दिसंबर के दूसरे पखवाड़े (16 दिसंबर से 30 दिसंबर) के दौरान देश में आयातित कच्चे तेल की लागत करीब एक फीसदी बढ़ चुकी है। तेल कंपनियों की अंडर-रिकवरी 388 करोड़ रुपए प्रतिदिन हो चुकी है। लेकिन सरकार राजनीतिक वजहों से इन कंपनियों को पेट्रोल के मूल्य तक बढ़ाने की इजाजत नहीं दे रही है। वैसे तो पेट्रोल के मूल्य से सरकारी नियंत्रण जून 2010 से ही हटाया जा चुका है। लेकिन सबसे बड़ी शेयरधारक होने के नाते तेल मार्केटिंग कंपनियों – इंडियन ऑयल, हिंदुस्तान पेट्रोलियम व भारत पेट्रोलियम को सरकार (पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्रालय) की अनौपचारिक मंजूरी लेनी पड़ती है।
भारत जो कच्चा तेल आयात करता है उसका मूल्य 16 दिसंबर को 105.94 डॉलर प्रति बैरल था। उस वक्त डॉलर की विनिमय दर 52.96 रुपए थी। इस तरह कच्चे तेल की लागत 5610.58 रुपए प्रति बैरल थी। यह लागत 30 दिसंबर को 5662.60 रुपए प्रति बैरल हो गई क्योंकि कच्चे तेल का दाम 106.30 रुपए प्रति बैरल और डॉलर 53.27 रुपए का हो गया।
तेल कंपनियां चाहती थीं कि डॉलर के सापेक्ष रुपए की कमजोरी की समायोजित करने के लिए पेट्रोल की कीमत 2 रुपए प्रति लीटर बढ़ा दी जाए। उन्होंने शनिवार, 31 दिसंबर से ही ऐसा करने का प्रस्ताव रखा था। लेकिन तेल मंत्रालय ने कहा कि वह सोमवार को बताएगा। फिर सोमवार को उसने टाल दिया। अब कल, 4 जनवरी को तेल कंपनियों के मार्कैटिंग प्रमुख फिर बैठक कर रहे हैं। लेकिन उम्मीद कम ही है कि उन्हें अपने सबसे बड़े शेयरधारक यानी सरकार से पेट्रोल के दाम बढ़ाने की इजाजत मिलेगी। इससे पहले 15 दिसंबर को भी उन्होंने पेट्रोल को एक रुपए महंगा करने की पेशकश की थी। लेकिन संसद में हंगामा मचने के डर से सरकार ने उन्हें ऐसा नहीं करने दिया।
इस बार भी पेट्रोल के दाम कम से कम फरवरी अंत तक बढ़ने की कोई गुंजाइश नहीं है क्योंकि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा व मणिपुर में इस दौरान विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं और सरकार विपक्ष को अपने ऊपर हमला करने का कोई मौका नहीं देना चाहती है।
इस बीच पेट्रोलियम मंत्रालय की तरफ से दी गई अद्यतन जानकारी के मुताहिक तेल कंपनियों को डीजल, कैरोसिन व रसोई गैस को सरकार निर्धारित दामों पर बेचने पर 1 जनवरी 2012 से प्रतिदिन करीब 388 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है जिसे तकनीकी शब्दों में अंडर-रिकवरी कहा जाता है। चालू वित्त वर्ष में सितंबर 2011 तक के छह महीनों में तेल कंपनियों की अंडर-रिकवरी कुल 64,900 करोड़ रुपए रही है।
इस समय तेल कंपनियों की अंडर-रिकवरी डीजल पर 11.30 रुपए प्रति लीटर, पीडीएस में बेचे जानेवाले कैरोसिन पर 28.50 रुपए प्रति लीटर और रसोई गैस पर 326 रुपए प्रति सिलेंडर है। सरकार इसके ऊपर से कैरोसिन पर 82 पैसे प्रति लीटर और रसोई गैस पर 22.58 रुपए प्रति सिलेंडर अलग से सब्सिडी देती है।