बुधवार को बिना किसी ठोस वजह के अफवाहों के दम पर अनिल अंबानी समूह की सभी कंपनियों के शेयरों पर जबरदस्त हमला किया गया। रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर को एक समय 25.14 फीसदी गिराकर साल के नए न्यूनतम स्तर 492.85 रुपए पर पहुंचा दिया गया। हालांकि वो बंद हुआ 18.79 फीसदी की गिरावट के साथ 534.70 रुपए पर। अभी कल मंगलवार तक यह शेयर 658.40 रुपए पर था और आज दिन में ऊपर 666 रुपए तक चला गया था।औरऔर भी

बाजार जब तलहटी पर पहुंचा हो तब अच्छे स्टॉक्स के चयन के लिए ज्यादा मगजमारी या रिसर्च की जरूरत नहीं होती। नजर डालें कि कौन-कौन से शेयर अपने न्यूनतम स्तर पर पहुंचे हैं। देखें कि वह कंपनी कितनी जानी पहचानी है, थोड़ा-सा उसका धंधा-पानी देख लें और दांव लगा दें। कल अनिल अंबानी समूह की दो प्रमुख कंपनियां रिलायंस कैपिटल और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर 52 हफ्ते के न्यूनतर स्तर पर पहुंच गईं। इनमें से रिलायंस कैपिटल में निवेशऔरऔर भी

पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी ने अनिल अंबानी व उनके चार सहयोगियों – सतीश सेठ, एस सी गुप्ता, ललित जालान और जे पी चलसानी से कुल 50 करोड़ रुपए लेकर विदेशी वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) और एफसीसीबी (विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांडों) से जुटाई गई राशि के दुरुपयोग के आरोप से मुक्त कर दिया है। सेबी ने शुक्रवार को जारी एक कन्सेंट ऑर्डर के तहत ऐसा किया है। इसमें अनिल अंबानी व उनके सहयोगियों ने न तो आरोप कोऔरऔर भी

कभी-कभी कुछ चीजों का साक्ष्य नहीं होता, लेकिन इससे वो चीजें गलत नहीं हो जातीं। मैं यहां ईश्वर जैसी सत्ता की नहीं, बल्कि शेयर बाजार में अभी हाल में चले खेल की बात कर रहा हूं। साधारण-सी रिश्वतखोरी को बडे घोटाले की तरह पेश करना, लोड सिंडिकेशन के काम में लगी मनी मैटर्स फाइनेंशियल सर्विसेज को निपटाना, सेंसेक्स से ज्यादा मिड कैप और स्माल कैप शेयरों को पीट डालना, कुछ ऑपरेटरों को रत्ती भर भी आंच नऔरऔर भी

आज बात बाजार की उठापटक से थोड़ा हटकर। कारण, आखिरी डेढ़-दो घंटों में कुछ ऐसा हो गया जो सचमुच आकस्मिक था। एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस से लेकर तीन सरकारी बैंकों के अधिकारियों का रिश्वतखोरी में लिप्त होना हमारे वित्तीय तंत्र की बड़ी खामी को उजागर करता है। यह बड़ा और बेहद गंभीर मसला है जो अगले कुछ दिनों तक हमारे नियामकों व बाजार के जेहन को मथता रहेगा। इसलिए आज कुछ स्थाई किस्म की बात जो हो सकताऔरऔर भी

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) को अंग्रेजी में हमारे पूंजी बाजार का वॉच डॉग कहा जाता है और वाकई लगता है कि वह बड़ों पर भौंकने और छोटों को काटने का काम करता है। सेबी ने 7 जून को रिलायंस नेचुरल रिसोर्सेज (आरएनआरएल) और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर में ‘डीलिंग’ के मामले में इन कंपनियों के अलावा अनिल अंबानी और समूह के चार अन्य बड़े अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। 9 जून को यह नोटिसऔरऔर भी

देश की सबसे बड़ी निजी कंपनी, जिसके शेयरधारकों की संख्या 35.62 लाख से थोड़ी ज्यादा है। ऐसी कंपनी की सालाना आमसभा को जब देश का सबसे अमीर शख्स सामने-सामने संबोधित कर रहा हो तो उद्योग जगत व निवेश की दुनिया का शायद ही कोई व्यक्ति होगा जो उससे सुनना नहीं चाहेगा। वह भी तब, जब दो भाइयों के बीच पिछले पांच साल से चली आ रही जंग के खात्मे का एलान हो चुका है। जी हां, ऐसेऔरऔर भी

रिलायंस समूह अब भी शेयर बाजार का बेताज बादशाह बना हुआ है। इसलिए मुकेश और अनिल अंबानी के बीच सुलझ हो जाने के बाद पूरी उम्मीद है कि सोमवार को बाजार में तेजी का आलम रहेगा। इस बीच आईसीआईसीआई सिक्यूरिटीज जैसी देश की प्रमुख ब्रोकरेज व निवेश बैंकिंग कंपनी ने भी अनुमान जताया है कि इस साल बीएसई सेंसेक्स 19,000 अंक के ऊपर जा सकता है। कंपनी की सीईओ व प्रबंध निदेशक माधबी पुरी बुच का कहनाऔरऔर भी