स्विटजरलैंड अपनी छवि सुधारने में जुट गया है। दुनिया भर में कालेधन के लिए स्वर्ग व करचोरों की पनाहगाह के रूप में मशहूर स्विटजरलैंड की सरकार ने अपने बैंकों से कालेधन पर निगाह रखने को कहा है। स्विस सरकार का दावा है कि उसके इस निर्देश से कालेधन के खिलाफ लड़ाई में भारत जैसे देशों को काफी मदद मिल सकती है। स्विस सरकार ने अपने बैंकों से कहा कि वह ग्राहकों की गोपनीयता शर्तों को तोड़े बिनाऔरऔर भी

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने विदशी बैंकों में अवैध रूप से जमा धन की खोज और वसूली के लिए कानून लागू करनेवाली अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के साथ सहयोग की जरूरत पर जोर दिया है। सीबीआई के निदेशक ए पी सिंह ने शुक्रवार को दिल्ली में कहा, “बहुराष्ट्रीय स्तर पर भ्रष्ट गतिविधियों में संलिप्त अपराधियों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए हमें हर स्तर पर एक दूसरे का सहयोग करने की जरूरत है। इसके लिए सभी कानून प्रर्वतनऔरऔर भी

जिस टैक्स को बचाने के लिए लोगबाग अपना धन स्विटजरलैंड के बैंकों में जमा कराते हैं और वह सफेद से काला हो जाता है, उस पर स्विटजरलैंड सरकार ने टैक्स लगाने की शुरुआत कर दी है। ब्रिटेन व जर्मनी के साथ खास समझौते के बाद स्विस बैंकों में जमा वहां के नागरिकों के कालेधन पर टैक्स लगाया जाएगा। भारत व स्विटजरलैंड के बीच ऐसी संधि हो जाने पर भारतीयों के कालेधन पर भी स्विटजरलैंड में टैक्स लगायाऔरऔर भी

स्विस बैंकों में जमा भारतीयो का धन पिछले पांच सालों में लगातार घटता रहा है और इसकी मौजूदा रकम दस हजार करोड़ रुपए से भी कम है। 2006 में यह राशि 23,373 करोड़ रुपए थी। वहीं 2010 तक यह आधे से भी ज्यादा घटकर 9295 करोड़ रुपए पर आ गई है। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी मंगलवार को राज्यसभा में एक लिखित सवाल के जवाब में यह जानकारी दी। उन्होंने स्विस नेशनल बैंक के आंकड़ों को उद्धृत करतेऔरऔर भी

भारत को स्विस बैंक खातों में रखे गए काले धन के बारे में सूचना हासिल करने के लिए इस साल के अंत तक इंतजार करना पड़ेगा क्योंकि स्विटजरलैंड की संसद पिछले साल अगस्त में भारत के साथ हुई संधि को दिसंबर तक ही मंजूरी दे सकेगी। भारत और स्विटजरलैंड ने सूचनाओं का आदान प्रदान करने की सुविधा के साथ दोहरा कराधान बचाव संधि (डीटीएए) में संशोधन के समझौते पर 30 अगस्त, 2010 को हस्ताक्षर किए थे। स्विटजरलैंडऔरऔर भी

केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के निर्देश के बावजूद प्रवर्तन निदेशालय ने स्विटजरलैंड के बैंकों में जमा काले धन के बारे में जानकारी देने से इनकार किया है। सूचना आयोग की पूर्ण पीठ ने निदेशालय को इस मुद्दे पर सूचना उपलब्ध कराने को कहा था क्योंकि यह भ्रष्टाचार से जुड़ा मामला है। हालांकि प्रवर्तन निदेशालय सूचना अधिकार (आरटीआई) कानून के दायरे में नहीं आता। लेकिन भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों में जानकारी देना उसकी जिम्मेदारी है। आटीआई कानून कीऔरऔर भी