हमने इसी जगह एक बार नहीं, कई बार कहा था कि चाहे कुछ हो जाए, बाजार 5735 तक जाएगा। यह हो गया। महज दो हफ्तों में एफआईआई (विदेशी संस्थागत निवेशकों) ने 10,000 करोड़ रुपए की खरीद कर डाली। अहम सवाल है कि आगे क्या होगा? क्या यह क्षणिक आवेग है या बाजार नई छलांग की तैयारी में है? मंदी और तेजी के खेमे की राय स्वाभाविक तौर पर अलग-अलग है। कुछ कहते हैं कि यह महज फुलझड़ीऔरऔर भी

निराशावादी चिंतन का कोई अंत नहीं है। निवेश फंडों या ब्रोकरेज हाउसों के सरगना अपने निहित स्वार्थों के चलते बाजार को लेकर जैसी निराशा फैला रहे हैं, उसका भी कोई अंत नहीं है। लेकिन मैं इनकी रत्ती भर भी परवाह नहीं करता क्योंकि मैं कोई ब्रोकिंग के धंधे में तो हूं नहीं। फंड अपने फैसलों को जायज ठहराने की कोशिश करते हैं। कहते हैं कि वे जन-धन का प्रबंधन कर रहे हैं। सच यह है कि फंडऔरऔर भी

हां, यह सच है कि नए साल के बजट में आम शहरी के लिए कुछ नहीं है क्योंकि साल भर में बचाया गया 2060 रुपए का टैक्स किसी अच्छे रेस्तरां में परिवार के लिए एक समय के भोजने के लिए भी पूरा नहीं पड़ेगा। यह निवेशकों के लिए भी अच्छा बजट नहीं है। इसलिए अगर बाजार विश्लेषक कह रहे हैं कि वित्त मंत्री अच्छा मौका चूक गए तो यह एक तरीके से सही है। लेकिन शायद आपनेऔरऔर भी

गुल टेकचंदानी को आपने देखा भी होगा, सुना भी होगा, अंग्रेजी और हिंदी के बिजनेस चैनलों पर। निवेश सलाहकार हैं, बाजार के विश्लेषक हैं। निवेश उनका धंधा है। लेकिन सबसे बड़ी बात है धंधे में बड़े बेलाग हैं, ईमानदार हैं। बताते हैं कि छात्र जीवन में ही सट्टे का चस्का लग गया था। 1980-81 के आसपास शेयर बाजार से इतना कमाया कि दक्षिण मुंबई में दफ्तर, गाड़ी, बंगला सब कुछ हो गया। पिता को बोले कि मुझेऔरऔर भी

बाजार (निफ्टी) जब 6300 अंक पर पहुंच गया हो, तब स्टॉक्स को चुनकर खरीदने के लिए ज्यादा हौसले और भरोसे की दरकार होती है। टेक्निकल एनालिस्टों के चार्ट आपको आसानी से दिखा सकते हैं कि इधर या उधर, नीचे या ऊपर स्टॉप लॉस लगाकर कैसे नोट बनाए जा सकते हैं। ऐसे में फैसला आपको ही करना है कि आप चार्टों के आधार पर ट्रेड करना चाहते हैं कि कंपनी के मूलभूत आर्थिक पहलुओं यानी फंडामेंटल्स के आधारऔरऔर भी

ट्रेडरों के लिए आज का दिन बड़ा दुखदायी रहा। उनमें से ज्यादातर निराशा की गर्त में चले गए। उनकी निराशा की वजह वो खीझ है जो उन्हें विशेषज्ञों की इस राय पर भरोसा करने से हुई है कि निफ्टी अब बेरोकटोक 5800 तक गिरने जा रहा है, जबकि बाजार में ऐसा नहीं हुआ। शुरू में गिरावट आई जरूर। लेकिन बाद में बाजार संभल गया। मैंने तो यहां तक सुना कि टेक्निकल एनालिसिस के एक धुरंधर ने खुदऔरऔर भी

यह वक्त है देखने-समझने का कि हमने आपसे क्या कहा था और दुनिया भर के विश्लेषक क्या कह रहे थे। उन्होंने हिन्डेनबर्ग अपशगुन के नाम पर मुनादी की थी कि सितंबर में बाजार में जबरदस्त गिरावट आएगी, जबकि हमने डंके की चोट पर कहा था कि बाजार नई ऊंचाई पकड़ेगा। सीएनबीसी से लेकर एनडीटीवी व तमाम दूसरे चैनलों पर एनालिस्ट लोग आपका ब्रेनवॉश करते रहे और कहते रहे कि निफ्टी का 5600 अंक पर जाना असंभव है।औरऔर भी

हम साबित करने बैठे हैं कि बाजार के लिए हिन्डेनबर्ग या कोई दूसरा अपशगुन कभी कोई मायने नहीं रखता। न ही चार्टों के आधार पर की गई टेक्निकल एनालिसिस, खरीद-बिक्री की सलाह, ज्योतिष के नुस्खे और वैल्यूएशन के बारे में मंदी के आख्यान कोई काम आते हैं। आप खुद ही देखिए कि होंडा के अलग होने की खबर आ जाने के बाद भी सफेदपोश एनालिस्ट हीरो होंडा को मूल्यवान स्टॉक बताकर खरीदने की सलाह दिए जा रहेऔरऔर भी

पहले ज्योतिष के आधार पर अफवाह फैलाई गई कि बाजार 13 अगस्त को धराशाई हो जाएगा। फिर 1937 में हादसे का शिकार हुए एक जर्मन जहाज हिन्डेनबर्ग के नाम पर बने टेक्निकल अपशगुन से डराया गया कि सितंबर में दुनिया के बाजार ध्वस्त हो जाएंगे। अब अपने यहां एक पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन चल रहा है जिसमें कहा गया है कि सेंसेक्स 18,600 से आगे नहीं जा सकता और 14,600 अंक तक गिरता चला जाएगा। इस ‘भविष्यवाणी’ कोऔरऔर भी

खाद्य मंत्रालय ने घोषणा की है कि इस साल खाद्यान्न उत्पादन 160 लाख टन रहेगा जो 145.7 लाख टन के अनुमान से करीब 9 फीसदी ज्यादा है। मेरी राय में यह खाद्य पदार्थों से उपजी मुद्रास्फीति को नीचे लाने के लिए पर्याप्त है। मुद्रास्फीति वैसे भी इस समय बहुत ज्वलंत मुद्दा बनी हुई है और खाद्य पदार्थों की मुद्रास्फीति में कमी का हर संकेत स्वागतयोग्य है। दूसरी तरफ इस तिमाही में कंपनियों की आय शानदार रहेगी। अमेरिकीऔरऔर भी