कृषि उत्पादन बढ़ने से उत्साहित सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 8.6 फीसदी रहने का अनुमान व्यक्त किया है। इससे पिछले साल देश की आर्थिक वृद्धि दर आठ फीसदी थी। केन्द्रीय सांख्यिकीय संगठन (सीएसओ) की तरफ से सोमवार को जारी अग्रिम आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2010-11 में कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 5.4 फीसदी रहने की संभावना है, जबकि इससे पिछले साल यह मात्र 0.4 फीसदी रही थी।
सीएसओ ने इसके आधार पर देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की विकास दर का अग्रिम अनुमान 8.6 फीसदी निकाला है। लेकिन चूंकि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में जीपीडी की विकास दर 8.9 फीसदी रह चुकी है। इसलिए साफ है कि दूसरी तिमाही में सीएसओ के मुताबिक आर्थिक विकास दर घटकर 8.3 फीसदी पर आ जाएगी।
इन आंकड़ों के जारी होने के बाद वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने कहा कि बढ़ती मुद्रास्फीति और व्यापार असंतुलन को देखते हुए 8.6 फीसदी की आर्थिक विकास दर संतोषजनक है। उनका कहना था, “इन तमाम परेशानियों के बावजूद 8.6 फीसदी की विकास दर काफी उत्साहवर्धक है। अब मुद्दा यह है कि हम मुद्रास्फीति और व्यापार असंतुलन से कैसे निपटते हैं।”
सीएसओ का सकल घरेलू उत्पादन का अग्रिम अनुमान इससे पहले भारतीय रिजर्व बैंक और वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी द्वारा व्यक्त किए गए 8.5 फीसदी के अनुमान से अधिक है। वित्त मंत्री ने मुद्रास्फीति की बढ़ोतरी के बावजूद देश के जीडीपी में 8.5 फीसदी वृद्धि का अनुमान लगाया था, जबकि रिजर्व बैंक ने भी पिछले माह अपनी त्रैमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा के दौरान देश की जीडीपी के 8.5 फीसदी बढ़ने की आशा व्यक्त की थी। शेयर बाजार भी 8.5 फीसदी की उम्मीद लगा रहा था, जब कुछ विश्लेषकों का अनुमान 8.6 फीसदी का था।
सोमवार को जारी ताजा आंकड़ों में चालू वित्त वर्ष 2010-11 के दौरान देश के जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) की वृद्धि दर 8. 6 रहने की अनुमान लगाया गया है। चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-सितंबर की पहली छमाही में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 8.9 फीसदी रह चुकी है।
आंकड़ों के मुताबिक इस वित्त वर्ष में कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 5.4 फीसदी रहने की उम्मीद जताई गई है जो इससे पिछले साल मात्र 0.4 फीसदी थी। हालांकि इस वित्त वर्ष के दौरान मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र की वृद्धि दर 8.8 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है जो पिछले साल के ही बराबर है।
अग्रिम अनुमान के अनुसार इस साल खनन क्षेत्र की वृद्धि दर 6.2 फीसदी रहने का उम्मीद है जो पिछले साल 6.9 फीसदी थी, जबकि चालू वित्त वर्ष में बिजली क्षेत्र की वृद्धि दर 5.1 फीसदी रहने की संभावना है जो पिछले साल 6. 4 फीसदी थी।