कुमारमंगलम बिड़ला और उनकी कंपनी हिंडाल्को इंडस्ट्रीज पर कोयला ब्लॉक आवंटन में सीबीआई की तरफ से आपराधिक साजिश की एफआईआर दर्ज कराने के बाद पूरा कॉरपोरेट जगत तो कौआ-रोर कर ही रहा है। अब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी हिंडाल्को इंडस्ट्रीज़ को क्लीनचिट दे दी है। कमाल की बात तो यह है कि प्रमुख विपक्षी दल बीजेपी इस मामले में प्रधानमंत्री के पक्ष में खड़ा है। लेकिन जांच के दायरे में आए इस मामले को किनारे रखऔरऔर भी

हल्ला था कि धनलक्ष्मी बैंक का अधिग्रहण होने जा रहा है और वह अपनी कम से कम 30 शाखाएं बंद कर देगा। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। सोमवार को प्रेस कांफ्रेंस में बैंक के सीईओ व प्रबंध निदेशक पीजी जयकुमार ने स्पष्ट कह दिया, “शाखाओं को बंद करने की हमारी कोई योजना नहीं है। हम बढ़ना चाहते हैं।” बता दें कि अधिग्रहण की चर्चाओं के बीच धनलक्ष्मी बैंक का शेयर पिछले एक महीने में 57.20 रुपए सेऔरऔर भी

स्वीडन से निकले और ब्रिटेन में जमे ईसाब समूह की भारतीय सब्सडियरी ईसाब इंडिया के बारे में हमने सबसे पहले यहां करीब तेरह महीने 16 फरवरी 2011 को लिखा था। तब इसका दस रुपए अंकित मूल्य का शेयर 480.30 रुपए तक चल रहा था। करीब सात महीने बाद 14 सितंबर 2011 को यह 591.30 रुपए तक चला गया। सात महीने में 23 फीसदी से ज्यादा का रिटर्न। लेकिन उसके बाद गिरते-गिरते 20 दिसंबर 2011 को 422 रुपएऔरऔर भी

देश में किताबों के साथ ही इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं की सबसे बड़ी ऑनलाइन रिटेलर कंपनी फ्लिपकार्ट ने अपनी छोटी प्रतिद्वंद्वी कंपनी लेट्सबाय को खरीद लिया है। इसका मकसद अंतरराष्ट्रीय दिग्गज अमेजॉन डॉट कॉम के भारतीय बाजार में उतरने से पहले अपनी स्थिति को मजबूत करना है। बता दें कि फ्लिपकार्ट के प्रवर्तक सचिन बंसल और बिन्नी बंसल 2007 में यह कंपनी बनाने से पहले अमेजॉन डॉट कॉम में ही काम करते थे। समाचार एजेंसी रॉयटर्स की खबर केऔरऔर भी

माइक्रो-ब्लॉगिंग की साइट ट्विटर ने इंटरनेट सिक्यूरिटी फर्म डैजिएंट को खरीद लिया है। लेकिन अभी तक यह खुलासा नहीं हुआ है कि यह सौदा कितने में हुआ है। डैजिएंट का गठन 2008 में किया गया था और वह मैलवेयर से लेकर ऑनलाइन सुरक्षा में सेंध लगानेवाली समस्याओं को सुलझाने का काम करती है। ट्विटर के बारे में आप जानते ही हैं। 2006 में बनी यह कंपनी अपने 140 कैरेक्टर के संक्षिप्त संदेशों के दम पर इतनी मशहूरऔरऔर भी

साल भर में करीब 25,500 करोड़ रुपए का धंधा। करीब डेढ़ लाख लोगों को सीधा रोजगार। अभी सितंबर तिमाही में करीब 7500 करोड़ रुपए की आय पर 1822 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ। मौजूदा बाजार पूंजीकरण 1.65 लाख करोड़ रुपए। इनफोसिस है तो देश की दूसरी सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर निर्यातक कंपनी। उसका नंबर टाटा समूह की कंपनी टीसीएस के बाद आता है जिसकी सालाना आय करीब 30,000 करोड़ और मौजूदा बाजार पूंजीकरण 2.34 लाख करोड़ रुपए है।औरऔर भी

जापानी कंपनी सोनी ने सोनी एरिक्सन पर पूरी तरह कब्जा कर लिया है। उसने इस संयुक्त उद्यम में स्वीडन की कंपनी एरिक्सन की 50 फीसदी इक्विटी खरीद ली है। इसके बाद टेलिकॉम उपकरण बनानेवाली इस कंपनी का नाम बदला जाएगा और री-ब्रांडिंड भी की जाएगी। सोनी ने यह सौदा 1.45 अरब डॉलर (करीब 7080 करोड़ रुपए) में किया है और अब सोनी एरिक्शन पूरी तरह उसकी सब्सिडियरी बन गई है। एरिक्सन का कहना है कि टेलिकॉम उपकरणऔरऔर भी

बड़ी बेरहम दुनिया है शेयर बाजार की। यहां कोई नैतिकता नहीं चलती क्योंकि घोड़ा घास से यारी करेगा तो खाएगा क्या। यहां कुछ नियम चलते हैं जो कमोबेश शाश्वत हैं। बड़े खिलाड़ी जब सस्ते भावों पर किसी स्टॉक को जमा कर लेते हैं तो वे ब्रोकरों, एनालिस्टों व मीडिया के जरिए फैलाते हैं कि कैसे वह बहुत धांसू स्टॉक है और उसे खरीद लेना चाहिए। मकसद सिर्फ एक होता है कि वे अपना माल निकालकर नोट बनाऔरऔर भी

केईसी इंटरनेशनल। अंतरराष्ट्रीय मौजूदगी रखनेवाली आरपीजी समूह की मुख्य कंपनी। 40-45 फीसदी धंधा भारत से, बाकी बाहर से। करीब महीने भर पहले 400 करोड़ रुपए के नए ऑर्डर मिले। उससे हफ्ते भर पहले जून 2011 की तिमाही के नतीजों से सामने आया कि उसकी बिक्री 20.9 फीसदी और शुद्ध लाभ 25.4 फीसदी बढ़ा है। तब तक उसके पास 8116 करोड़ रुपए के अग्रिम ऑर्डर थे। अब 8516 करोड़ के हो गए हैं। साल भर पहले अमेरिका मेंऔरऔर भी

परसिस्टेंट सिस्टम्स इतनी मरी-गिरी कंपनी नहीं है कि उसका शेयर अगर जमीन पर गिर जाए तो उसे खोटा सिक्का मानकर उठाया ही न जाए। 1990 में बनी कंपनी है। सॉफ्टवेयर प्रोडक्ट डेलपवमेंट सेवाओं में सक्रिय है। 6600 से ज्यादा कर्मचारी हैं। 300 से ज्यादा कस्टमर हैं जो अमेरिका, यूरोप व एशिया के कई देशों तक फैले हैं। उसने पिछले पांच सालों में 3000 से ज्यादा सॉफ्टवेयर विकसित किए हैं। क्लाउड कंप्यूटिंग व सॉफ्टवेयर आर एंड डी मेंऔरऔर भी