चार महीने पहले 9 नवंबर 2010 को गुजरात नर्मदा वैली फर्टिलाइजर्स कंपनी का जो शेयर (बीएसई – 500670, एनएसई – GNFC) 144 रुपए पर था, अब 9 मार्च 2010 को घटकर 52 हफ्ते के न्यूनतम स्तर 96.60 रुपए पर आ गया है। इस बीच ऑपरेटरों के खेल को छोड़ दें तो कंपनी के साथ सब कुछ शुभ-शुभ ही हुआ है। कम से कम ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है जो उसका शेयर करीब 33 फीसदी गिर जाए। वैसे इस शेयर का उच्चतम स्तर 146.20 रुपए का है जो इसने 12 नवंबर 2010 को हासिल किया था।
कंपनी ने 17 फरवरी को सूचित किया कि साल भर पहले फरवरी 2010 में उसके अमोनिया संयंत्र के वेस्ट हीट बॉयलर में जो आग लगी थी, उसके नुकसान की भरपाई के लिए उसे न्यू इंडिया एश्योरेंस ने 141.20 करोड़ रुपए का क्लेम मिल गया है। इससे पहले 29 जनवरी को उसने दिसंबर तिमाही के नतीजे घोषित किए थे। इस अवधि में कंपनी ने 833.89 करोड़ रुपए की बिक्री पर 88.35 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है, जबकि साल भर पहले इसी अवधि में उसकी बिक्री 765.90 करोड़ और शुद्ध लाभ 59.69 करोड़ रुपए था। इस तरह उसकी बिक्री में 8.88 फीसदी और शुद्ध लाभ में 48.01 फीसदी का इजाफा हुआ है।
इससे भी पहले कंपनी की तरफ से बताया गया था कि प्रवर्तकों ने अपने कोई शेयर गिरवी नहीं रखे हैं। असल में कंपनी की माली हालत बिगड़ने के बारे में बाजार में उसी समय से अफवाहें फैलाई जा रही हैं। बता दें कि इस कंपनी में कोई व्यक्तिगत प्रवर्तक नहीं है। इसकी प्रवर्तक दो कंपनियां हैं – गुजरात स्टेट फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स (जीएसएफसी) और गुजरात स्टेट इनवेस्टमेंट्स। कंपनी की 155.42 करोड़ रुपए की इक्विटी में इनकी हिस्सेदारी क्रमशः 19.80 फीसदी और 21.38 फीसदी है और ये दोनों ही मुख्तया गुजरात सरकार की कंपनियां हैं।
प्रवर्तकों की 41.18 फीसदी हिस्सेदारी के बाद बची 68.82 फीसदी इक्विटी में से एलआईसी के पास 10.76 फीसदी, जीआईसी के पास 2.92 फीसदी और न्यू इंडिया एश्योरेंस के पास 1.35 फीसदी शेयर हैं। कंपनी के शेयर का अंकित मूल्य 10 रुपए है। इस पर वह पिछले पांच सालों में कभी 4.25 तो कभी 3.25 रुपए लाभांश देती रही है। उसका मार्केट लॉट एक शेयर का है। 96.85 रुपए के मौजूदा बाजार भाव पर उसका शेयर 16.47 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। शेयर की बुक वैल्यू 142.11 रुपए है, यानी बाजार भाव से लगभग डेढ़ गुना। कंपनी की मजबूती दिखाने के लिए इतना काफी है। कंपनी के पास इस समय 1923.63 करोड़ रुपए के रिजर्व हैं। जाहिर है कि कंपनी कभी भी मजे से अपने शेयरधारकों को बोनस शेयर दे सकती है।
इसका मुख्यालय गुजरात के भरुच में है। 1976 में कंपनी का गठन हुआ। वह उर्वरक और औद्योगिक रसायन बनाती व बेचती है। उर्वरकों में वह यूरिया से लेकर डीएपी (डाई अमोनियम फॉस्फेट) और एमओपी (म्यूरेट ऑफ पोटाश) तक बनाती है। औद्योगिक रसायनों में वह मेथेनॉल, एसीटिक एसिड, फॉर्मिक एसिड, टॉल्यून डाई-आइरसो साइनेट, कैल्शियम अमोनियम नाइट्रेड और नाइट्रिक एसिड वगैरह बनाती है। ये रसायन रबर, टेक्सटाइल, टैनरी व दवा उद्योग में इस्तेमाल किए जाते हैं।
इसके अलावा वह तमाम आईटी सेवाएं भी देती हैं, जिनमें डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट, डाटा सेंटर, ई-प्रोक्योरमेंट, ई-गवर्नेंस सेवाएं शामिल हैं। वैसे, सब कुछ दुरुस्त होने के बावजूद कंपनी की वेबसाइट खोलने की कोशिश करते ही ब्राउजर उसे असुरक्षित बता देते हैं। कंपनी को फौरन अपनी वेबसाइट दुरुस्त करनी चाहिए। फिर भी सारे पहलुओं पर गौर करने के बाद लगता है कि यह कंपनी में दूरगामी निवेश के लिए एकदम मुफीद है। वैसे भी कृषि-प्रधान देश में कृषि-प्रधान कंपनियों का भविष्य अच्छा ही रहने वाला है।
hi mr anil,
thats the company i am focusing on these days stock is under valued but it can be value trap for those investor who are searching for undervalued scripts thats what i feel.few things are bothering me about this .
why the return over equity is low( ROE)
is management not shareholder friendly?
ROCE is again very low
I am also looking at one more company named (GIPCL) GUJ IND POWER CORP LTD which is again under valued with low cost raw material (lignite).what are ur views
regards
dr randeep singh