हम आमतौर पर जिन कारों की सवारी करते हैं, उनमें लगनेवाले पेट्रोल या डीजल का महज 5% हमें ढोने में लगता है। 80% ईंधन तो खुद कार को ढोने में लग जाता है। बाकी 15% हिस्सा ईंधन को ऊर्जा में बदलने की प्रक्रिया के दौरान बरबाद चला जाता है। विकसित देशों में कार जरूरत की सवारी है, जबकि अपने यहां जरूरत से ज्यादा शान और दिखावे की। यह दिखावा हमारी ही नहीं, देश की जेब पर भीऔरऔर भी

अभी तक रिजर्व बैंक के गवर्नर दुव्वरि सुब्बाराव अपनी अघोषित जिद पर अड़े हुए थे कि जब तक केंद्र सरकार राजकोषीय मोर्चे पर कुछ नहीं करती या दूसरे शब्दों में अपने खजाने का बंदोबस्त दुरुस्त नहीं करती, तब तक वे मौद्रिक मोर्चे पर ढील नहीं देंगे। यही वजह है कि पिछले दो सालों में 13 बार ब्याज दरें बढ़ाने के बाद रिजर्व बैंक ने इस साल अप्रैल में इसमें एकबारगी आधा फीसदी कमी करके फिर हाथ बांधऔरऔर भी

एक तरफ वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने पिछले शुक्रवार को पेश बजट में पेट्रोलियम सब्सिडी को 25,000 करोड़ रुपए घटाकर डीजल के दाम बढ़ाने का इरादा साफ-साफ जाहिर कर दिया था। वहीं दूसरी तरफ इस शुक्रवार को हमारे पेट्रोलियम मंत्री एस जयपाल रेड्डी ने दावा किया कि सरकार का कोई इरादा डीजल को मूल्य नियंत्रण व्यवस्था से बाहर निकालने का नहीं है। रेड्डी ने राजधानी दिल्ली में सातवें एशियाई गैस भागीदारी सम्मेलन में संवाददाताओं से अगल सेऔरऔर भी

फरवरी सेटलमेंट में बाजार बराबर बढ़ता रहा, जबकि पेट्रोल व डीजल की मूल्यवृद्धि और कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों की चिंता से हर कोई वाकिफ था। ट्रेडर निफ्टी के 5200 से 5600 तक पहुंचने तक लगातार शॉर्ट करते रहे। फिर आखिरकार उन्होंने हथियार डाल दिया और बाजार धड़ाम हो गया। लगातार चार दिनों तक बाजार गिरता रहा। कल की गिरावट पिछले छह महीनों की सबसे तगड़ी गिरावट थी। इसने न केवल सारे लांग सौदों पर पूर्णविराम लगाऔरऔर भी

सरकारी तेल कंपनियां इस हफ्ते शनिवार, 3 मार्च को उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों का सातवां व आखिरी दौर खत्म होते ही पेट्रोल व डीजल के दाम बढ़ा सकती हैं। सूत्रों के मुताबिक जहां पेट्रोल के दाम प्रति लीटर 4 रुपए बढ़ाए जा सकते हैं, वहीं डीजल के दाम में भी कम से कम 2 रुपए प्रति लीटर की वृद्धि हो सकती है। इससे पहले कंपनियों ने 1 दिसंबर 2011 को पेट्रोल के दाम बदले थे। बताऔरऔर भी

सेंसेक्स आज एक ही झटके में 540 अंक से ज्यादा का गोता लगा गया, जबकि पिछले हफ्ते वह 600 अंकों का धक्का पहले ही सह चुका था। निफ्टी भी 160 से ज्यादा अंक गिरकर 5268.15 तक पहुंच गया। व्यवस्थागत खामी के आई इस जबरदस्त गिरावट ने ट्रेडरों की हालत खराब कर दी है। इसने निस्संदेह रूप से साबित कर दिया है कि बाजार को फंडामेंटल्स के विरुद्ध जाकर जबरदस्ती चढ़ाया गया था और अब नीचे लाया जाऔरऔर भी

केन्द्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि गठबंधन राजनीति के इस दौर में आपको अपने साथ बाकी लोगों को भी लेकर चलना होता है। इसलिए निर्णय प्रक्रिया में आपसी सहमति जरूरी है। बुधवार को अर्थशास्त्रियों के साथ बजट-पूर्व चर्चा में वित्त मंत्री ने कहा कि मौजूदा वित्त वर्ष काफी चुनौतियों से भरा रहा है। इस वर्ष मुद्रास्फीति की समस्या, राजकोषीय घाटे और सतत व समावेशी विकास को बनाए रखने जैसी समस्याओं का सामना करना पडा।औरऔर भी

दिसंबर के दूसरे पखवाड़े (16 दिसंबर से 30 दिसंबर) के दौरान देश में आयातित कच्चे तेल की लागत करीब एक फीसदी बढ़ चुकी है। तेल कंपनियों की अंडर-रिकवरी 388 करोड़ रुपए प्रतिदिन हो चुकी है। लेकिन सरकार राजनीतिक वजहों से इन कंपनियों को पेट्रोल के मूल्य तक बढ़ाने की इजाजत नहीं दे रही है। वैसे तो पेट्रोल के मूल्य से सरकारी नियंत्रण जून 2010 से ही हटाया जा चुका है। लेकिन सबसे बड़ी शेयरधारक होने के नातेऔरऔर भी

सरकार ने पेट्रोल से लेकर डीजल, रसोई गैस और केरोसिन के दामों पर छाई धुंध को साफ करने के लिए ऑनलाइन जानकारी उपलब्ध करानी शुरू कर दी है। सरकारी तेल मार्केटिंग कंपनियां – इंडियन ऑयल, हिंदुस्तान पेट्रोलियम व भारत पेट्रोलियम ने पेट्रोल कीमतों के बारे में विस्तृत जानकारी पेट्रोलियम मंत्रालय संबद्ध पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल की वेबसाइट पर डालनी शुरू कर दी है। यहां कच्चे के आयातित मूल्य से लेकर अंडर-रिकवरी व सरकार की तरफ सेऔरऔर भी

पेट्रोलियम मंत्री एस जयपाल रेड्डी ने संकेत दिया है कि सरकार तुरंत डीजल या रसोई गैस के दाम नहीं बढ़ाएगी, भले ही रुपए में कमजोरी से आयातित कच्चे तेल की लागत बढ़ रही है। उन्होंने गुरुवार को संसद भवन में संवाददाताओं से बातचीत के दौरान कहा, ‘‘रुपए में कमजोरी ने स्वाभाविक रूप से अप्रत्याशित दिक्कत पैदा कर दी है। इससे वित्त वर्ष 2011-12 में तेल कंपनियों की अंडर रिकवरी 1.32 लाख करोड़ रुपए रहेगी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसऔरऔर भी