हल्ला था कि धनलक्ष्मी बैंक का अधिग्रहण होने जा रहा है और वह अपनी कम से कम 30 शाखाएं बंद कर देगा। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। सोमवार को प्रेस कांफ्रेंस में बैंक के सीईओ व प्रबंध निदेशक पीजी जयकुमार ने स्पष्ट कह दिया, “शाखाओं को बंद करने की हमारी कोई योजना नहीं है। हम बढ़ना चाहते हैं।” बता दें कि अधिग्रहण की चर्चाओं के बीच धनलक्ष्मी बैंक का शेयर पिछले एक महीने में 57.20 रुपए से 79.20 रुपए तक का सफर तय कर चुका है। लेकिन कल जब ऐसा कुछ भी सामने नहीं आया तो इसमें बिकवाली का सिलसिला शुरू हो गया और इसका दस रुपए अंकित मूल्य का शेयर बीएसई (कोड – 532180) में 1.66 फीसदी गिरकर 74.15 रुपए और एनएसई (कोड – DHANBANK) में 1.98 फीसदी गिरकर 74.20 रुपए पर बंद हुआ है।
कल इसमें वोल्यूम भी औसत से लगभग दोगुना हुआ। बीएसई में कुल 23.33 लाख शेयरों के सौदे हुए जिसमें से 12.73 फीसदी ही डिलीवरी के लिए थे। वहीं, एसएनएसई में ट्रेड हुए 86.60 लाख शेयरों में से 12 फीसदी डिलीवरी के लिए थे। जाहिरा तौर पर इसमें निवेशकों से कहीं ज्यादा, ट्रेडरों की दिलचस्पी रही। यह स्टॉक डेरिवेटिव सेगमेंट में भी शामिल है। वहां इसमें स्पष्ट निराशा झलक रही है। कल इसका ओपन इंटरेस्ट 8.35 फीसदी घटकर 44.32 लाख शेयरों पर आ गया।
बैंक प्रबंधन ने कहा है कि वो किसी और को बेचने के बजाय खुद अपने को दुरुस्त करेगा। वेतन का खर्च 40 फीसदी घटाएगा, अतिरिक्त जमीन बेच देगा, रिटेल बैंकिंग पर जोर देगा, गोल्ड लोन पोर्टफोलियो बढ़ाएगा और कासा (चालू व बचत खाता) की जमा को बढ़ाएगा। असल में बैंक का खर्च इधर आमदनी से ज्यादा हो चुका है। दिसंबर 2011 की तिमाही में उसकी लागत और आय का अनुपात 140.5 फीसदी रहा है। हालत इतनी खराब हो गई कि शुद्ध ब्याज आय और फीस से मिली कमाई कुल मिलाकर 90.1 करोड़ रुपए रही, जबकि परिचालन खर्च 126.5 करोड़ रुपए पर पहुंच गया।
उसकी कुल जमा में 43.7 फीसदी हिस्सा ऊंची ब्याज वाली सीडी (सर्टीफिकेट ऑफ डिपॉजिट) और बड़े डिपॉजिट का था। नतीजतन उसका शुद्ध ब्याज मार्जिन 2 फीसदी पर आ गया। चार साल पहले बैंक का यह मार्जिन चार फीसदी के आसपास हुआ करता था। लेकिन तभी बैंक पर विस्तार का जुनून सवार हो गया। केरल का यह बैंक देश के 14 राज्यों की 140 जगहों पर पहुंच गया, 275 शाखाओं और 425 एटीएम के साथ। बैंक में कुल कार्यरत कर्मचारियों की संख्या 4800 के करीब जा पहुंची। मार्च 2008 तक बैंक के कुल कर्मचारियों की संख्या 1411 थी। पुराने प्रबंधन ने तनख्वाह भी तिजोरी खोलकर दी। हालत यह हो गई कि दिसंबर 2011 की तिमाही में 36.87 करोड़ रुपए का शुद्ध घाटा खानेवाले बैंक की कर्मचारी लागत इसकी लगभग दोगुनी 72.79 करोड़ रुपए रही है।
नया प्रबंधन सारा कुछ दुरुस्त करने में लगा है। कर्मचारी लागत में 40 फीसदी कमी का फैसला कहने में आसान है। लेकिन करने में शायद काफी कठिन साबित होगा। वह भी तब, जब बैंक की अफसर यूनियन लंबे समय से प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा खोले हुए है। बता दें कि बीते साल सितंबर-अक्टूबर में बैंक अफसरों की यूनियन, आइबॉक ने रिजर्व बैंक को बाकायदा एक ज्ञापन भेजकर शिकायत की थी कि धनलक्ष्मी बैंक के खातों में हेराफेरी हुई है, उसका पूंजी पर्याप्तता अनुपात कम है और आस्तियों व देनदारी में भयंकर असंतुलन है।
इसके बाद इसके शेयर में गिरावट का सिलसिला चल निकला। एक ही दिन में यह शेयर 71.60 रुपए से 24.23 फीसदी गिरकर 54.25 रुपए पर पहुंच गया। 29 दिसंबर 2011 को यह शेयर 42.40 रुपए की ऐतिहासिक तलहटी तक जा गिरा। आपको यकीन नहीं आएगा कि यह शेयर करीब ढाई साल पहले अक्टूबर 2010 में 212.50 रुपए की चोटी पर था। फिलहाल पिछले 52 हफ्तों का इसका उच्चतम स्तर 135.90 रुपए का है जो इसने 25 अप्रैल 2011 को हासिल किया था।
बैंक घाटे में है तो उसके किसी पी/ई का सवाल ही नहीं उठता। हां, उसकी प्रति शेयर बुक वैल्यू 99.21 रुपए है, जबकि बाजार भाव 74.15 रुपए है। कुछ लोगों के लिए यह निवेश का बड़ा आकर्षक पक्ष है। बैंक प्रबंधन ने कहा है कि वह इस साल जून अंत टियर-1 पूंजी के रूप में 200 करोड़ रुपए जुटाना चाहता है। साथ ही और 200 करोड़ रुपए वह टियर-2 पूंजी के रूप में सितंबर तक जुटाएगा। असल में मार्च 2011 में 11.80 फीसदी पर रहा बैंक का पूंजी पर्याप्तता अनुपात (सीएआर) दिसंबर 2011 तक घटकर 9.88 फीसदी पर आ चुका है। इसलिए अतिरिक्त पूंजी जुटाना उसकी मजबूरी है।
सवाल उठता है कि क्या धनलक्ष्मी बैंक के शेयर में इस समय निवेश करना ठीक रहेगा? आखिर यह 212.50 के शिखर से 65 फीसदी नीचे आ चुका है! हमारा मानना है कि धनलक्ष्मी बैंक पर जितनी चोट लगनी थी, लग चुकी है। नया प्रबंधन पुरजोर कोशिश में लगा है जिसका नतीजा जून तिमाही के अंत तक शायद नजर आने लग जाए। इसलिए इस पर छह महीने के लिए दांव लगाया जा सकता है। लेकिन अभी बिकवाली का आलम है तो बिना किसी हड़बड़ी में फंसे इसे थोड़ा और गिरने देना चाहिए। 55-60 रुपए के आसपास आ जाए तो खरीद लेना चाहिए।
1927 में केरल के त्रिशूर से शुरू हुआ यह बैंक खत्म तो नहीं होगा। हां, किसी ने इसके अधिग्रहण की पेशकश कर दी तो इसका शेयर उछलकर 90-95 रुपए तक जरूर पहुंच सकता है। बैंक के नए एमडी जयकुमार कर्मचारियों के करीबी माने जाते हैं। उम्मीद की जा सकती है कि फरवरी में अमिताभ चतुर्वेदी के दुस्साहसी नेतृत्व से मुक्त होने के बाद बैंक अब अच्छी प्रगति करेगा।
Right now bank is in back gear. OLD STORY IS OVER. Share Holder of the bank should exit with target of 45-50. One can sale in Future or buy PUT op. also.