पब्लिक इश्यू के दो प्रकार होते हैं निश्चित मूल्य वाला इश्यू प्रदाता कंपनी को स्वतंत्र रूप से निर्गम का मूल्य निर्धारण करने की अनुमति होती है। निर्गम मूल्य निर्धारण करने का आधार प्रस्ताव दस्तावेज़ में उल्लिखित होता है, जिसमें प्रदाता द्वारा निर्गम मूल्य को न्यायोचित ठहराने वाले गुणात्मक और मात्रात्मक कारकों के बारें में विस्तार से खुलासा होता है। इश्यू लाने वाली कंपनी के 20 प्रतिशत कीमत बैंड में (कैप में निर्धारित मूल्य, फ्लोर मूल्य से 20औरऔर भी

म्यूचुअल फंडों में निवेश के कई फायदे हैं। 1. पेशेवर प्रबंधन: म्यूचुअल फंडों में निवेश से आप अनुभवी और कुशल पेशेवरों की सेवाएं पा सकते हैं। म्यूचुअल फंडों से समिर्पत रिसर्च टीमें जुड़ी होती हैं, जो कम्पनी की निष्पादन क्षमता और सम्भावनाओं का विश्लेषण करती हैं और योजना के उद्देश्य प्राप्त करने के लिए उपयुक्त निवेश विकल्पों का चयन करती हैं। 2. विविधीकरण: म्यूचुअल फंड कई उद्योगों व क्षेत्रों की कम्पनियों में निवेश करते हैं। ऐसे विविधीकरणऔरऔर भी

शेयर, डिबेंचर या एफडी में किये गये सभी निवेश में जोखिम होता है। कम्पनी के निष्पादन, उद्योग, पूंजी बाजार या अर्थव्यवस्था की स्थिति के कारण शेयर का मूल्य नीचे जा सकता है। आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि जितने लम्बे समय के लिए निवेश किया जाता है, उतना ही कम जोखिम उसमें होता है। कम्पनियां ब्याज, मूलधन/बॉण्ड/जमा के भुगतान में दोषी हो सकती हैं। निवेश की ब्याज दर मुद्रास्फीति दर से कम हो सकती है, जिससे निवेशकों कीऔरऔर भी

1. ऋण बाज़ार क्या है? ऋण बाज़ार वह बाज़ार है जहां निश्चित आय या ब्याज वाली तरह-तरह की प्रतिभूतियां जारी की जाती हैं और खरीदी-बेची जाती है। ये प्रतिभूतियां अमूमन केंद्र व राज्य सरकार, नगर निगम अन्य सरकारी निकायों व वाणिज्यिक इकाइयों, जैसे वित्तीय संस्थाओं, बैंकों, सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां, पब्लिक लिमिटेड कंपनियों  की तरफ से जारी की जाती हैं। इनमें सबसे अहम होते हैं केंद्र व राज्य सरकारों के बांड। सरकारें अपनी उधारी की व्यवस्था इन्हींऔरऔर भी

पहले प्रस्ताव था कि 1 अप्रैल 2010 से बैंकों के सभी तरह के लोन पर बेस रेट की नई पद्धति लागू कर दी जाएगी। लेकिन बैंकों के शीर्ष अधिकारियों से राय-मशविरे के बाद रिजर्व बैक ने इसे अब 1 जुलाई 2010 से लागू करने का फैसला किया है। यह फैसला शुक्रवार को लिया गया। इस नई पद्धति के लागू होने पर अभी तक लागू बीपीएलआर (बेंचमार्क प्राइम लेंडिंग रेट) पद्धति धीरे-धीरे खत्म हो जाएगी। बीपीएलआर के साथऔरऔर भी

उदय प्रकाश की एक कहानी है राम सजीवन की प्रेमकथा। इसमें खांटी गांव के रहनेवाले किसान परिवार के राम सजीवन जब दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में पढ़ने जाते हैं तो वहां कोई लड़की कानों में सोने का बड़ा-सा झुमका या गले में लॉकेट पहनकर चलती थी तो वे बोलते थे कि देखो, वह इतना बोरा गेहूं, सरसों या धान पहनकर चल रही है। ऐसा ही कुछ। मैंने वो कहानी पढ़ी नहीं है। लेकिन इतना जानताऔरऔर भी

करेंट एकाउंट (सीए) यानी चालू खाते और सेविंग एकाउंट (एसए) यानी बचत खाते को मिला दें तो बनता है सीएएसए यानी कासा। बैंक की कुल जमाराशि में कासा जमा का हिस्सा कितना है, इससे उसकी लागत पर बहुत फर्क पड़ता है। चालू खाते मुख्तया कंपनियां, फर्में व व्यापारी व उद्यमी रखते हैं जो हर दिन खाते से काफी लेन-देन करते हैं। जबकि बचत खाते में हमारे-आप जैसे आम लोग अपना धन जमा रखते हैं और इसका इस्तेमालऔरऔर भी

इस साल अभी तक स्थिति यह रही है कि बैंक हर दिन औसतन 1.09 लाख करोड़ रुपए रिजर्व बैंक के पास रिवर्स रेपो की सुविधा के तहत जमा कराते रहे हैं जिस पर उन्हें महज 3.25 फीसदी सालाना की दर से ब्याज मिलता है। बैंकिंग सिस्टम में इस राशि को अतिरिक्त तरलता माना जाता है। यह वह राशि है जो आम लोगों से लेकर औद्योगिक क्षेत्र को उधार देने और विभिन्न माध्यमों में निवेश करने के बादऔरऔर भी

देश के बैक सड़क से लेकर बिजली जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र को ऋण देते-देते परेशान हो गए हैं। इस साल उन्होंने कुल मिलाकर उद्योग क्षेत्र को 14 फीसदी ही ज्यादा कर्ज दिया है जिसके चलते रिजर्व बैंक को कर्ज में इस वृद्धि का लक्ष्य 18 से घटाकर 16 फीसदी करना पड़ा है। लेकिन इस दौरान इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र को बैंकों से मिले कर्ज में 46 फीसदी की शानदार वृद्धि हुई है। यह कहना है खुद रिजर्व बैंक के डिप्टीऔरऔर भी