दिल्ली के राजनीतिक हलकों में भले ही हड़बड़ी मची हो, लेकिन रिजर्व बैंक को फिलहाल कोई हड़बड़ी नहीं है। उसने मौद्रिक नीति की मध्य-तिमाही समीक्षा में कुछ भी नहीं बदला। सीआरआर (नकद आरक्षित अनुपात) को पिछले ही हफ्ते उसने 5.5 फीसदी से घटाकर 4.75 फीसदी किया था तो उसे घटाने की गुंजाइश थी नहीं। ब्याज दर या रेपो दर में जरूर 0.25 फीसदी कमी की उम्मीद थी। बहुतेरे विश्लेषक मान रहे थे कि इसे 8.50 फीसदी सेऔरऔर भी

दो हफ्ते बाद 16 मार्च को पेश किए जानेवाले बजट में कई उत्पादों पर शुल्क की दरें बढ़ाई जा सकती हैं। साथ ही कर का दायरा भी बढ़ाया जा सकता है। बजट में इस तरह के तमाम उपाय होंगे ताकि रिजर्व बैंक आर्थिक विकास को गति देने के लिए बेझिझक ब्याज दरों में कमी कर सके। यह कहना है योजना आयोग के प्रधान सलाहकार प्रोनब सेन का। सेन ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स के हुई बातचीत में यहऔरऔर भी

देश की आर्थिक विकास दर अक्टूबर से दिसंबर 2011 की तिमाही में घटकर 6.1 फीसदी पर आ गई है। यह पिछले करीब तीन सालों (11 तिमाहियों) में किसी भी तिमाही की सबसे कम आर्थिक विकास दर है। चालू वित्त वर्ष 2011-12 की सितंबर तिमाही में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) की विकास दर 6.9 फीसदी और उससे पहले जून तिमाही में 7.7 फीसदी रही थी। आर्थिक विकास दर में आई इस गिरावट की मुख्य वजह इस साल अबऔरऔर भी

रिजर्व बैंक भले ही मानता हो कि चालू वित्त वर्ष 2011-12 में देश की आर्थिक विकास दर 7 फीसदी रहेगी, लेकिन वित्त मंत्रालय के आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु का कहना है कि यह 7 फीसदी से थोड़ी ज्यादा रहेगी। उन्होंने मंगलवार को यह आशा जताई। उनकी राय असल में पूरे वित्त मंत्रालय की राय है जिसका मानना है कि मार्च 2012 के अंत तक मुद्रास्फीति घटकर 6 से 7 फीसदी पर आ जाएगी। इस बीच सरकार नेऔरऔर भी

रिजर्व बैंक गवर्नर डॉ. दुव्वरि सुब्बाराव ने संकेत दिया है कि आगे ब्याज दरों में कटौती हो सकती है। मौद्रिक की अगली मध्य-तिमाही समीक्षा गुरुवार 15 मार्च को होनी है और शायद यह कटौती उसी दिन से शुरू हो जाए। तब तक संभवतः नए वित्त वर्ष 2012-13 का आम बजट भी आ चुका होगा। डॉ. सुब्बाराव ने मंगलवार को मौद्रिक नीति की तीसरी तिमाही की समीक्षा पेश करने के बाद आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा, “सीआरआर मेंऔरऔर भी

वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने यह तो माना है कि देश की अर्थव्यवस्था मुश्किल दौर से गुजर रही है, लेकिन उनका कहना है कि अब भी हालत इतनी खराब नहीं है कि हमारे सामने ‘छिपकली खाने’ की नौबत आ गई हो। वित्त मंत्री अंग्रेजी में ही बोलते हैं तो उनका असली कहा पेश है। उन्होंने बुधवार को लोकसभा में 2011-12 के बजट की अनूपूरक मांगों का प्रस्ताव पेश करते हुए लोकसभा में कहा: The economy is inऔरऔर भी

दो दिन पहले तक वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी कह रहे थे कि चालू वित्त वर्ष 2011-12 में देश की आर्थिक विकास दर घटकर 7.3 फीसदी पर आ जाएगी। लेकिन अब उनका कहना है कि यह दर 7.5 फीसदी रहेगी जो इस साल के बजट में बताए गए 9 फीसदी के अनुमान से काफी कम है। मुखर्जी ने शुक्रवार को राजधानी दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि मुझे भरोसा है कि हम वृद्धि दर में आईऔरऔर भी

आर्थिक हालात पर नजर रखनेवाली देश की निष्पक्ष संस्था, सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) ने चालू वित्त वर्ष 2011-12 के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर का अनुमान घटा दिया है। सीएमआईई के मुताबिक इस साल जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में 7.8 फीसदी वृद्धि का अनुमान है। इससे पहले उसने 7.9 फीसदी वृद्धि दर का अनुमान लगाया था। अपनी मासिक रिपोर्ट में सीएमआईई ने कहा है कि विभिन्न सेक्टरों की वृद्धि दर में भारी गिरावट केऔरऔर भी