सेंसेक्स उछला, पर बाजार है दबा

यह वक्त है देखने-समझने का कि हमने आपसे क्या कहा था और दुनिया भर के विश्लेषक क्या कह रहे थे। उन्होंने हिन्डेनबर्ग अपशगुन के नाम पर मुनादी की थी कि सितंबर में बाजार में जबरदस्त गिरावट आएगी, जबकि हमने डंके की चोट पर कहा था कि बाजार नई ऊंचाई पकड़ेगा। सीएनबीसी से लेकर एनडीटीवी व तमाम दूसरे चैनलों पर एनालिस्ट लोग आपका ब्रेनवॉश करते रहे और कहते रहे कि निफ्टी का 5600 अंक पर जाना असंभव है।

उनका सारा दावा बकवास निकला। बाजार ने नई ऊंचाई पर पहुंचकर उन्हें ठेंगा दिखा दिया। सेंसेक्स 408.67 अंक बढ़कर 19208.33 और निफ्टी 119.95 अंक बढ़कर 5760 पर पहुंच गया है। अगर अब भी आप बाजार के रुख को नहीं समझ पा रहे तो भगवान ही आपकी मदद कर सकता है। बहुत से लोग इस समय निफ्टी, बैंक निफ्टी, एसबीआई, टाटा स्टील और दूसरे कई स्टॉक्स में शॉर्ट हैं क्योंकि उनका मानना है कि बाजार काफी महंगा चल रहा है। आखिर उनको कौन बताए कि बाजार अब भी सस्ता है? आप सभी विशेषज्ञों को मेरे पास ले आओ और मै उन्हें साबित करके दिखा दूंगा कि बाजार वाकई इस समय कितना सस्ता है।

आप यही देख लीजिए कि बीएसई सेंसेक्स अक्टूबर 2007 में 19,000 अंक के स्तर था और अब सितंबर 2010 में उसी स्तर पर पहुंचा है। उस समय और इस समय शेयरों के मूल्य की तुलना करने पर आप पाएंगे कि कैसे आपको मूर्ख बनाया जा रहा है। सेंसेक्स और उसके शामिल शेयर नई ऊंचाई पर पहुंच गए हैं तो सेंसेक्स भी इस ऊंचाई पर आ गया। ध्यान दें, अक्टूबर 2007 में एसबीआई 2100 रुपए पर था, अब 3200 रुपए पर है। इसी तरह का मामला इनफोसिस, बजाज ऑटो और मारुति वगैरह के साथ है।

दूसरी तरफ कुछ अन्य शेयरों के तब और अब के भावों की तुलना कर लीजिए। सेंचुरी तब 1300 पर था, अब 530 पर है। बॉम्बे डाईंग तब 1000 पर था, अब 630 पर है। एचडीआईएल तब 1500 और अब 280, डीएलएफ तब 1200 और अब 315, यूनीटेक 250 से 80, सुज़लॉन 400 रुपए से 41 रुपए और रिलायंस कैपिटल 2500 से 780 रुपए पर है। इसी तरह रिलायंस इंफ्रा तब 3000 रुपए पर था, अब 1020 पर है। आरआईएल 3000 से 1800 (अक्टूबर 2009 में 1:1 का बोनस), एमटीएनएल 123 से 70, भारती 900 से 350, वीडियोकॉन 700 से 260, इंडिया इंफोलाइन 1900 से अब 500, आईएफसीआई 120 रुपए से अब 60 रुपए, आरआईआईएल 2000 रुपए से 800, आर पावर 380 रुपए से अब 160 रुपए, आरएनआरएल तब 140 रुपए और अब 38 रुपए, केसोराम 480 रुपए से 280 रुपए और रेन कमोडिटीज तब के 350 रुपए से अब 160 रुपए पर टहल रहा है। ऐसे बहुत से उदाहरण और भी हैं।

इसलिए सूचकांक की तुलना करना बेकार है क्योंकि यह पूरी तरह कुछ फंडों के हाथ में चला गया है जो सेंसेक्स में खेल करते रहते हैं। अगर तुलना ही करनी है को बीएसई-500 सूचकांक की होनी चाहिए जो ज्यादा साफ तस्वीर पेश करेगा कि हम कल की तुलना में आज कहां खड़े हैं।

पल-पल बदलती इस दुनिया में गुजरा हुआ कल कभी वापस लौटकर नहीं आता। कल आज और आज आनेवाले कल में समा जाता है। इसलिए अतीत के प्रति मोहासिक्त होना निरर्थक है।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ हैलेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)

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