रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) फिर कोल इंडिया को पीछे छोड़ बाजार पूंजीकरण में देश की पहले नंबर की कंपनी बन गई। आज उसका बाजार पूंजीकरण 2,50,648 करोड़ रुपए रहा, जबकि कोल इंडिया 2,47,538 करोड़ रुपए पर आ गई। ऊपर से कोल इंडिया को आज एक विदेशी ब्रोकिंग हाउस ने डाउनग्रेड भी कर दिया, जबकि यह अभी तक एफआईआई का सबसे चहेता स्टॉक बना हुआ है। मोटी-सी बात है कि अगर सेंसेक्स में शामिल कंपनियों के लाभार्जन को डाउनग्रेडऔरऔर भी

अमेरिका और यूरोप से बराबर कमजोरी की खबरें आती रहीं। भारतीय बाजार नीचे और नीचे होता रहा। दुनिया के बाजारों में गिरावट से भारतीय बाजार में घबराहट बढ़ती गई। शुक्र है कि रिटेल निवेशक अभी तक बाजार से बाहर हैं, इसलिए इस बार भुगतान का कोई संकट नहीं खड़ा हुआ। इस मायने में 2011 का सदमा 2008 के सदमे से भिन्न है। 2008 में बाजार यकीनन ओवरबॉट स्थिति में था, वह भी बड़े पैमाने पर मार्जिन याऔरऔर भी

कितने लोग जानते हैं कि टीटीके प्रेस्टिज को हमने पांच साल पहले 90 रुपए पर खरीदने की सलाह दी थी। हफ्ते भर पहले यह 3200 रुपए पर था। इस स्टॉक को फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (एफ एंड ओ) में रखे जाने की कोई जरूरत नहीं थी। फिर भी इसे एफ एंड ओ में डाल दिया गया और मंदड़िए अब इसे अपना आसान शिकार बनाएंगे। जिनके पास भी यह स्टॉक बड़ी मात्रा में हैं, उन्होंने डिलीवरी के एवज मेंऔरऔर भी

बाजार के लिए आज का दिन बिना किसी वजह के बड़ा ढीलाढाला रहा। न तो वह 5540 का समर्थन स्तर तोड़कर बहुत नीचे गया और न ही वैसी बढ़त ली जिसका मुझे इंतजार था। खुला थोड़ा दबकर 5554.60 पर। फिर बढ़कर दस बजे से पहले ही 5578.90 तक चला गया। इसके बाद शाम तीन बजे तक 5532.70 पर आ जाने के बाद 0.46 फीसदी की गिरावट के साथ 5541.60 पर बंद हुआ। बहुत से एनालिस्ट अब भीऔरऔर भी

बाजार खुलते ही निफ्टी 5645 तक चला गया। लेकिन बड़ी साफ वजहों से खुद को इस स्तर पर टिकाए नहीं रख सका और धड़ाधड़ 5555 तक गिर गया। बंद हुआ है 0.83 फीसदी की गिरावट के साथ 5567.05 पर। ट्रेडर भौचक और भ्रमित हैं। उनका वही पुराना सवाल है कि बाजार इस तरह आखिर गिरा क्यों? तो प्यारे! यह रोलओवर की पुरानी तकलीफ है। इस डेरिवेटिव सेटलमेंट की एक्सपायरी में सिर्फ सात दिन बचे हैं। इस बीचऔरऔर भी

निराशा का कोई अंत नहीं। मंदड़ियों को कभी यकीन ही नहीं आएगा कि तेजी का आगाज हो चुका है और अब निफ्टी के 6300 तक पहुंचने की भड़क खुल चुकी है। निफ्टी आज 5596.60 तक जाने के बाद मामली गिरावट के साथ 5567.05 पर बंद हुआ है। सेंसेक्स भी 0.30 फीसदी गिरकर 18,507.04 पर बंद हुआ है। ट्रेडरों को हमेशा पढ़ाया क्या, चढ़ाया जाता है कि वे बाजार चलानेवाले उस्तादों और एफआईआई से भी बेहतर पारखी हैं।औरऔर भी

दुनिया नाम के पीछे भागती है और दुनिया जिसके पीछे भागती है उसके दाम अपने-आप ही बढ़ जाते हैं, उसकी स्टार-वैल्यू बन जाती है। बेहतर एक्टर होने के बावजूद मनोज बाजपेयी को पान मसाला बेचना पड़ता है और औसत एक्ट्रेस होने के बावजूद प्रियंका चोपड़ा हर तरफ मटकती रहती हैं। आम जीवन का यह सूत्र शेयर बाजार पर भी लागू होता है। लेकिन हमारे बाजार में इसका उल्टा भी चलता है। लोग जिसके पीछे पड़ जाएं, उसेऔरऔर भी

बाजार पलटकर उठा। सुबह-सुबह सेंसेक्स 18,672.65 और निफ्टी 5604.95 तक चला गया। निफ्टी का यूं 5600 के स्तर को पार करना बड़ी बात थी। लेकिन दोपहर बारह बजे के बाद बाजार अपनी बढ़त को बनाए नहीं रख। माना जा रहा था कि निफ्टी के 5580 के ऊपर पहुंचते ही टेक्निकल एनालिस्ट और बाजार के पंटर भाई लोग लांग होने या खरीद की भंगिमा अपनाने जा रहे हैं। लेकिन शर्त यही है कि निफ्टी को इससे ऊपर बंदऔरऔर भी

मैं नहीं जानता कि एफआईआई के तौर-तरीकों, उनके बर्ताव और बाजार की गति पर मैं हँसूं कि रोऊं? पिछले सेटलमेंट तक शोर था कि निफ्टी 5000 का स्तर तोड़कर नीचे चला जाएगा। बेचारे ट्रेडरों ने 5000 के पुट ऑप्शन खरीद डाले। ऐसा इसलिए भी हुआ क्योंकि एक प्रमुख विदेशी ब्रोकिंग हाउस ने अखबारों के जरिए सार्वजनिक तौर पर राय रखी थी कि पहले तीन महीने बाजार गिरेगा और उसके बाद 20 फीसदी बढ़ेगा। इस तरह के बयानऔरऔर भी

वित्त मंत्री और रिजर्व बैंक के गवर्नर दो ऐसी शख्सियतें हैं जिनका एक-एक बयान शेयर बाजार को प्रभावित कर सकता है। सावधानी हटी दुर्घटना घटी। जरा-सा गलत बयान दे दिया तो बाजार में पलीता लग सकता है। लेकिन पहले पी चिदंबरम और अब प्रणव मुखर्जी कह चुके हैं कि उन्हें बाजार का उठना-गिरना नहीं समझ में आता। पिछले हफ्ते 3 मई को करीब सवा तीन बजे शाम सालाना मौद्रिक नीति पेश किए जाने के बाद रिजर्व बैंकऔरऔर भी