जब बाजार मूलभूत या फंडामेंटल स्तर पर मजबूत हो, तब मंदड़ियों की फांस की अंतहीन चर्चा करते रहने का कोई तुक नहीं है। मंदड़िये इस समय उसी तरह शॉर्ट सौदे किए बैठे हैं, जिस तरह उन्होंने लेहमान संकट के बाद कर रखा था। एक मंदड़िये ने उस संकट के दौरान बाजार से 4800 करोड़ रुपए बनाए थे और 450 करोड़ रुपए का एडवांस टैक्स भरा। लेकिन जब बाजार का रुख पलटा तो सब कुछ गंवा बैठा। इतिहास इस बार भी खुद को दोहराएगा। आज आपका फैसला ही तय करेगा कि कल आप उसकी दुर्गति को प्राप्त होंगे या नहीं।
मिस्र का तथाकथित भूत अब पकड़ में आ गया है। हमारी संसद का गतिरोध भी खत्म होने की कगार है। कल मंगलवार को वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी 2जी स्पेक्ट्रम की जांच जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) से कराने की मांग के सिलसिले में विपक्षी दलों के नेताओं के साथ बैठक करने जा रहे है। भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी पर सरकार निशाना साध चुकी है और बराबर नए से नए कदम उठाए जा रहे हैं। काले धन को वापस लाने की कोशिशें तेज हो गई हैं और यह धन सिस्टम में आया तो इससे लिक्विडिटी या तरलता बढ़ेगी।
सभी यह बात भूल रहे हैं कि काले धन को वापस लाना सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के एजेंडे में शामिल है। फिर भी विपक्ष पर इतना हल्ला इसलिए मचा रहा है क्योंकि उसे लगता है कि काले धन का मसला अगले चुनावों में उसे जीत दिला सकता है। दरअसल, सत्तारूढ़ पार्टी के बहुत से नेताओं ने 1950 से ही विदेशी खातों में काला धन जमा कर रखा है और इस समस्या का समाधान विपक्ष से ज्यादा सत्तारूढ़ पार्टी को ही फायदा पहुंचाएगा क्योंकि तब वह बड़ी आसानी से अतीत के ऐसे काले सायों से निजात पा लेगी।
आज चालू वित्त वर्ष 2010-11 के जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) का अग्रिम अनुमान आ गया। बाजार को अंदाजा 8.5 फीसदी की विकास दर का था। लेकिन केंद्रीय सांख्यिकीय संगठन (सीएसओ) की तरफ से जारी वास्तविक अनुमान 8.6 फीसदी का रहा है। इन आंकड़ों के आने के बाद से ही सेंसेक्स और निफ्टी में बढ़त दर्ज की गई है। इसी के साथ लंबी रात की सुबह की आहट शुरू हो गई है। ध्यान दें कि एफआईआई ने पिछले दो दिनों में बिक्री से ज्यादा खरीद की है। लेकिन जाल में फंस चुके एक खास-म-खास मंदड़िये ने अपनी शॉर्ट पोजिशन कम करने के लिए बिकवाली की है अन्यथा निफ्टी में 5400 का स्तर टूटते ही उसका स्टॉप लॉस ट्रिगर हो जाता। वैसे, आज सुबह निफ्टी नीचे में 5385.10 तक चला भी गया था।
स्टील अथॉरिटी (सेल) और ओएनजीसी के पब्लिक इश्यू लाने की तैयारी शुरू हो चुकी है। एलआईसी को हिदायत मिल चुकी है कि वह बाजार को ऊपर ले जाए। संक्षेप में कहें तो बाजार में गिरावट की गुंजाइश अब बेहद सीमित है। बजट महज 20 दिन दूर है। अगर इस समय कोई शॉर्ट है और बजट में अच्छे ट्रिगर मिल गए तो बजट के बाद सेंसेक्स बिना किसी को हाथ लगाने का मौका दिए 2000 अंक उछल सकता है।
नोट करें कि मैंने 2009 के लोकसभा चुनावों के बाद बाजार पर ऊपरी सर्किट लगने की बात कही थी और ऐसा ही हुआ। हालांकि वो महज एक तुक्का था। मेरे कहने का मतलब था कि बाजार चुनावों के बाद धमाका करेगा। इस बार भी मुझे लगता है कि बजट के बाद बाजार धमाका करेगा। इसकी सीधी-सी वजह है कि अब कुछ गिरने-गंवाने को बचा ही नहीं है। हां, अगर हम बजट से पहले ही निफ्टी में वापस 6000 का स्तर पा लेते हैं तब बढ़त 500 अंकों के आसपास सीमित रह सकती है।
जिस विश्वास में संदेह करने या सवाल उठाने की गुंजाइश नहीं होती, वह विश्वास नहीं, अंधविश्वास बन जाता है।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)