खुद अपशगुन हो गए एफआईआई

हम साबित करने बैठे हैं कि बाजार के लिए हिन्डेनबर्ग या कोई दूसरा अपशगुन कभी कोई मायने नहीं रखता। न ही चार्टों के आधार पर की गई टेक्निकल एनालिसिस, खरीद-बिक्री की सलाह, ज्योतिष के नुस्खे और वैल्यूएशन के बारे में मंदी के आख्यान कोई काम आते हैं। आप खुद ही देखिए कि होंडा के अलग होने की खबर आ जाने के बाद भी सफेदपोश एनालिस्ट हीरो होंडा को मूल्यवान स्टॉक बताकर खरीदने की सलाह दिए जा रहे हैं, जबकि शेयर धसकना शुरू हो चुका है।

अब यह नवंबर तक, तब तक गिरता रहेगा जब तक होंडा अंततः हीरो होंडा से रुखसत नहीं हो जाती। कौन-सी कंपनी पहले से बता देगी कि वह ऐसा करने जा रही है। क्या उसे इनसाइडर ट्रेडिंग के आरोप में फंसना है? मसलन, सीएनआई रिसर्च ने एक के बाद एक तीन बार बोनस शेयर दिए और भारत में ऐसा करनेवाली पहली कंपनी है। कुछ समाचार एजेंसियां कह रही है कि कंपनी चौथा बोनस भी देने जा रही है। अगर वे कंपनी प्रबंधन से पूछेंगी तो क्या वह इसकी पुष्टि करेगा? कोई सवाल ही नहीं उठता।

ऐसे फैसले हमेशा कंपनी के निदेशक बोर्ड के होते हैं जिसकी सूचना पहले स्टॉक एक्सचेंज को देने के बाद प्रेस रिलीज जारी करनी पड़ती है। अंबुजा सीमेंट ने तीन बार होलसिम द्वारा हिस्सेदारी खरीदने की खबर से इनकार किया। लेकिन आखिर में हुआ तो वही। जब हमने ईआईएच में हिस्सेदारी बेचने की बात उठाई तब कंपनी प्रबंधन 184 रुपए के भाव पर ग्राहकों की तलाश में लगा हुआ था, फिर भी उसने इसका खंडन किया।

लिक्विडिटी को वैल्यूएशन या मूल्यांकन से जोड़कर देखना एकदम बकवास है। हर्षद मेहता के समय तो बाजार का पीई अनुपात 100 से ज्यादा था। बाजार के यह जान लेने के बावजूद आठ साल बाद केतन पारेख के समय यही हुआ। तब से लेकर अब तक 10 साल बीत चुके हैं और इतिहास तीसरी बार अपने को दोहराने जा रहा है। असली बात यह है कि शेयर किनके हाथों में है। जरा सोचिए कि टाइटन, बीएचईएल और एसबीआई इतने मूल्यांकन या पीई अनुपात पर क्यों टिके हुए हैं? इन शेयरों को 100 से 200 रुपए के स्तर पर बटोरा गया है और अब ये मजबूत हाथों में हैं। ये तब तक नहीं गिर सकते जब तक वाकई ऐसी कोई बुरी खबर नहीं आ जाती जैसी हीरो होंडा में आई है।

क्या आपको पता है कि 2008 की पूरी गिरावट के दौरान जो दो स्टॉक बहुत मजबूती से डटे रहे, वे थे – भारती एयरटेल और हीरो होंडा। वजह यह है कि इन शेयरों के ऊपर ब्रोकिंग समुदाय के एक धुरंधर उस्ताद का हाथ था। उसे पहला झटका तब लगा जब भारती डाउनग्रेड के बाद 255 रुपए तक लुढक गया। ठीक इसी वक्त सीएनआई ने खरीद की कॉल के साथ इस स्टॉक के समर्थन में एंट्री ली और अब आप देख सकते हैं कि स्टॉक एक अलग ढर्रे पर आ गया है। भारती अगले दो सालों मे चार अंकों में आ जाएगा। दूसरा स्टॉक हीरो होंडा भी बुरी खबर के चलते धराशाई हो चुका है, हालांकि अभी तक इसका डाउनग्रेड नहीं हुआ है। ऐसा हम 2008 में बॉम्बे डाईंग के साथ भी देख चुके हैं। अब इसमें नई पोजिशन बनने लगी है और यह स्टॉक दो साल में 2000 रुपए तक भी जा सकता है।

इस सारे माहौल में एक दिलचस्प बात यह उभरकर सामने आई है कि एफआईआई किसी स्टॉक को बरबाद कर सकते हैं। हम यह एक बार फिर मारुति में देख चुके हैं। इसलिए आपको बीईएमएल और जिंदल एसडब्ल्यू होल्डिंग जैसे स्टॉक लेने चाहिए जिनमें एफआईआई की होल्डिंग काफी कम है। असल में इस समय तो एफआईआई का होना ही किसी स्टॉक के लिए अपशगुन बन बन गया है।

लिक्विडिटी की बात करें तो यह बाजार में पर्याप्त मात्रा में है। शेयरों का मालिकाना संकुचित है, कुछ हाथो में सिमटा है। इसिलए एफआईआई भारत में बेचने से डर रहे हैं जबकि वे मानते हैं कि 18,000 अंक पर बाजार महंगा है। उन्हें पता है कि सेंसेक्स में 21,000 और 26,000 का स्तर आना ही है और अभी उन्होंने अगर बेच दिया तो फिर से खरीद नहीं पाएंगे।

मैं इतनी जल्दी फिर से इस्पात के बारे में बात नहीं करूंगा। अब बाजार को इसकी चर्चा करने दीजिए। हकीकत यही है कि भाव को जबरदस्ती दबाकर रखने का धंधा ज्यादा समय तक नहीं चल सकता। असली मूल्य किसी न किसी दिन सामने आता ही है। धैर्य रखिए। हम गलतियां करते हैं तो खोज भी हम ही करते हैं।

गोकुल जन्माष्टमी की बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

जो कभी गलती नहीं करते, वे कभी कोई नई चीज, कोई नया सच खोज भी नहीं पाते।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रगरग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)

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