खूंटे से बंधी गाय
इसे अहम कहें या आत्ममुग्धता, हम अपने में खोए और आक्रांत रहते हैं। खूंटे से बंधी गाय की तरह हमारा वृत्त बंध गया है। आम से लेकर खास तक, ज्ञानी और विद्वान तक अंदर के चुम्बक से पार नहीं पा पाते।और भीऔर भी
बोलें तो सही
हर कोई अपने में मशगूल है। अपनी भौतिक व मानसिक जरूरतों का सरंजाम जुटा रहा है। आप इसमें मदद कर सकें तो जरूर सुनेगा आपकी। लेकिन खुद नहीं। उसे बताना पड़ेगा कि आप उसके लिए क्या लेकर आए हैं।और भीऔर भी
कोटर में कैद
कोटर से रह-रह कर बाहर झांकने से कुछ नहीं होगा। बाहर खिलंदड़ी मची है। हर रंग खिल रहे हैं। सब कुछ है। लेकिन आपके बिना बहुत कुछ अधूरा है। कोटर में आप भी अधूरे हैं तो बाहर छलांग क्यों नहीं लगाते जनाब!और भीऔर भी





