इधर बाज़ार में रिटेल निवेशकों की सक्रियता बढ़ने से डिलावरी आधारित सौदे ज्यादा हो रहे हैं। वे भले ही कम मात्रा में खरीदें, लेकिन ऐसे लाखों निवेशकों की खरीद से शेयरों के भाव चढ़ जा रहे हैं। नतीजतन, फ्चूचर्स के भावों को कैश सेगमेंट के भावों से पीछे दौड़ना पड़ता है। लेकिन यह सिलसिला आखिर कब तक चलेगा। रिटेल ट्रेडरों/निवेशकों की रीत है कि वे अमूमन चोटी पर खरीदते और तलहटी पर बेचते हैं। यही वजह हैऔरऔर भी