ब्याज दरों का चक्र शीर्ष पर, घटेंगी आगे: सुब्बाराव

रिजर्व बैंक गवर्नर डॉ. दुव्वरि सुब्बाराव ने संकेत दिया है कि आगे ब्याज दरों में कटौती हो सकती है। मौद्रिक की अगली मध्य-तिमाही समीक्षा गुरुवार 15 मार्च को होनी है और शायद यह कटौती उसी दिन से शुरू हो जाए। तब तक संभवतः नए वित्त वर्ष 2012-13 का आम बजट भी आ चुका होगा। डॉ. सुब्बाराव ने मंगलवार को मौद्रिक नीति की तीसरी तिमाही की समीक्षा पेश करने के बाद आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा, “सीआरआर में कमी को इस मान्यता की पुष्टि के रूप में भी देखा जाना चाहिए कि ब्याज दरों का चक्र अपने शीर्ष पर पहुंच चुका है और ब्याज दरों के बारे में भावी कदम नीतिगत दरों को घटाने का होगा।”

लेकिन इसके साथ ही रिजर्व बैंक गवर्नर से स्पष्ट किया कि ब्याज दर में कटौती के वक्त और मात्रा का फैसला कई कारकों पर निर्भर है। इसमें खाद्य पदार्थों की सप्लाई, इंफ्रास्ट्रक्चर की स्थिति और श्रम बाजार में वेतन व कौशल के मिसमैच को पाटने के लिए किए गए प्रयास के साथ ही सबसे अहम कारक है सरकार का राजकोषीय घाटा। उसका यह घाटा उपभोग पर खर्च के ऊंचे स्तर के कारण पैदा हुआ है। यह देश के आर्थिक स्थायित्व के साथ ही मुद्रास्फीति के प्रबंधन के लिए अहम खतरा है।

डॉ. सुब्बाराव ने बताया कि चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर का अनुमान 7.6 फीसदी से घटाकर 7 फीसदी कर दिया गया है। लेकिन देश में कमजोर औद्योगिक प्रगति और सुस्त निवेश गतिविधियों के लिए वैश्विक माहौल आंशिक रूप से ही जिम्मेदार है। इसमें अनेक घरलू कारकों – अस्वस्थ राजकोषीय स्थिति, ऊंची ब्याज दरों और नीतिगत व प्रशासनिक अनिश्चितताओं की भी भूमिका रही है। उन्होंने यह भी साफ किया कि किसी भी उत्पाद के मूल्य में ब्याज दरों का योगदान काफी कम होता है।

उन्होंने कहा कि हमने एक तरफ विकास का अनुमान घटा दिया है, दूसरी तरफ मुद्रास्फीति का अनुमान पुराना ही रखा है। यह बात इस धारणा के विपरीत है कि विकास के अनुमान में महत्वपूर्ण डाउनग्रेड से मुद्रास्फीति के अनुमान को भी नीचे लाया जाना चाहिए। ऐसा क्यों नहीं किया गया? इसके दो कारण हैं। एक, रुपए का अवमूल्यन मूल मुद्रास्फीति को हवा दे रहा है, जिससे धीमे विकास के साथ मुद्रास्फीति कदमताल नहीं कर पा रही है। दूसरा और काफी महत्वपूर्ण कारण यह है कि पेट्रोलियम उत्पादों व कोयले के मूल्यों में काफी दबी हुई मुद्रास्फीति निहित है। इनके मूल्यों को तर्कसंगत बनाने से मुद्रास्फीति बढ़ सकती है।

रिजर्व बैंक गवर्नर ने कहा कि अगले साल 2012-13 में भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार की उम्मीद है और विकास दर इस साल से थोड़ी बेहतर रहेगी। लेकिन विकास दर से लेकर मुद्रास्फीति के भावी अनुमान रिजर्व बैंक नए वित्त वर्ष की सालाना मौद्रिक नीति में मंगलवार, 17 अप्रैल 2012 को पेश करेगा।

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