रिलायंस में एक और खतरनाक मोड़!

बाजार के लिए आज का दिन बिना किसी वजह के बड़ा ढीलाढाला रहा। न तो वह 5540 का समर्थन स्तर तोड़कर बहुत नीचे गया और न ही वैसी बढ़त ली जिसका मुझे इंतजार था। खुला थोड़ा दबकर 5554.60 पर। फिर बढ़कर दस बजे से पहले ही 5578.90 तक चला गया। इसके बाद शाम तीन बजे तक 5532.70 पर आ जाने के बाद 0.46 फीसदी की गिरावट के साथ 5541.60 पर बंद हुआ।

बहुत से एनालिस्ट अब भी यूरोप के मसले पर माथापच्ची करने में जुटे हैं। सो, मंदी की अपनी धारणा बदलने को राजी नहीं हैं। फिर भी बिग बुल से ताल्लुक रखनेवाले कुछ स्टॉक्स इस समय गदर काटे हुए हैं। इससे लगता है कि या तो वह इन्हें चढ़ाकर इनसे निकल जाना और नए स्टॉक्स में निवेश करना चाहता है या तेजी का चक्र अन्य स्टॉक्स को अपनी लपेट में लेने जा रहा है।

रोलओवर की तकलीफ दस्तक देने लगी है। हालांकि रोल्स अभी शुरू नहीं हुए हैं। इसलिए मुझे लगता है कि तेजड़िए बाजार को कल 5500 तक गिरने देंगे। उसके बाद भारी वोल्यूम के साथ वे रोलओवर का क्रम शुरू करेंगे। अगले पांच दिन तक मैं यही मनाता रहूंगा कि सब ठीक रहे। वैसे, मेरा मानना है कि निफ्टी जुलाई में भी कई महीनों से चला आ रहा 5500 का स्तर बरकरार रखेगा।

खैर, पेट्रोनेट एलएनजी ने जबरदस्त नतीजों के बाद करीब दस फीसदी की शानदार बढ़त के साथ 168 रुपए पर नई ऊंचाई पकड़ ली है। इसी तरह की तेजी अब गुजरात स्टेट पेट्रोनेट (जीएसपीएल) में आनेवाली है। केयर रेटिंग्स का आईपीओ आने ही वाला है। इसका सबसे बड़ा फायदा आईडीबीआई को होगा क्योंकि केयर में उसकी लगभग 20 फीसदी इक्विटी हिस्सेदारी है।

सरकार ने भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (बीएचईएल) के फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (एफपीओ) का प्रबंधन चार मर्चेंट बैंकरों – मेरिल लिंच, जेएम फाइनेंशियल, आईसीआईसीआई सिक्यूरिटीज और कोटक सिक्यूरिटीज को देने का फैसला किया है। इनमें से दो ने इस स्टॉक को बेचने की सलाह दे रखी है। देखते हैं कि सरकार इस घालमेल के कैसे निपटती है।

मैंने विश्वसनीय सूत्रों से सुना है कि भारत के नंबर-एक और मेरे चहेते स्टॉक रिलायंस इंडस्ट्रीज में एक और नया खतरनाक मोड़ आ रहा है जिसे मैं यहां खुलकर बता नहीं सकता। फिलहाल मैं ट्रेडरों व निवेशकों को इस स्टॉक से दूर रहने की सलाह दूंगा। हालांकि यह लगभग अपनी तलहटी पर पहुंच चुका है जिसका सबूत है कि पिछली तिमाही में एलआईसी व फ्रैंकलिन टेम्प्लेटन ने इसके नए शेयर खरीद कर अपनी हिस्सेदारी बढ़ा ली है। मैं यह बेहद संवेदनशील मसला इस मंच पर उठाने से बचना चाहूंगा क्योंकि मुझे पता है कि मेरी टिप्पणियां यहां से उठाकर वेब पर बने तमाम ग्रुपों में पोस्ट कर दी जाती हैं। वैसे भी यहां हर मसले को झेड़ना उचित नहीं है। हां, आप खुद जांच-परख और ठोंक बजाकर असली बात पता लगाने के लिए स्वतंत्र हैं।

इधर, क्रॉम्प्टन ग्रीव्स के मसले को मीडिया ने अनावश्यक तूल दे दी। इसकी वजह तो मीडिया ही बता सकता है। कंपनी में ऐसी कोई कमी नहीं है कि उसे यूं धूल चटा दी जाए। एफआईआई ने इसमें जमकर बिकवाली की जिसके चलते स्टॉक एकदम धराशाई हो गया। सेबी की तरफ से कोई टिप्पणी आने का इंतजार किए बगैर ही मीडिया सेबी की जांच की बात कर रहा है? जैसा कि बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट में सवाल उठाया गया है कि एसकेएस माइक्रोफाइनेंस 100 फीसदी बढ़ गया, लेकिन क्या इसकी कोई जांच हुई? टीटीके हेल्थकेयर 100 फीसदी बढ़ गया, क्या इसकी कोई जांच हुई? मुझे लगता है कि हम कुछ ज्यादा ही अपेक्षा करने लगे हैं।

फिलहाल बाजार की अंतर्धारा बहुत तेजी की है। लेकिन यह भी सच है कि निफ्टी के 5500 के स्तर पर पहुंच जाने के डर से ट्रेडरों व निवेशकों का भरोसा डगमगाने लगा है। इस समय बाजार में बीटीएसटी (आज खरीदो, कल बेचो) के बजाय एसटीबीटी (आज बेचो, कल खरीदो) का शोर हावी है। इसलिए हम कोरोमंडल इंटरनेशनल, हीरो होंडा और पेट्रोनेट एलएनजी जैसे शेयरों में बड़े पैमाने पर शॉर्ट कवरिंग देख रहे हैं। इनमें शॉर्ट सौदे करनेवाले फंस गए थे। कोरोमंडल तो गिरने के बाद सुधरा है।

हमने अपनी याददाश्त में बहुत सारे सबक सहेज कर रख रखे हैं। आइए, अब उन्हें जिंदगी में आजमा कर देखते हैं।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होंगे। यह मूलत: सीएनआई रिसर्च का फीस-वाला कॉलम है, जिसे हम यहां मुफ्त में पेश कर रहे हैं)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *