वैश्विक स्तर पर जारी अनिश्चितता से आर्थिक वृद्धि के परंपरागत स्रोतों पर दबाव बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री ममनमोहन सिंह ने इस बढ़ते दबाव को लेकर सतर्क करते हुए कहा है कि पांच देशों के संगठन ब्रिक्स को विकास के प्रमुख क्षेत्रों में समन्वय करना जरूरी है और यह सारी दुनिया के लिए लाभकारी होगा।
बता दें कि ब्रिक्स देशों में शामिल पांच देश हैं – ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका। इन पांचों देशों की अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे तेज गति से बढ़ रही है। इन पांच देशों को मिला दें तो इनके पास दुनिया का 26 फीसदी भौगोलिक क्षेत्रफल, 40 फीसदी आबादी और जीडीपी में 22 फीसदी हिस्सेदारी है।
मनमोहन सिंह ने चीन और कजाक़स्तान की यात्रा पर जाने से पहले राजधानी दिल्ली में जारी एक बयान में कहा, ‘‘आर्थिक वृद्धि के परंपरागत स्रोत पर दबाव अभी भी बना हुआ है। विश्व के विभिन्न हिस्सों में हाल की गतिविधियों से नई अनिश्चितताएं उभरी हैं।’’ उन्होंने कहा कि अगर ब्रिक्स के सदस्य देश सतत विकास, संतुलित वृद्धि, ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा, अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों में सुधार तथा संतुलित व्यापार के क्षेत्र में सहयोग करते हैं तो यह हमारे लिए लाभकारी होगा।
मनमोहन ब्रिक्स देशों के नेताओं की चीन के सान्या में होने वाली बैठक में भाग लेंगे। बैठक आज 12 अप्रैल से 14 अप्रैल तक तीन दिन चलेगी। यह ब्रिक्स का तीसरा शिखर सम्मेलन है। इसकी पहली बैठक 2009 में हुई थी। लेकिन अब तक यह समूह ब्रिक्स नहीं ब्रिक हुआ करता था। दक्षिण अफ्रीका पहली बार शिखर बैठक में भाग ले रहा है।
दक्षिण अफ्रीका के पहली बार बैठक में भाग लेने के बारे में उन्होंने कहा कि भारत ब्रिक्स का सदस्य बनने पर दक्षिण अफ्रीका का स्वागत करता है। इससे हमारे विचार-विमर्श का दायरा बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि ब्रिक्स के पांच देश जी-20 के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भी शामिल हैं। इसलिए विश्व पटल पर इनकी अहमियत बहुत ज्यादा बढ़ चुकी है।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह चीन में आयोजित इस सम्मेलन में भाग लेने के बाद दलबल के साथ 15-16 अप्रैल को कजाक़स्तान की यात्रा पर रहेंगे। उनके साथ उनके प्रमुख सचिव टी के ए नायर, वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा भी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन भी गए हैं। साथ ही फिक्की व सीआईआई समेत उद्योगपतियों का एक प्रतिनिधिमंडल भी उनके साथ है।