आर्थिक विकास दर में हुई कतरब्योंत, तब रही थोड़ी कम, अब ज़रा ज्यादा

रिजर्व बैंक भले ही मानता हो कि चालू वित्त वर्ष 2011-12 में देश की आर्थिक विकास दर 7 फीसदी रहेगी, लेकिन वित्त मंत्रालय के आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु का कहना है कि यह 7 फीसदी से थोड़ी ज्यादा रहेगी। उन्होंने मंगलवार को यह आशा जताई। उनकी राय असल में पूरे वित्त मंत्रालय की राय है जिसका मानना है कि मार्च 2012 के अंत तक मुद्रास्फीति घटकर 6 से 7 फीसदी पर आ जाएगी। इस बीच सरकार ने बीते वित्त वर्ष 2010-11 में आर्थिक विकास दर का आंकड़ा 8.5 फीसदी से घटाकर 8.4 फीसदी कर दिया है।

गौरतलब है कि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) की विकास दर 7.3 फीसदी रही है जबकि साल भर की समान अवधि में यह दर 8.6 फीसदी थी। इसमें भी जून 2011 की तिमाही में जीडीपी 7.7 फीसदी और सितंबर 2011 की तिमाही में 6.9 फीसदी बढ़ा है। इसके मद्देनजर रिजर्व बैंक ने 24 जनवरी 2012 को तीसरी तिमाही की मौद्रिक नीति समीक्षा में पूरे वित्त वर्ष के लिए जीडीपी की विकास दर का अनुमान 7.6 फीसदी से घटाकर 7 फीसदी कर दिया। इसके हफ्ते भर बाद ही अब वित्त मंत्रालय का कहना है कि यह दर 7 फीसदी से थोड़ी ज्यादा रह सकती है।

इधर, सरकार की नई गणना से पता चला है कि 2010-11 में जीडीपी की वृद्धि दर 8.5 फीसदी के बजाय 8.4 फीसदी रही है। केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) ने मंगलवार को जारी अनुमान में कहा है कि 2004-05 के स्थिर मूल्यों के हिसाब से वास्तविक जीडीपी वित्त वर्ष 2010-11 में 8.4 फीसदी बढ़ा है। यह दर 2009-10 में हुई 8.4 फीसदी की वृद्धि के बराबर है। अभी तक वास्तविक जीडीपी में वृद्धि का आंकड़ा 2010-11 के लिए 8.5 फीसदी और 2009-10 के लिए 8 फीसदी का रहा था।

2010-11 में जीडीपी में वृद्धि का मुख्‍य स्रोत सेवा क्षेत्र रहा है, जिसमें 9.3 फीसदी की दर से वृद्धि हुई। कृषि क्षेत्र की वृद्धि भी 7 फीसदी के शानदार स्तर पर रही। इस दौरान उद्योग क्षेत्र की विकास दर 7.2 प्रतिशत रही। पहले 2010-11 में जीडीपी के 48,77,842 करोड़ रुपए होने का अनुमान था। अब यह आंकड़ा बढ़ाकर 48,85,954 करोड़ रुपए का कर दिया गया है। लेकिन 2009-10 का आंकड़ा भी 44,93,743 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 45,07,637 करोड़ रुपए कर दिए जाने से विकास दर 8.5 फीसदी से घटकर 8.4 फीसदी पर आ गई।

2010-11 में देश की बचत की दर 32.3 फीसदी रही है, जबकि 2009-10 में यह 33.8 फीसदी रही थी। इस कमी की मुख्य वजह घरों की वित्तीय बचत का घटना रहा है। 2010-11 में निवेश की दर या सकल घरेलू पूंजी निर्माण 35.1 फीसदी रहा है, जबकि 2009-10 में यह 36.6 फीसदी था।

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