वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने कहा है कि भारत के लिए मुद्रास्फीति सबसे बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि महंगाई दर इस साल 6.5 फीसदी से अधिक रहने का अनुमान है। सोमवार को वॉशिंगटन में ‘भारत-अमेरिका आर्थिक व वित्तीय सहयोग’ पर आयोजित सम्मेलन में मुखर्जी ने कहा, ‘‘भारतीय अर्थव्यवस्था के सामने कई समस्याएं हैं और सबसे बड़ी चुनौती मुद्रास्फीति है।’’ सम्मेलन का आयोजन सीआईआई ने वॉशिंगटन के शोध संस्थान ब्रुकिंग इंस्टीट्यूट के साथ मिलकर किया है। भारत-अमेरिकाऔरऔर भी

अमेरिकी वित्त मंत्री टिमोथी गेटनर ने कहा है कि भारत की आर्थिक वृद्धि से अमेरिका को कोई खतरा नहीं है बल्कि इससे देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में मदद मिल रही है। उन्होंने कहा कि अमेरिका की वही कंपनियां तेजी से आगे बढ़ रही हैं जिन्हें भारत के साथ निर्यात वृद्धि से फायदा पहुंचा है। वॉशिंगटन में ‘अमेरिका-भारत आर्थिक व वित्तीय भागीदारी’ पर आयोजित सम्मेलन में गेटनर ने अपने संबोधन में कहा, ‘‘अमेरिका में उनऔरऔर भी

वैश्विक स्तर पर जारी अनिश्चितता से आर्थिक वृद्धि के परंपरागत स्रोतों पर दबाव बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री ममनमोहन सिंह ने इस बढ़ते दबाव को लेकर सतर्क करते हुए कहा है कि पांच देशों के संगठन ब्रिक्स को विकास के प्रमुख क्षेत्रों में समन्वय करना जरूरी है और यह सारी दुनिया के लिए लाभकारी होगा। बता दें कि ब्रिक्स देशों में शामिल पांच देश हैं – ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका। इन पांचों देशों की अर्थव्यवस्थाऔरऔर भी

वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने कहा है कि भ्रष्टाचार का खात्मा किए बिना समावेशी विकास का लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सकता। उन्होंने स्वीकार किया कि ऊंची आर्थिक वृद्धि दर का लाभ देश की आबादी के बडे हिस्से तक नहीं पहुंच पाया है। शुक्रवार को राजधानी दिल्ली में उद्योग संगठन सीआईआई के राष्ट्रीय सम्मेलन व वार्षिक सत्र को संबोधित करते हुए मुखर्जी ने कहा, ‘‘प्रशासन की विफलता और तंत्र में भ्रष्टाचार से गरीब तबका प्रभावित होता है।औरऔर भी

प्रमुख उद्योग संगठन, कनफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) के एक सर्वे के अनुसार लघु व मध्यम उद्यम (एसएमई) अक्तूबर-दिसंबर तिमाही में व्यापार परिदृश्य को लेकर आशान्वित हैं। सीआईआई ने कहा है कि मौजूदा तिमाही के लिए एसएमई का बिजनेस कांफिडेंस इंडेक्स (बीसीआई) 67 रहने का अनुमान है जो जुलाई सितंबर की तिमाही से 1.4 अंक अधिक है। सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा है कि वैश्विक आर्थिक मंदी से निकल रहे क्षेत्र के लिए यह सकारात्मकऔरऔर भी

अगर आप मेडिक्लेम पॉलिसी देनेवाली बीमा कंपनी की सेवाओं से संतुष्ट नहीं हैं तो जल्दी ही आप बीमा कंपनी बदल सकते हैं और उतने ही प्रीमियम पर नई कंपनी से मेडिक्लेम प़ॉलिसी ले सकते हैं। मोटर बीमा पॉलिसी पर भी यही नियम लागू होगा। यह किसी ऐरे-गैरे का नहीं, बल्कि खुद बीमा नियामक संस्था, आईआरडीए (इरडा) के चेयरमैन जे हरिनारायण का कहना है। वे मंगलवार को मुंबई में उद्योग संगठन सीआईआई द्वारा आयोजित बीमा सम्मेलन में बोलऔरऔर भी

दुनिया के सबसे बड़े निवेशक जॉर्ज सोरोस का मानना है कि भारतीय शेयर बाजार में चल रही तेजी में अगर कोई रुकावट है तो वह है मुद्रास्फीति का मंडराता खतरा। रिजर्व बैंक ने ब्याज दरें बढ़ाकर इसी खतरे का कम करने की कोशिश की है। मौद्रिक नीति की दूसरी त्रैमासिक समीक्षा के बीच में रिजर्व बैंक ने गुरुवार को रेपो दर 0.25 फीसदी बढ़ाकर 6 फीसदी और रिवर्स रेपो दर को 0.50 फीसदी बढ़ाकर तत्काल प्रभाव सेऔरऔर भी

आम भारतीय मानसिकता संपत्ति को भौतिक रूप में देखने-महसूस करने की है। हम धन को गाड़कर रखते रहे हैं। अब भी जमीन से हमारा गहरा जुड़ाव है और हमारी आबादी का बहुत बड़ा हिस्सा संपत्ति को भौतिक रूप में ही देखना चाहता है। लेकिन डीमैट के इस दौर में संपत्ति को भौतिक रूप से देखने का मनोविज्ञान नहीं चल सकता। इसे तोड़ना होगा, बदलना होगा, जिसके लिए शिक्षा जरूरी है। इससे हम नक्सली हिंसा व अशांति कोऔरऔर भी

कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय निवेशक जागरूकता अभियान के तहत देश के पांच महानगरों में 13 से 17 जुलाई तक कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। इसमें वह उद्योग व व्यापार संगठनों का सहयोग ले रहा है। कोलकाता का कार्यक्रम 13 को होगा और इसका मुख्य आयोजक फिक्की है। मुंबई के कार्यक्रम के आयोजन का जिम्मा सीआईआई को दिया गया है और यह 14 जुलाई को होगा। बैंगलोर का कार्यक्रम एसोचैम 16 जुलाई को आयोजित करेगा। इसी तरह चेन्नई वऔरऔर भी

सुना है कि म्यूचुअल फंड उद्योग में डिस्ट्रीब्यूशन मॉडल को नए सिरे से ढालने की बात चल रही है, लेकिन मुझे लगता है कि आज अहम जरूरत इस बात की है कि हम खुद से पूछें कि म्यूचुअल फंड उद्योग के बने रहने का ही क्या तुक है। हमें बराबर बताया जाता है कि म्यूचुअल फंड में प्रोफेशनल मैनेजर सबसे जुटाई गई बचत का कुशल प्रबंधन करते हैं और वे खुद अपना पैसा संभालनेवाले औसत निवेशक सेऔरऔर भी