इस महीने की शुरुआत से इंडिया बुल्स समूह की लिस्टेड कंपनियों के शेयरों में बढ़त का रुख अब डीएलएफ की राह पकड़ सकता है क्योंकि भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के नेता अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को हुई प्रेस क्रांफेंस में सोनिया गांधी परिवार के भ्रष्टाचार के सिलसिले में इंडिया बुल्स का भी नाम ले लिया। उन्होंने तमाम टीवी चैनलों से यह बात जरूर टिकर के रूप में चलाने का आग्रह किया और कहा कि वे इस बारे मेंऔरऔर भी

स्वीडन से निकले और ब्रिटेन में जमे ईसाब समूह की भारतीय सब्सडियरी ईसाब इंडिया के बारे में हमने सबसे पहले यहां करीब तेरह महीने 16 फरवरी 2011 को लिखा था। तब इसका दस रुपए अंकित मूल्य का शेयर 480.30 रुपए तक चल रहा था। करीब सात महीने बाद 14 सितंबर 2011 को यह 591.30 रुपए तक चला गया। सात महीने में 23 फीसदी से ज्यादा का रिटर्न। लेकिन उसके बाद गिरते-गिरते 20 दिसंबर 2011 को 422 रुपएऔरऔर भी

इनफोसिस, एचडीएफसी बैंक, एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस और इंडिया इनफोलाइन जैसी 45 से ज्यादा कंपनियों में विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की शेयरधारिता प्रवर्तकों से ज्यादा हो गई है। स्टॉक एक्सचेंजों के पास उपलब्ध सितंबर तक के आंकड़ों के मुताबिक इनफोसिस की इक्विटी में एफआईआई की हिस्सेदारी 36.66 फीसदी है, जबकि प्रवर्तकों की हिस्सेदारी उनसे 20.62 फीसदी कम 16.04 फीसदी ही है। इसी तरह एचडीएफसी बैंक में प्रवर्तकों की हिस्सेदारी 23.23 फीसदी है, जबकि एफआईआई का निवेश 29.30 फीसदीऔरऔर भी

जब मुंबई व बैंगलोर एयरपोर्ट के संचालन से लेकर बड़ी-बड़ी इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में लगी जीवीके पावर जैसी कंपनी का शेयर पेनी स्टॉक बनने की दिशा में बढ़ रहा हो (कल वो 10.21 रुपए पर पहुंच गया), जब अहमदनगर फोर्जिंग जैसी मजबूत कंपनी का शेयर साल भर में 7.97 के पी/ई से घटकर 3.17 के पी/ई पर (168.80 रुपए से 94 रुपए) पर ट्रेड होने लगा हो तो वाकई सोचना पड़ेगा कि शेयरों के भाव आखिर किन चीजोंऔरऔर भी

बाजार उम्मीद के मुताबिक 4730 से सुधरकर 5001 तक आ चुका है। इसके जल्दी ही 5080 तक चले जाने की संभावना है क्योंकि अब भी यह ओवरसोल्ड अवस्था में है। लेकिन उसके बाद इसमें इस सिरे से उस सिरे तक की उछल-कूद शुरू होगी। एक सिरा 4900 का है तो दूसरा 5240 का। उसी के बाद हम राय बनाएंगे कि सारे मंदड़ियों की मान्यता के अनुरूप यह 4000 तक जाता है कि नहीं। मंदड़ियों ने निफ्टी मेंऔरऔर भी

भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) ने खुले बाजार से टाटा स्टील के 9.4 लाख शेयर खरीदे और कंपनी में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाकर 14 फीसदी से थोड़ी ज्यादा कर ली। टाटा स्टील ने स्टॉक एक्सचेंजों को भेजी सूचना में बताया कि 12 अगस्त को अतिरिक्त शेयर खरीदने के बाद एलआईसी के पास कंपनी के 13.49 करोड़ शेयर या 14.06 फीसदी इक्विटी हिस्सेदारी है। बता दें कि इस खरीद से पहले एलआईसी के पास टाटा स्टील की 13.97 फीसदीऔरऔर भी

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) देश की सबसे बड़ी मोबाइल सेवा कंपनी भारती एयरटेल के खिलाफ विदेशी मुद्रा कानून, फेमा के उल्लंघन की जांच कर रहा है। यह जानकारी वित्त राज्यमत्री नमो नारायण मीणा ने मंगलवार को राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी। उन्होंने बताया कि पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी को भी शिकायतें मिली हैं कि भारती एयरटेल में प्रवर्तक समूह की शेयरधारिता 30 जून 2007 से 30 सितंबर 2008 के बीच 60.91 फीसदी से बढ़ाकर 67.15औरऔर भी

वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने इस बात पर बैंकों की पीठ थपथपाई है कि उन्होंने सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्योगों (एमएसई) को 20 फीसदी ज्यादा ऋण देने के लक्ष्य से आगे बढ़कर 35 फीसदी ज्यादा ऋण दिया है। कृषि क्षेत्र को दिया गया ऋण भी 3.75 लाख करोड़ रुपए के लक्ष्य से 71,000 करोड़ रुपए ज्यादा 4.46 लाख करोड़ रुपए रहा है। लेकिन वित्त मंत्री ने इस बात पर गंभीर चिंता भी जताई है कि वित्त वर्षऔरऔर भी

बाजार में ऐसा बहुत कुछ अजब-गजब चलता रहता है जिस पर हम ध्यान नहीं देते, जबकि ध्यान देते रहना चाहिए। हालांकि ध्यान देने का असली काम तो स्टॉक एक्सचेंजों और सेबी का है। वे ध्यान देंगे, तभी हालात सुधर सकते हैं। हम तो ध्यान देकर बस ‘विचित्र, किंतु सत्य’ का आनंद ही ले सकते हैं। जैसे, कल बीएसई में एनसीसी लिमिटेड (कोड – 500294) के 8.02 लाख शेयरों का कारोबार हुआ, लेकिन आप यकीन नहीं करेंगे किऔरऔर भी

विदेशी निवेशक सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में विश्वास जता रहे हैं। कोल इंडिया, पावरग्रिड कॉरपोरेशन और एनटीपीसी जैसी नौ कंपनियों में हाल के दिनों में विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की हिस्सेदारी बढ़ी है। पिछले दो साल में आईपीओ लानेवाली 11 सरकारी कंपनियों की शेयरधारिता के ताजा आंकड़ों के अनुसार नौ कंपनियों में चालू वित्त वर्ष 2010-11 की दिसंबर तिमाही में सितंबर तिमाही के मुकाबले एफआईआई की हिस्सेदारी बढ़ी है। हालांकि, ऑयल इंडिया और इंजीनियर्स इंडिया में एफआईआईऔरऔर भी