कर्ज में डूबे ग्रीस का वित्तीय संकट गहराने, डॉलर की मजबूती और अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) द्वारा आपात भंडार जारी किए जाने की घोषणा से एशियाई कारोबार में कच्चे तेल के भाव में गिरावट दर्ज की गई है। सोमवार को न्यूयॉर्क के मुख्य अनुबंध वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट की कीमत अगस्त डिलीवरी के लिए 65 सेंट गिरकर 90.51 डॉलर बैरल हो गयी। इसी प्रकार, ब्रेंट नार्थ सी क्रूड का भाव 67 सेंट घटकर 104.45 डॉलर हो गया। सिंगापुरऔरऔर भी

आर्थिक सहयोग बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए भारत, चीन, रूस, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका (ब्रिक्स) एक दूसरे को अपनी स्थानीय मुद्रा में कर्ज और अनुदान के लेनदेन पर सहमत हो गए हैं। ब्रिक्स देशों के बीच इस आशय के एक समझौते में चीन के शहर सान्या में हस्ताक्षर किए गए। इस पहल को अमेरिकी मुद्रा डॉलर पर निर्भरता और उसके वर्चस्व को घटाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। समझौतेऔरऔर भी

अमेरिकी सरकार के बांडों में सबसे ज्यादा निवेश रखनेवाले चीन ने वहां अपना निवेश घटाना शुरू कर दिया है, जबकि भारत बढ़ाता जा रहा है। हालांकि मात्रा के लिहाज से भारत का निवेश चीन के सामने कहीं नहीं टिकता। अमेरिकी ट्रेजरी विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर 2010 से जनवरी 2011 के बीच चीन ने अमेरिकी बांडों में अपना निवेश 20.6 अरब डॉलर घटा दिया है। अक्टूबर में यह 1175.3 अरब डॉलर था, जबकि जनवरी मेंऔरऔर भी

चांदी के भाव रिकॉर्ड पर रिकॉर्ड बनाते जा रहे हैं। मंगलवार, 22 फरवरी को देश के तमाम सराफा बाजारों में चांदी के भाव बढ़ गए। राजधानी दिल्ली में तो चांदी (.999) के भाव 49,700 रुपए प्रति किलो पर पहुंच गए। यह भारत में अब तक का ऐतिहासिक शिखर है। अंतरराष्ट्रीय बाजार की बात करें तो चांदी का भाव इस समय 34.31 डॉलर प्रति औंस (31.1034 ग्राम) पर पहुंच गया है जो 1980 के बाद का सबसे ऊंचाऔरऔर भी

चीन के केंद्रीय बैंक ने करीब तीन साल बाद पहली बार ब्याज दरें बढ़ाकर सबको चौंका दिया है। वहां 20 अक्टूबर, बुधवार से एक साल की जमा और कर्ज पर ब्याज की दर 0.25 फीसदी बढ़ जाएगी। यह कदम मुद्रास्फीति और विभिन्न आस्तियों के बढ़ते दामों पर काबू पाने के लिए उठाया गया है। अभी वहां एक साल के जमा पर ब्याज की दर 2.25 फीसदी है जो अब 2.50 फीसदी हो जाएगी। इसी तरह एक सालऔरऔर भी

देश में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश का आना जारी है। इस साल जनवरी से अब तक भारतीय शेयर बाजार में एफआईआई (विदेशी संस्थागत निवेशक) 46,196.83 करोड़ रुपए का शुद्ध निवेश कर चुके हैं। सोमवार को ही उन्होंने शेयर बाजार में 1264.11 करोड़ रुपए का शुद्ध निवेश किया, जबकि घरेलू निवेशक संस्थाएं तेजी के इस माहौल में बेचकर मुनाफा कमा रही है और उनकी शुद्ध बिक्री 797.83 करोड़ रुपए की रही। विदेशी निवेश के आने से रुपया भी मजबूतऔरऔर भी

अपनी मुद्रा युआन को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बनाने की चीन की महत्वाकांक्षा रंग लाती नजर आ रही है। एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने गुरुवार को जारी की गई अपनी रिपोर्ट मे कहा है कि युआन बहुत तेजी से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस्तेमाल की जानेवाली मुद्रा बन सकती है और दुनिया के तमाम देश अपना विदेशी मुद्रा भंडार अमेरिकी डॉलर की जगह युआन (रेनमिंबी) में रख सकते हैं। कोलंबिया यूनिवर्सिटी के अर्थ इंस्टीट्यूट के साथ मिलकर किए गए संयुक्तऔरऔर भी

चीन ने हर तरफ से पड़ रहे दबाव के बाद अब जाकर कहा है कि वह अपनी मुद्रा युआन या रेनमिंबी को डॉलर से सापेक्ष महंगा होने देगा। नहीं तो वह अभी तक अपनी मुद्रा को डॉलर के सापेक्ष टस मे मस नही होने देता था। इसका सबूत है कि 31 जुलाई 2008 के बाद से अब तक रेनमिंबी की विनिमय दर डॉलर के सापेक्ष केवल 0.1 फीसदी बढ़ी है, वहीं यूरो के सापेक्ष यह 20.8 फीसदीऔरऔर भी

यूरो जोन में चल रहे संकट के चलते भारतीय रुपया डॉलर के सापेक्ष मंगलवार को करीब आठ महीनों के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया। यह बंद तो हुआ 47.71/72 रुपए प्रति डॉलर की विनिमय दर पर, लेकिन दिन में एक समय 47.75 तक चला गया था जो 1 नवंबर 2009 का स्तर है। सोमवार को रुपए की विनिमय दर 46.98/99 प्रति डॉलर थी। असल में व्यापारियों के मुताबिक इसकी प्रमुख वजह यह है कि यूरो डॉलर केऔरऔर भी