अपनी मुद्रा युआन को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बनाने की चीन की महत्वाकांक्षा रंग लाती नजर आ रही है। एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने गुरुवार को जारी की गई अपनी रिपोर्ट मे कहा है कि युआन बहुत तेजी से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस्तेमाल की जानेवाली मुद्रा बन सकती है और दुनिया के तमाम देश अपना विदेशी मुद्रा भंडार अमेरिकी डॉलर की जगह युआन (रेनमिंबी) में रख सकते हैं।
कोलंबिया यूनिवर्सिटी के अर्थ इंस्टीट्यूट के साथ मिलकर किए गए संयुक्त अध्ययन में एडीबी ने कहा है, “हालांकि रेनमिंबी अभी तक अंतरराष्ट्रीय मुद्रा नहीं बन पाई है। लेकिन वह अनुमान से पहले यह मोकाम हासिल कर सकती है। संभावना यह है कि जिस तरह यूरो एक हद तक डॉलर का विकल्प बन गया है, उसी तरह यह भी अपनी जगह बना सकता है। इससे विदेशी मुद्रा भंडार एकल मुद्रा के बजाय कई मुद्राओं में रखे जाने लगेंगे।” इस अध्ययन में दुनिया भर के 11 अर्थशास्त्रियों ने भाग लिया, जिनमें जोसेफ स्टिग्लिट्ज और बैरी आइशेनग्रेन जैसे दिग्गज शामिल थे। वैसे, अध्ययन में यह नहीं बताया गया है कि युआन कब तक दुनिया की रिजर्व मुद्रा बन सकता है।
अधिकांश विश्लेषक मानते हैं कि चीनी मुद्रा 2020 तक पूरी तरह परिवर्तनीय हो जाएगी। यही वह साल है जब चीन ने शांघाई को अंतरराष्ट्रीय वित्तीय केंद्र बनाने का लक्ष्य रखा है। एडीबी की रिपोर्ट का कहना है कि एशिया में समान एकल मुद्रा का लक्ष्य व्यावहारिक नहीं है। बता दें कि साल 2000 से 2009 के बीच दुनिया का विदेशी मुद्रा भंडार 6.15 लाख करोड़ डॉलर से बढ़कर 8.09 लाख करोड़ डॉलर हो गया है। यह विश्व के कुल जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) का 14 फीसदी हिस्सा है। विश्व के विदेशी मुद्रा भंडार का 43 फीसदी हिस्सा चीन और जापान के पास है।