वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने स्वास्थ्य और शिक्षा में किए गए निवेश को भी इंफ्रास्ट्रक्चर में शामिल करने का एलान किया है। इससे पहले 28 फरवरी को पेश बजट में वे कोल्ड स्टोरेज चेन और उर्वरक उद्योग में किए गए पूंजी निवेश को इंफ्रास्ट्रकर में शामिल करने की पेशकश कर चुके हैं।
शुक्रवार को लोकसभा में बजट 2011-12 पर हुई बहस का जवाब देते हुए वित्त मंत्री ने कहा, “स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण की गति को और बढ़ाने की जरूरत है। मुझे यह घोषित करने में खुशी हो रही है कि आगे से शिक्षण संस्थानों और अस्पतालों में किए गए पूंजी निवेश को इंफ्रास्ट्रक्चर का सब-सेक्टर माना जाएगा।”
उन्होंने कहा कि इन सब-सेक्टरों में किया गया पूंजी निवेश वित्त मंत्रालय की वायबिलिटी गैप फंडिंग स्कीम से लाभ पाने का हकदार होगा। इस विषय में व्यापक दिशानिर्देश जल्दी ही घोषित कर दिए जाएंगे। वित्त मंत्री का कहना था कि शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र को सरकार की नीति फ्रेमवर्क में उच्च प्राथमिकता मिली हुई है।
25 बिस्तरों या इससे अधिक क्षमता वाले सेंट्रली एयर-कंडीशंड अस्पतालों पर 5 फीसदी सर्विस टैक्स लगाने के प्रस्ताव पर वित्त मंत्री का कहना था कि, “2011-12 का बजट पेश करने के बाद मुझे तमाम सुझाव मिले हैं। सांसदों ने भी कर प्रस्तावों पर कीमती फीडबैक दिया है। इन सभी पर विचार किया जा रहा है।” उन्होंने कहा कि वे इसी सत्र में वित्त विधेयक 2011 पर चर्चा के दौरान अपना जवाब देंगे। उम्मीद है कि 22 मार्च को वित्त मंत्री लोकसभा में वित्त विधेयक पर अपना जवाब पेश करेंगे।
इस सारी कार्यवाही के बीच शुक्रवार को लोकसभा ने 2011-12 के बजट के पहले चरण और चालू वित्त वर्ष की अनुपूरक अनुदान मांगों को मंजूरी दे दी। सरकार ने पिछले हफ्ते सदन में चालू वित्त वर्ष के खर्चों के लिए 79,950 करोड़ रुपए की अनुपूरक अनुदान मांगें पेश की थीं। इसमें से 21,000 करोड़ रुपए तेल मार्केटिंग कंपनियों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए हैं, जबकि 8000 करोड़ अतिरक्त उर्वरक सब्सिडी के लिए है।