देश में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक को लागू करने से खाद्य सब्सिडी में केवल 2410 करोड़ रुपए का इजाफा होगा। यह कहना है केन्‍द्रीय उपभोक्‍ता व खाद्य राज्‍य मंत्री के वी थॉमस का। उन्होंने शनिवार को पुडुचेरी में सामाजि‍क मुद्दों पर आयोजित अखि‍ल भारतीय संपादक सम्‍मेलन में यह दावा किया। उन्होंने कहा कि राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा वि‍धेयक को केन्‍द्र सरकार की ऐति‍हासि‍क पहल है और इस कानून के अमल पर बहुत ज्‍यादा खर्च नहीं होगा। उनका कहनाऔरऔर भी

।। एस पी सिंह ।। ध्वस्त राशन प्रणाली पर खाद्य सुरक्षा विधेयक का बोझ डालने का सीधा मतलब खाद्य सब्सिडी में दोगुनी लूट है। सरकार इसी मरी राशन प्रणाली के भरोसे देश की तीन चौथाई जनता को रियायती मूल्य पर अनाज बांटने का मंसूबा पाले बैठी है, जबकि उसी के आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक 60 फीसदी रियायती दर वाला गेहूं और 20 फीसदी चावल गरीबों तक पहुंचने से पहले ही लूट लिया जाता है। पिछले वित्त वर्षऔरऔर भी

खाद्य सुरक्षा विधेयक बुधवार को संसद बहस के पेश किया जाएगा। इस विधेयक को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने रविवार को मंजूरी दे दी थी। इसके आने के लिए कॉरपोरेट क्षेत्र व उससे जुड़े अर्थशास्त्रियों ने फिर हल्ला उठा दिया कि सरकार पर इससे सब्सिडी का बोझ 21,000 करोड़ रुपए बढ़ जाएगा और खजाने का संतुलन गड़बड़ा जाएगा। ऐसा ही हल्ला कई साल पहले राष्ट्रीय रोजगार गारंटी कानून लाते वक्त भी उठा था। लेकिन हकीकत यह है कि खजानेऔरऔर भी

शिरीष खरे आज के भारत में सबसे तेजी से बढ़ता सेक्टर कौन सा है- आईटी, मोबाइल टेलेफोनी, ऑटोमोबाइल, इन्फ्रास्ट्रक्चर, आईपीएल। जहां तक मेरा ख्याल है तो भूख की रफ़्तार के आगे ये सारे सेक्टर बहुत पीछे हैं। आजादी के 62+ सालों के बाद, भारत के पास दुनिया की दूसरी सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का दावा है। हमारे पास प्राकृतिक और मानव संसाधन भरपूर मात्रा में हैं। मगर अमेरिका की कुल आबादी से कहीं अधिक भूख औरऔरऔर भी