इंट्रा-डे ट्रेडिंग की इजाज़त बैंकों या संस्थाओं को नहीं है। इसका मतलब यह नहीं कि यहां रिटेल ट्रेडरों के लिए खुला खेल फरुखाबादी है। दरअसल, इंट्रा-डे में प्रोफेशनल ट्रेडरों की भरमार हैं। ऐसे मजे हुए दक्ष ट्रेडर जो शेयर बाज़ार के इस सेगमेंट में ट्रेड की बदौलत अपना घर-परिवार चलाते हैं। वित्तीय बाज़ार की ट्रेडिंग ही उनका बिजनेस है। मार्जिन पर सेबी के कसते जा रहे नियम से यकीकन उन्हें परेशानी होगी। लेकिन पुरानी कहावत है किऔरऔर भी

शेयर बाज़ार में इंट्रा-डे ट्रेडिंग की इजाज़त केवल रिटेल निवेशकों/ट्रेडरों को है। संस्थाएं/बैंक दिन के दिन में निपटाने वाले ऐसे सौदे नहीं कर सकते। यह सेबी का नियम है। व्यवहार में क्या होगा, पता नहीं। सितंबर 2020 तक रिटेल ट्रेडर ब्रोकर पर रखे मार्जिन का चार गुना ट्रेड कर सकते थे। पहली मार्च से यह सीमा दो-गुना रह गई। जून से यह 1.33 गुना बच जाएगी। फिर, सितंबर 2021 से महज एक गुना। मतलब, इंट्रा-डे में रिटेलऔरऔर भी

भयंकर अनिश्चितता और अवसरों से भरा वित्त वर्ष 2020-21 खत्म हुआ। 1 अप्रैल 2020 को निफ्टी 8253.80 और 26 मार्च 2021 को 14,507.30 पर। साल भर में 75.76% का जबरदस्त रिटर्न। यही है अनिश्चितता के बीच अवसर का कमाल! लेकिन अनिश्चितता बढ़ते ही अफरातफरी और घबराहट फैल जाती है। तब आम लोग नहीं, बल्कि खजाने पर निश्चिंत बैठे शांत लोग ही अवसर देख पाते हैं। वैसे, इस कॉलम में अप्रैल 2020 के चार रविवार को सुझाए शेयरऔरऔर भी

शेयर बाज़ार के ट्रेडरों में आम रुझान यह है कि वे स्विंग, मोमेंटम या पोजिशनल ट्रेड के बजाय इंट्रा-डे ट्रेडिंग को तवज्जो देते हैं। देश में ऐसे लाखों ट्रेडर हैं। उनका लक्ष्य दिन में 1000-2000 रुपए कमा लेना होता है। कुछ तो 5000 रुपए तक कमाने के लिए कमर कसे रहते हैं। यह लक्ष्य हासिल करने के लिए बहुत से ट्रेडर 60 मिनट में सौदे से निकल जाते हैं और इस तरह सुबह 9.15 से शाम 3.30औरऔर भी