चीजें तो जैसी हैं, वैसी ही रहती हैं। नियमों से बंधी, भावनाओं से रहित। सीधी-सरल, देखने की नजर हो पारदर्शी। लेकिन हमारा अहम, हमारे पूर्वाग्रह उसे जटिल बना देते हैं। रस्सी को सांप बना देते हैं।
2011-04-12
चीजें तो जैसी हैं, वैसी ही रहती हैं। नियमों से बंधी, भावनाओं से रहित। सीधी-सरल, देखने की नजर हो पारदर्शी। लेकिन हमारा अहम, हमारे पूर्वाग्रह उसे जटिल बना देते हैं। रस्सी को सांप बना देते हैं।
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