हम आमतौर पर जिन कारों की सवारी करते हैं, उनमें लगनेवाले पेट्रोल या डीजल का महज 5% हमें ढोने में लगता है। 80% ईंधन तो खुद कार को ढोने में लग जाता है। बाकी 15% हिस्सा ईंधन को ऊर्जा में बदलने की प्रक्रिया के दौरान बरबाद चला जाता है। विकसित देशों में कार जरूरत की सवारी है, जबकि अपने यहां जरूरत से ज्यादा शान और दिखावे की। यह दिखावा हमारी ही नहीं, देश की जेब पर भीऔरऔर भी

मान्यता, संस्कार या परंपरा – ये सब जड़त्व व यथास्थिति के पोषक हैं, जबकि शिक्षा से निकली वैज्ञानिक सोच गति का ईंधन है। जड़त्व और गति की तरह शिक्षा और संस्कार में भी निरंतर संघर्ष चलता रहता है जिसमें अंततः गति का जीतना ही जीवन है।और भीऔर भी

खाद्य मुद्रास्फीति 27 अगस्त को खत्म सप्ताह में थोड़ा घटकर 9.55 फीसदी पर आ गई। हालाकि सप्ताह के दौरान दाल और गेहूं को छोड़कर अन्य सभी प्राथमिक खाद्य वस्तुओं के दाम एक साल पहले की तुलना में ऊंचे रहे। इससे पिछले सप्ताह में खाद्य मुद्रास्फीति 10.05 फीसदी थी जबकि पिछले साल 2010 के इसी सप्ताह में यह 14.76 फीसदी थी। असल में कुछ सप्ताह तक नरम रहने के बाद 20 अगस्त को समाप्त सप्ताह के दौरान खाद्यऔरऔर भी

देश जबरदस्त विरोधाभास से जूझ रहा है। खाद्यान्नों के रिकॉर्ड उत्पादन के बावजूद खाने-पीने की चीजों की महंगाई दर थमने का नाम नहीं ले रही। 16 जुलाई को खत्म हफ्ते में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित खाद्य मुद्रास्फीति नवंबर 2009 से बाद के सबसे न्यूनतम स्तर 7.33 फीसदी पर थी। लेकिन 23 जुलाई को खत्म हफ्ते मे यह फिर से बढ़कर 8.04 फीसदी पर पहुंच गई है। वैसे साल भर पहले तो और भी भयंकर स्थिति थीऔरऔर भी

मंगलवार को मई में औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार घटकर 5.6 फीसदी रह जाने का आंकड़ा सामने आया तो लगने लगा कि रिजर्व बैंक शायद 26 जुलाई, मंगलवार को मौद्रिक नीति की पहली त्रैमासिक समीक्षा में ब्याज दरें बढ़ाने का अमंगल न करे। लेकिन जून माह में सकल मुद्रास्फीति के बढ़कर 9.44 फीसदी हो जाने ने इस आशा पर पानी फेर दिया है। अब नीतिगत दरों – रेपो व रिवर्स रेपो दर में कम से कम 0.25 फीसदीऔरऔर भी

खाद्य मुद्रास्फीति 25 जून को खत्म सप्ताह में घटकर सात हफ्तों के न्यूनतम स्तर 7.61 फीसदी पर आ गई। लेकिन वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी का कहना है कि अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति का काफी दाब अभी बाकी है। गुरुवार को सरकार की तरफ से जारी आंकड़ों के अनुसार थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित खाद्य मुद्रास्फीति 25 जून को खत्म सप्ताह में 7.61 फीसदी रही है। यह इससे एक हफ्ते पहले 7.78 फीसदी और एक साल पहले जून 2010औरऔर भी

हमारे नीति-नियामक कितने मतिअंध हैं, इसका प्रमाण पेश कर दिया मंगलवार को जारी मई माह की मुद्रास्फीति के आंकड़ों ने। तीन दिन पहले ही वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु कह रहे थे कि थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति की दर मई में 8.6 फीसदी रह सकती है जो अप्रैल माह के 8.66 फीसदी से कम होगी। लेकिन वास्तव में यह आंकड़ा 9.06 फीसदी का निकला है। सवाल उठता है कि क्या इतने खासऔरऔर भी