मुद्रास्फीति की चिंता में रिजर्व बैंक ने ब्याज दर 0.5% बढ़ाई, बाजार सन्न

मुद्रास्फीति के बढ़ते जाने की चिंता रिजर्व बैंक पर लगता है कि कुछ ज्यादा ही भारी पड़ गई है। इसको थामने के लिए उसने ब्याज दरों में सीधे 50 आधार अंक या 0.50 फीसदी की वृद्धि कर दी है। इतनी उम्मीद किसी को भी नहीं थी। आम राय यही थी कि रिजर्व बैंक ब्याज दरें 0.25 फीसदी बढ़ा सकता है। कुछ लोग तो यहां तक कह रहे थे कि औद्योगिक धीमेपन को देखते हुए शायद इस बार ब्याज दर बढ़ाई ही न जाए। लेकिन पूर्व वित्त सचिव और रिजर्व बैंक के गवर्नर डॉ. दुव्वरी सुब्बाराव ने सबको चौंका दिया है। लेकिन इस अनपेक्षित कदम से शेयर बाजार को तेज झटका लगा है। 11 बजे नीति की घोषणा के बाद निफ्टी व सेंसेक्स में दोनों में 1.50 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आ गई। शाम तक निफ्टी 1.86 फीसदी और सेंसेक्स 1.87 फीसदी गिरकर बंद हुआ।

रिजर्व बैंक ने मौद्रिक की पहली त्रैमासिक समीक्षा में रेपो दर को तत्काल प्रभाव से 7.5 फीसदी से बढ़ाकर 8 फीसदी और रिवर्स रेपो दर को 6.5 फीसदी से बढ़ाकर 7 फीसदी कर दिया है। वैसे, दोनों दरों मे अंतर एक फीसदी का रखा जाता है तो रेपो के 8 फीसदी होते ही रिवर्स रेपो दर अपने आप 7 फीसदी हो जाती है। रेपो दर पर रिजर्व बैंक सरकारी बांडों के एवज में बैंकों को अल्पकालिक उधार देता है, जबकि रिवर्स रेपो दर पर वह बैंकों को उनकी अल्पकालिक जमा पर ब्याज देता है। सिस्टम में तरलता की अधिकता की स्थिति में रिवर्स रेपो दर ब्याज निर्धारण की नीतिगत दर होती है, जबकि तरलता की कमी की सूरत में रेपो दर नीतिगत दर की भूमिका निभाती है। इस समय रेपो दर ही नीतिगत दर है क्योंकि बैंक औसतन हर दिन रिजर्व बैंक की चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के तहत 48,000 करोड़ रुपए उधार ले रहे हैं।

रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति की पहली त्रैमासिक समीक्षा में कहा कि मुद्रास्फीति चिंता का बड़ा विषय बनी हुई है। थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल 2011 में 9.7 फीसदी रही है। इसके बाद मई में इसका अनंतिम आंकड़ा 9.06 फीसदी और अप्रैल में 9.44 फीसदी का है। अंतिम आंकड़ा इससे ज्यादा हो सकता है। इस तरह 2011-12 की पहली तिमाही में मुद्रास्फीति की दर दहाई अंक के एकदम करीब बनी हुई है।

रिजर्व बैंक का कहना है कि एक तो देश में मांग-आपूर्ति के बीच असंतुलन की स्थिति है। दूसरे दुनिया भर में जिंसों के दाम चढ़े हुए हैं। ऐसे में उसने मार्च 2012 के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान बढ़ाकर 7 फीसदी कर दिया है। 3 मई 2011 को पेश सालाना मौद्रिक नीति में यह अनुमान 6 फीसदी का था। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने हाल ही में कहा था कि मुद्रास्फीति की दर में कमी दिसंबर अंत से आएगी। लेकिन रिजर्व बैंक अब भी पहले की तरह मानता है कि इसकी दर सितंबर के बाद से घटने लगेगी। रिजर्व बैंक ने माना है कि उसके लिए मुद्रास्फीति में तसल्ली या निश्चिंतता का स्तर 4 से 4.5 फीसदी है, जिसे भारत के विश्व अर्थव्यवस्था के साथ जुड़ने के क्रम में अगले कुछ सालों में 3 फीसदी तक ले आया जाएगा।

रिजर्व बैंक ने कहा है कि 20 जुलाई 2011 तक मानसून में हुई बारिश सामान्य से एक फीसदी कम है। लेकिन देश के 88 फीसदी इलाके में सामान्य से ज्यादा बारिश हुई है। हल्की-सी चिंता इस बात की है कि इस बार खरीफ फसलों में दाल, मोटे अनाज, तिलहन व कपास की बोवाई पिछले साल से कम रही है। पूरा आकलन सितंबर में मौद्रिक नीति की मध्य-त्रैमासिक समीक्षा में किया जाएगा। फिलहाल रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2011-12 में जीडीपी में वृद्धि का अनुमान 8 फीसदी पर जस का तस रखा है।

रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति की पहली त्रैमासिक समीक्षा में कहा कि उसने अक्टूबर 2009 के बाद सीआरआर (नकद आरक्षित अनुपात) या बैंकों द्वारा उनकी कुल जमा में से उसके पास रखे जानेवाली कैश राशि का अनुपात एक फीसदी बढ़ाया है। उसने अभी इसे अभी 6 फीसदी पर यथावत रखा है। इस दौरान उसने रेपो दर में दस बार में कुल मिलाकर 2.75 फीसदी वृद्धि की है। लेकिन चूंकि तरलता की स्थिति आधिक्य से कमी की हो गई है। इसलिए वास्वतिक नीतिगत कड़ाई 4.25 फीसदी की हो जाती है।

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