शेयर बाज़ार में अनिश्चितता है। इसे ही रिस्क कहते हैं और रिस्क से ही रिवॉर्ड का निर्धारण होता है। जहां जितना रिस्क, वहां उतना ज्यादा रिवॉर्ड या फायदा। लेकिन रिस्क को नाथने का हुनर अभ्यास से आता है और अभ्यास का मतलब कदमताल करते जाना नहीं, बल्कि अपने अनुभवों से निरंतर सीखते जाना होता है। कोई सौदा क्यों किया, वह सफल हुआ तो क्यों और विफल हुआ तो क्यों? क्या पहलू हमने नज़रअंदाज़ कर दिए और किनकोऔरऔर भी