जब देश में खाद्यान्न उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर हो तो खाद्य मुद्रास्फीति में कमी आना स्वाभाविक है। इसी को दर्शाते हुए खाद्य वस्तुओं के थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति 9 जुलाई को समाप्त सप्ताह में घटकर 7.58 फीसदी पर आ गई है। इससे पिछले सप्ताह यह 8.31 फीसदी और साल भर पहले इसी दरम्यान 19.52 फीसदी के ऊंचे स्तर पर थी।
वाणिज्य मंत्रालय द्वारा गुरुवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, दालों के दाम आलोच्य सप्ताह के दौरान एक साल पहले इसी समय की तुलना में 7.67 फीसदी कम रहे। हालांकि कई अन्य खाद्य वस्तुओं के दाम बढ़ते रहे हैं। इस दौरान दूध के दामों में 10.76 फीसदी और अंडा, मीट व मछली के दामों में 7.97 फीसदी बढ़ोतरी हुई है। मोटे अनाज और सब्जियों के दामों में भी साल दर साल के आधार पर 4.77 फीसदी और 4.31 फीसदी की बढोतरी दर्ज की गई। प्याज 19.68 फीसदी और फल 15.84 फीसदी महंगे हुए हैं।
वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने बुधवार को कहा था कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जिंसों के ऊंचे दामों की वजह से मुद्रास्फीति की चढ़ाई से इस साल दिसंबर से पहले निजात मिलने की उम्मीद नहीं है। थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित सकल मुद्रास्फीति जून में 9.44 प्रतिशत पर थी। दिसंबर 2010 के बाद से ही सकल मुद्रास्फीति 9 फीसदी से ऊपर चल रही है।
समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान प्राथमिक वस्तुओं की महंगाई की दर 11.13 फीसदी पर थी जो इससे पिछले सप्ताह 11.58 फीसदी थी। थोक मूल्य सूचकांक में प्राथमिक वस्तुओं का योगदान 20.12 फीसदी है। इस बीच, गैर खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति 15.50 फीसदी पर पहुंच गई जो इससे पिछले सप्ताह 15.20 फीसदी पर थी।