ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कनफेडरेशन (आइबॉक) के आरोपों का ऐसा जबरदस्त असर हुआ कि मंगलवार को निजी क्षेत्र के धनलक्ष्मी बैंक के शेयर खाक में मिल गए। दोपहर सवा बजे के आसपास उसके शेयर कल के बंद भाव 71.60 रुपए से 24.23 फीसदी गिरकर 54.25 रुपए पर पहुंच गए, जो पिछले 52 हफ्तों का ही नहीं, मई 2009 के बाद का उसका नया न्यूनतम स्तर है।
हालांकि बाद में बैंक प्रबंधन की साफ-सफाई के बाद शेयर थोड़ा संभल गया और करीब 10 फीसदी गिरावट के साथ 64.45 रुपए पर बंद हुआ है। यह बीएसई-500 सूचकांक में शामिल शेयर है। इसलिए इस पर कोई सर्किट सीमा नहीं है। दूसरे शब्दों में इसमें दिन में कितनी भी घटबढ़ हो सकती है।
असल में बैंक अफसरों के संगठन आइबॉक ने रिजर्व बैंक को एक ज्ञापन भेजकर आगाह किया है कि धनलक्ष्मी बैंक ने खातों में हेराफेरी की है, उसका पूंजी पर्याप्तता अनुपात कम है और आस्तियों व देनदारी में भयंकर असंतुलन है। आइबॉक ने आशंका जताई है कि यह बैंक डूब सकता है। दूसरी तरफ केरल मुख्यालय वाले इस बैंक के सीएफओ बिपिन काबरा का कहना है कि यूनियनें आपसी होड़ में बैंक की छवि बिगाड़ रही हैं और उनके आरोप अनर्गल हैं। बैंक इनके खिलाफ कानूनी कदम उठाने पर विचार कर रहा है।
लेकिन निवेशकों में इस शेयर को लेकर छाई निराशा इस सफाई से कम नहीं हुई। मंगलवार को इसके डेरिवेटिव सौदों का ओपन इंटरेस्ट 37 लाख शेयर बढ़ गया। उन्हें लगता है कि यह अभी और गिरेगा। बता दें कि इस साल जून तिमाही में इसका शुद्ध लाभ 6 करोड़ से घटकर 3.40 करोड़ रुपए पर आ गया है।
आईबॉक जिम्मेदार बैंक अधिकारियों का संगठन है और अगर रिजर्व बैंक को शिकायत की गई है तो इसका मतलब यह है कि वहाँ जरूर बहुत ही गंभीर बात है।