मारुति सुज़ुकी के मानेसर संयंत्र में कर्मचारियों और प्रबंधन में तनातनी जारी है। प्रबंधन का आरोप है कि कर्मचारियों ने पूरे संयंत्र पर कब्जा कर लिया है। वहीं कर्मचारियों का कहना है कि प्रबंधन पहले मान चुकी बातों से पीछे हट रहा है और उनकी एकता को तोड़ने में लगा है।
कर्मचारियों का आरोप है कि मारुति प्रबंधन 1500 अस्थायी कर्मचारियों को काम पर वापस नहीं ले रहा है और जब तक ये नहीं होगा, तब तक फ़ैक्टरी के अंदर मौजूद स्थायी कर्मचारी भी हड़ताल पर रहेंगे। लेकिन प्रबंधन का कहना है कि एक महीने तक संयंत्र में काम बाधित होने की वजह से सभी अस्थायी कर्मचारियों को एक साथ वापस लेना संभव नहीं है और ये बात उनके ठेकेदार को समझा दी गई थी।
बता दें कि करीब एक महीने की हड़ताल के बाद 1 अक्टूबर को प्रबंधन और कर्मचारियों के बीच सुलझ हुई थी। 3 अक्टूबर को काम दोबारा शुरू हुआ। लेकिन चार दिन बाद ही शुक्रवार, 7 अक्टूबर से कर्मचारी फिर से हड़ताल पर चले गए। कर्मचारियों का दावा है कि पिछली हड़ताल ख़त्म होने के बाद एक तो 1500 अस्थायी कर्मचारियों को काम पर वापस नहीं लिया जा रहा है, दूसरे स्थायी कर्मचारियों के काम की जगह बदल दी गई है। साथ ही संयंत्र तक आने के लिए दी जा रही बस सेवा भी बंद कर दी गई है।
कर्मचारी कहते हैं कि मारुति प्रबंधन किसी भी तरह से नई यूनियन को नहीं चलने देना चाहता। प्रबंधन गुड़गांव संयंत्र से काम करने वाली जिस मारुति उद्योग कर्मचारी यूनियन को सब पर थोपना चाहता है, वह उनका प्रतिनिधित्व नहीं करती।