भारतीय रिजर्व बैंक और उसके गवर्नर शक्तिकांत दास ने अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए कृषि क्षेत्र से बड़ी उम्मीद लगा रखी है। दास का कहना है, “कृषि व संबंधित गतिविधियां ग्रामीण मांग को आवेग देकर हमारी अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार का नेतृत्व कर सकती हैं।” सही बात है। नेतृत्व ज़रूर कर सकती हैं। लेकिन अर्थव्यवस्था का पूरा उद्धार नहीं कर सकतीं क्योंकि हमारे जीडीपी में कृषि, वानिकी व मत्स्य पालन जैसी संबंधित गतिविधियो का योगदान घटते-घटते 14 प्रतिशतऔरऔर भी

खाद्य, उर्वरक और पेट्रोलियम सब्सिडी के बोझ ने वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी की रातों की नींद उड़ा दी है। वित्त मंत्री ने बुधवार को राजधानी दिल्ली में आयोजित राज्यों के कृषि व खाद्य मंत्रियों के सम्मेलन में खुद यह बात कही। दो दिन का यह सम्मेलन लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली और भंडारण के मुद्दे पर बुलाया गया है। प्रणब मुखर्जी ने कहा, ‘‘वित्त मंत्री के तौर पर जब मैं विभिन्न मदों में दी जाने वाली भारी सब्सिडीऔरऔर भी

कोरोमंडल इंटरनेशनल दक्षिण भारत के मुरुगप्पा समूह की कंपनी है। फर्टिलाइजर, स्पेशियलिटी न्यूट्रिएंट व फसल बचाने के उत्पादों के साथ-साथ रिटेल के धंधे में भी है। 2007 में उसने दो रिटेल आउटलेट से शुरुआत की थी। अभी उसके पास आंध्र प्रदेश के ग्रामीण अंचल में 425 से ज्यादा रिटेल स्टोर हैं जहां खाद वगैरह के साथ ही कपड़े-लत्ते व रोजम्रर्रा की तमाम चीजें मिलती हैं। कंपनी फॉस्फेट खाद में देश की दूसरी सबसे बड़ी निर्माता है। मतलबऔरऔर भी

वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने स्वास्थ्य और शिक्षा में किए गए निवेश को भी इंफ्रास्ट्रक्चर में शामिल करने का एलान किया है। इससे पहले 28 फरवरी को पेश बजट में वे कोल्ड स्टोरेज चेन और उर्वरक उद्योग में किए गए पूंजी निवेश को इंफ्रास्ट्रकर में शामिल करने की पेशकश कर चुके हैं। शुक्रवार को लोकसभा में बजट 2011-12 पर हुई बहस का जवाब देते हुए वित्त मंत्री ने कहा, “स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माणऔरऔर भी

चार महीने पहले 9 नवंबर 2010 को गुजरात नर्मदा वैली फर्टिलाइजर्स कंपनी का जो शेयर (बीएसई – 500670, एनएसई – GNFC) 144 रुपए पर था, अब 9 मार्च 2010 को घटकर 52 हफ्ते के न्यूनतम स्तर 96.60 रुपए पर आ गया है। इस बीच ऑपरेटरों के खेल को छोड़ दें तो कंपनी के साथ सब कुछ शुभ-शुभ ही हुआ है। कम से कम ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है जो उसका शेयर करीब 33 फीसदी गिर जाए।औरऔर भी

2010 में बाजार से तेज रफ्तार से भागने वाले स्टॉक्स को भूल जाओ। वो साल पीछे छूट चुका है। अब तो साल 2011 में बाजार को पछाड़ने वाले नए दबंग स्टॉक्स बनेंगे। इस साल मंच संभालने वाले सेक्टर होंगे – इंफ्रास्ट्रक्चर, रीयल्टी, कंज्यूमर ड्यूरेबल, चाय और फर्टिलाइजर। निफ्टी 5700 तक नीचे जाने के बाद वापस 6200 के करीब पहुंच चुका है जहां से उसकी नई ऊंचाई ज्यादा दूर नहीं है। आखिर निफ्टी इतनी तेजी से नई ऊंचाईऔरऔर भी

दोपहर तक बीएसई सेंसेक्स 20,000 के नीचे और एनएसई निफ्टी 6000 के नीचे चला गया था। लेकिन यह कोई चिंता की बात नहीं, क्योंकि बाजार दो कदम आगे बढ़ने से पहले एक कदम पीछे चलकर अपने पैर जमाता है। चिंता की बात यह है कि हजारों कंपनियों के बीच हम निवेश के लिए किन-किन को चुनें। इसमें भी कंपनियों को चुनना तो बाद में होता रहेगा। उससे पहले यह जानने की जरूरत है कि कौन से सेक्टरऔरऔर भी