खाद्य पदार्थों की बढ़ती महंगाई पर हायतौबा मची हुई है। कई विद्वान कहते फिर रहे हैं कि सरकार को आयात के जरिए इस महंगाई पर काबू पाना चाहिए। लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक से टो-टूक शब्दों में कह दिया है कि ऐसा करना संभव नहीं है क्योंकि दूसरे देशों में खाद्य पदार्थों की कीमतें हम से ज्यादा बढ़ी हैं। आज पेश की गई मौदिक्र नीति की तीसरी तिमाही की समीक्षा में रिजर्व बैंक के गवर्नर डॉ. डी सुब्बारावऔरऔर भी

मौद्रिक नीति की तीसरी तिमाही की समीक्षा के पेश होने में अब बस एकाध दिन का समय बचा है और बाजार में भयंकर ऊहापोह है कि इस बार क्या होनेवाला है। इसका संकेत इस बात से मिलता है कि बाजार के बेंचमार्क दस साल की परिपक्वता वाले सरकारी बांडों का भाव बुधवार को एक समय गिरकर 91.37 रुपए (अंकित मूल्य 100 रुपए) और यील्ड की दर बढक़र 7.60 फीसदी पर चली गई, जबकि सोमवार को इन बांडोंऔरऔर भी

कुल विदेशी निवेश में एफडीआई का हिस्सा 30.04 फीसदी है तो पोर्टफोलियो निवेश है 20.45 फीसदी। देश में दीर्घकालिक निवेश के लिए आ रही है ज्यादा पूंजी और घट रहा है हॉट मनी का हिस्सा। देश में हो रहे कुल विदेशी निवेश में प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) का हिस्सा पिछले एक साल से बढ़ रहा है और अब यह पोर्टफोलियो निवेश से ज्यादा हो गया है। भारत के अंतरराष्ट्रीय निवेश पर जारी रिजर्व बैंक की ताजा रिपोर्ट केऔरऔर भी

पिछले मार्च से इस मार्च के बीच अमेरिकी सरकार के बांडों में भारत का निवेश तीन गुना से ज्यादा हो गया है। देश की तरफ से तकरीबन 99 फीसदी निवेश भारतीय रिजर्व बैंक अपने विदेशी मुद्रा खजाने से करता है। वित्तीय संस्थाओं और कॉरपोरेट क्षेत्र की तरफ से किया गया निवेश एक फीसदी से भी कम रहता है। यूएस ट्रेजरी विभाग की तरफ से जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक मार्च 2008 तक अमेरिकी सरकार के बांडों मेंऔरऔर भी

पिछले साल मार्च की तुलना में इस बार एक चौथाई ही मिला कर्ज। दुनिया में छाए आर्थिक संकट के चलते भारतीय कंपनियों के लिए विदेश से उधार लेने का स्रोत सूखता जा रहा है। भारतीय रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़ों के मुताबिक मार्च 2009 में 42 कंपनियों या वित्तीय संस्थानों ने विदेशी वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) के जरिए 111.38 करोड़ डॉलर ही जुटाए हैं, जबकि मार्च 2008 में 50 कंपनियों या वित्तीय संस्थानों ने 447.67 करोड़ डॉलर जुटाएऔरऔर भी

रिजर्व बैंक रेपो और रिवर्स रेपो दरों में बार-बार कमी किए जाने बावजूद बैंकों के कर्ज की रफ्तार न बढऩे से चिंतित है। तीन हफ्ते पहले ही रिवर्स रेपो दर को घटाकर 3.5 फीसदी कर दिया गया है, फिर भी बैंक उसके पास इसके तहत हर दिन हजारों करोड़ रुपए जमा करा रहे हैं। रिजर्व बैंक बैंकों को ऐसा करने से रोकने के लिए तरलता समायोजन सुविधा (एलएएफ) के अंतर्गत हर दिन दो बार खोली जानेवाली यहऔरऔर भी