शेयर बाज़ार में हर खरीदनेवाले के सामने एक बेचनेवाला होता है। तभी सौदा होता है, लिक्विडिटी आती है। पहला सोचता है कि आगे बढ़ेगा तो अभी खरीद लो। दूसरा सोचता है कि आगे गिरेगा तो अभी बेच डालो। हेड या टेल। उछालने पर दो में से एक ही आएगा। प्रायिकता 50-50% है तो क्या ट्रेडिंग सिक्का उछालने जैसा खेल है? नहीं। यह इंसानी अपेक्षाओं का खेल है। प्रायिकता 75-25% भी हो सकती है। देखते हैं आज काऔरऔर भी

जिनका धंधा-पानी शेयर बाजार से जुड़ा है, हर सुबह उनकी यही चिंता रहती है कि आज कहां जाएगा बाजार। लेकिन बाजार कहीं भी जाए, उससे जुड़े अधिकांश लोगों की हालत अच्छी नहीं है। कल शाम बीएसई में निवेश से जुड़े प्रोफेशनल लोगों के एक समारोह में गया था, जहां साल भर बाद सेंसेक्स से लेकर, कच्चा तेल, सोना और सरकारी बांडों की यील्ड का अंदाज लगाया जा रहा था। मंच पर बैठे विशेषज्ञों की राय में एकऔरऔर भी

नए वित्त वर्ष 2012-13 का आम बजट शुक्रवार, 16 मार्च को पेश होगा। उसके एक दिन पहले 15 मार्च को दो चीजें बजट का माहौल व पृष्ठभूमि बनाएंगी। एक तो आर्थिक समीक्षा और दो, रिजर्व बैंक की मध्य-तिमाही मौद्रिक नीति समीक्षा। पूरी उम्मीद है कि उस दिन रिजर्व बैंक नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) को 5.50 फसीदी से आधा फीसदी घटाकर 5 फीसदी कर देगा। लेकिन सारा कुछ रिजर्व बैंक के गवर्नर दुव्वरि सुब्बाराव की सोच से तयऔरऔर भी

कोई समझे या न समझे। हमारा तो यही अंदाज़ है। जयश्री टी में हमने जो लक्ष्य 30 दिन में हासिल करने की बात कही थी, उसे तीन ट्रेडिंग सत्रों में ही हासिल कर लिया। हमने इसके 99 रुपए पर पहुंचने की बात कही थी। कल यह 99.40 रुपए तक चला गया। हमारा काम है पूरी ईमानदारी से निवेश की सलाह देना और वह काम हम किए जा रहे हैं। हां, बुद्धि और विश्लेषण की सीमा है तोऔरऔर भी

दुनिया ही नहीं, इस सृष्टि की हर चीज हर पल बदलती रहती है। लेकिन परिवर्तन का यह नियम अगर आप किसी आम किसान से पूछेंगे तो वो कहेगा कि ऐसा नहीं है क्योंकि उसकी दुनिया तो कभी बदलती ही नहीं। सूरज के निकलने से लेकर डूबने तक का वही चक्र। न सावन हरे, न भादो सूखे। देश के आम आदमी से पूछेंगे तो वह भी कहेगा कि हां, चीजें बदलती जरूर हैं, लेकिन बेहतर नहीं, बदतर हीऔरऔर भी

मुद्रास्फीति के बढ़ते जाने की चिंता रिजर्व बैंक पर लगता है कि कुछ ज्यादा ही भारी पड़ गई है। इसको थामने के लिए उसने ब्याज दरों में सीधे 50 आधार अंक या 0.50 फीसदी की वृद्धि कर दी है। इतनी उम्मीद किसी को भी नहीं थी। आम राय यही थी कि रिजर्व बैंक ब्याज दरें 0.25 फीसदी बढ़ा सकता है। कुछ लोग तो यहां तक कह रहे थे कि औद्योगिक धीमेपन को देखते हुए शायद इस बारऔरऔर भी

जब बाजार मूलभूत या फंडामेंटल स्तर पर मजबूत हो, तब मंदड़ियों की फांस की अंतहीन चर्चा करते रहने का कोई तुक नहीं है। मंदड़िये इस समय उसी तरह शॉर्ट सौदे किए बैठे हैं, जिस तरह उन्होंने लेहमान संकट के बाद कर रखा था। एक मंदड़िये ने उस संकट के दौरान बाजार से 4800 करोड़ रुपए बनाए थे और 450 करोड़ रुपए का एडवांस टैक्स भरा। लेकिन जब बाजार का रुख पलटा तो सब कुछ गंवा बैठा। इतिहासऔरऔर भी

कल भारी वोल्यूम के साथ निफ्टी के 5800 अंक से नीचे चले जाने के साथ बाजार ने ट्रेडरों और निवेशकों के विश्वास को डिगाकर रख दिया है। मुझे उम्मीद थी कि निफ्टी 5820 के बाद वापस उठेगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसका कारण मुद्रास्फीति और ब्याज दरों के बढ़ने का अंदेशा बताया जा रहा है। पर यह बाजार के इस तरह धराशाई हो जाने का असली कारण नहीं हो सकता। जब वित्त मंत्री ऑन रिकॉर्ड कह रहेऔरऔर भी

रिजर्व बैंक ने तीसरी तिमाही के बीच में मौद्रिक नीति की समीक्षा करते वक्त तरलता के संकट को स्वीकार किया है और इसे दूर करने के लिए उसने 18 दिसंबर से वैधानिक तरलता अनुपात (एसएलआर) को 25 फीसदी के मौजूदा स्तर से घटाकर 24 फीसदी कर दिया है। साथ ही उसने तय किया है कि अगले एक महीने में वह खुले बाजार ऑपरेशन (ओएमओ) के तहत नीलामी से 48,000 करोड़ रुपए के सरकारी बांड खरीदेगा। उसने सीआरआरऔरऔर भी

बाजार ने तेजी का एक ऐतिहासिक मुकाम हासिल कर लिया। सेंसेक्स 20,000 के पार तो निफ्टी 6000 के पार जाकर बंद हुआ। इस मौके पर मैं अपनी खुशी शब्दों में बयां नहीं कर सकता। फिर भी आपको चेतावनी देने से खुद को नहीं रोक पा रहा। एक बात जान लें कि जुनून जितना तल्ख होगा, करेक्शन उतना ही गहरा होगा और आपकी पूरी बैलेंस शीट चंद दिनों में साफ हो सकती है। मगर, शॉर्ट सौदे करते वक्तऔरऔर भी