जौहरी की परख और नीर-क्षीर विवेक पाना जरूरी है।

1 Comment

  1. दोनो एक दूसरे की ओर बढ़ रहे हैं।

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