पर्यावरण मंजूरी में देरी, कोल इंडिया पर भारी

देश की सबसे बड़ी कोयला उत्पादक कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) का कहना है कि उसकी विभिन्न परियोजनाओं को पर्यावरण संबंधी मंजूरी नहीं मिलने का असर उसके कोयला उत्पादन पर हो सकता है और 2011-12 में भी उत्पादन शायद लगातार दूसरे साल स्थिर बना रहे।

सार्वजनिक क्षेत्र की इस कंपनी की कुल घरेलू कोयला उत्पादन में 80 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी है। वित्त वर्ष 2010-11 में उसका उत्पादन 43.1 करोड़ टन पर लगभग स्थिर रहा था।

कोयला मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि पर्यावरणीय व वन संबंधी बाधाओं के चलते 2010-11 में कोल इंडिया के उत्पादन में वृद्धि लगभग शून्य रही। अगर यही क्रम बना रहा तो 2011-12 में भी वृद्धि शून्य रहेगी। माना जाता है कि कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने पिछले हफ्ते मंत्री समूह की बैठक में इस मुद्दे को उठाया था। इस बैठक में देश के कोयला उत्पादन को प्रभावित कर रहे मुद्दों पर विचार विमर्श किया गया।

नवरत्न का दर्जा पा चुकी कोल इंडिया (सीआईएल) की 154 परियोजनाओं को मंजूरी का इंतजार है जो 26,000 हेक्टेयर से बड़े क्षेत्रफल में फैली हैं और इनका अनुमानित उत्पादन लगभग 21 करोड़ टन का है।

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